उदयपुर रिमझिम अरोड़ा को बीएन विश्वविद्यालय से अपने शोध पर डॉक्टरेट(पीएचडी) की उपाधि प्रदान की गई है। उनका शोध विषय 'अल्जाइमर रोग के उपचार के लिए विभिन्न यौगिकों की इन-सिलिको स्क्रीनिंग' था। इस शोध को बी.एन. कॉलेज ऑफ फार्मेसी के फार्मेस्युटिक्स प्राध्यापक डॉ. कमल सिंह राठौड़ के मार्गदर्शन में किया। इस अद्वितीय अनुसंधान के परिणामस्वरूप, रिमझिम ने स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में अपने पेपर्स प्रस्तुत किए हैं, जिससे समाज को अल्जाइमर रोग के इलाज की दिशा मिली है। उनकी शोधनिष्ठा और नैतिकता ने उन्हें इस सम्मान से सम्मानित किया है, जिसे लोगों के बीच उनके योगदान की महत्वपूर्णता को बताता है। इस दौरान उन्हें बेस्ट यंग रिसर्चर पुरस्कार के साथ-साथ कई अन्य पुरस्कार भी प्राप्त हुए।
अल्जाइमर की बीमारी में मानसिक कार्यकलाप में धीरे-धीरे पतन होता है, जो कि मस्तिष्क के ऊतक का क्षरण बताता है, जिसमें तंत्रिका कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं, बीटा-एमाइलॉइड नामक एक असामान्य प्रोटीन का संचय और न्यूरोफ़ाइब्रिलरी गुत्थियों का विकसित होना शामिल है।अल्जाइमर बीमारी में, मस्तिष्क के हिस्से में खराबी आ जाती हैं, ये तंत्रिका कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं और मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरोट्रांसमीटर) के बीच संकेतों को प्रसारित करने वाले कई रासायनिक संदेशवाहकों की प्रतिक्रिया कम हो जाती है। एसिटिलकोलिन का स्तर कम हो जाता है, यह एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो याददाश्त, सीखने और एकाग्रता में मदद करता है।रिमझिम ने इस असाध्य बीमारी के निदान के लिए कुछ रासायनों की इन सिलिकॉ पद्धति से खोज की हैं जो आशा हैं की इन रोगियों के जीवन में आशा का संचार करेगा।