GMCH STORIES

ऐसा देश है मेरा/ हौसलों से उड़ान देवकीनन्दन शर्मा दिव्यांग

( Read 3808 Times)

06 Dec 23
Share |
Print This Page
ऐसा देश है मेरा/ हौसलों से उड़ान देवकीनन्दन शर्मा दिव्यांग

“ये केचियाँ हमें उड़ने से खाक रोकेंगी,
की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं.” राहत इंदौरी जी की इन पंक्तियों का ज्वलंत उदाहरण हैं दिव्यांग देवकीनंदन शर्मा। कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो इन्सान सब कुछ कर सकता है। दिव्यांग देवकी नन्दन शर्मा के दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद भी अच्छे भले इंसान को अपने पीछे छोड दिया और समाज के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गये।
      इनके बारे में समाजसेवी राजेंद्र सिंह हाड़ा बताते हैं कि दोनों हाथों से दिव्यांग देवकी नन्दन वर्तमान में भगवान महावीर विकलांग समिति में  मैनेजर के पद पर कार्यरत है। ये अपने पैरों से कुशलता पूर्वक कम्प्यूटर चलाते हैं और आफिस के सारे कार्य जैसे पिन करना, स्टेपलर , फाइलिंग, पंचिंग करने आदि पूरे हौंसले से कर रहे हैं। अपनी सेवा के साथ - साथ  प्यार बांटते हैं और सभी को हौंसले के साथ अपना जीवन जीने के लिए प्रेरित भी करते हैं।
     देवकी नन्दन को 1979 में बिजली का करंट लगा और उसके बाद दोनों हाथों से दिव्यांग हो गये। इन्होंने इतना बडा हादसा के बावजूद दूसरे पर निर्भर होने के बजाए स्वयं कुछ करने की हिम्मत रखी। वर्ष 1984 में पांव से लिखने की कोशिश की और 6 महिने तक पांव से लकडी के सहारे मिट्टी में और फिर 6 महिने तक पांव से पेन पकड कर लिखने का अभयास किया। एक साल के अभ्यास से पैर से लिखने में दक्षता हांसिल कर ली।
      इन्होंने 1986 में इन्होंने पांव के सहारे लिखकर हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण कर अनोखा उदाहरण प्रस्तुत किया। इसके बाद से ही लगातार कोटा की इस समिति में मैनेजर के पद पर कार्य करते हुए दिव्यांगों की सेवा कर रहे हैं। इनके हौंसले एवं काबिलियत पर इन्हें राज्य एवं जिला स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। 
 अर्चना शर्मा बनी जीवन संगिनी :
 देवकी नन्दन शर्मा अपने पूरे हौंसले के साथ आगे बढ रहे थे। इसी दौरान कोटा के खेडली फाटक निवासी अर्चना शर्मा से 1989 में इनका विवाह हुआ। अर्चना जी से विवाह के बाद इनको और हिम्मत मिली वहीं अर्चना शर्मा ने इनके हौसले को और बढ़ाया, जीवन की गाडी अच्छे से चलने लगी। कुछ समय बाद इनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी का जन्म हुआ ।
    इन्होंने अपने बलबूते पर दोनों  बच्चों को पढाने में पूरी ताकत लगादी। इनके अथक प्रयासों से बेटा हिमांशु शर्मा आज कोटा में न्यूरो फिजिशियन है और बेटी कुलंजना शर्मा मेडिकल कॉलेज में संविदा पर सेवारत हैं। देवकी नन्दन ने अपनी पत्नी अर्चना के साथ पूरी लगन से मेहनत कर कोटा के विज्ञान नगर में अपना मकान भी बना लिया है।  फिजियोथेरेपी सेंटर खोला :
 देवकी नन्दन शर्मा ने दिव्यांगों की सेवा करने के साथ-साथ अब तलवंडी कोटा में अपना निजी  स्वर्णागिरी न्यूरो फिजियोथेरेपी एण्ड न्यूरो रिहैब सेन्टर खोल लिया है। इस सेन्टर पर पैरालाइज, पैरालिसिस, कमर दर्द, रीड की हड्डी का दर्द, गर्दन दर्द का उपचार,  फ्रेक्चर के बाद का पुनर्वास, हाथ पैरों में सुन्नपन, दर्द व जलन, सोते समय पैरों में जलन एवं दर्द  का उपचार किया जाता है। इस सेन्टर पर इनका बेटा गोल्ड मेडलिस्ट डॉक्टर हिमांशु शर्मा न्यूरो फिजियोथैरेपिस्ट की सर्विस उपलब्ध है। स्वर्णागिरी फिजियोथैरेपी सेंटर में नींद नहीं  राजस्थान का यह पहला सेंटर है जिसमें नींद का इलाज फिजियोथेरेपी के माध्यम से किया जाता है। वर्तमान में स्वर्णागिरी फिजियोथैरेपी सेंटर में पांच स्टाफ को हायर किया गया है, जिसमें तीन डॉक्टर है दो असिस्टेंट हैं और एक दोनों हाथों से भी दिव्यांग में बहुत बड़ी काबीलियत हासिल की है। 
    विपदा और विषम परिस्थितियों को  हिम्मत और हौसलों से परास्त करने वाले उनके लिए  अनुकरणीय उत्प्रेरक हैं जो मनोबल से हताश हो कर आत्महत्या जैसे कायराना कदम उठाते हैं। निश्चित ही देवकी नंदन समाज को रोशनी दिखाने वाला दीपक है। 


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Headlines , Kota News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like