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जनुभाई सामान्य व्यक्ति नहीं , वे शिक्षा जगत में क्रांतिकारी विचारों के वाहक थे - कटारिया

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24 Jun 25
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जनुभाई सामान्य व्यक्ति नहीं , वे शिक्षा जगत में क्रांतिकारी विचारों के वाहक थे - कटारिया


संस्कार ,राष्ट्र निर्माण में जनुभाई का योगदान अविस्मरणीय -कटारिया
संस्कृति और संस्कार ही जीवन के शाश्वत मूल्य - सारंगदेवोत

उदयपुर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय की ओर से सोमवार को प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में आयोजित एक गरिमामय समारोह में पंजाब के राज्यपाल ’’महामहिम गुलाबचंद कटारिया को मनीषी पंडित जनार्दन राय नागर संस्कृति रत्न अलंकरण समर्पण से सम्मानित किया गया। कटारिया को  ये अलंकरण उनके भारतीय जीवन मूल्यों, सांस्कृतिक - नैतिक दृढ़ता और सेवा कार्यों के प्रति समर्पण के लिए प्रदान किया गया।
सम्मान के तहत कटारिया को अशोक स्तम्भ, भारत माता स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र एवं एक लाख रूपये की नकद राशि दी गई।  कटारिया ने एक लाख रूपये की नकद राशि पुनः विद्यापीठ के विकास के लिए भेट कर दी।

समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि महामहिम गुलाबचंद कटारिया, अध्यक्ष कुलाधिपति भंवर लाल गुर्जर, कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत, महावीर कोटा ओपन विवि के कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी ने माॅ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजली एवं दीप प्रज्जवलित कर किया।

जनुभाई  का व्यक्तित्व आदर्शों की वो किताब है  जो हर पीढ़ी का मार्गदर्शन करने का सामर्थ्य रखती है। संस्कार युक्त व्यक्तित्व निर्माण और साक्षर पीढ़ी को स्वरूप दे कर अंतिम को मुख्य धारा से जोड़ने का काम जनुभाई जीवन पर्यंत करते रहे। राष्ट्र भाव और असहाय की सहायता करके हम उनके विचारों को जीवंत बनाए रख सकते है। ये विचार बतौर मुख्य अतिथि  पंजाब के राज्यपाल महामहिम गुलाबचंद कटारिया ने व्यक्त किए।

कटारिया ने कहा कि पंडित जनार्दन राय नागर कोई सामान्य व्यक्ति नहीं थे, वे शिक्षा जगत में क्रांतिकारी विचारों के वाहक थे। उन्होंने शिक्षा को सेवा का माध्यम बनाया और समाज के वंचित वर्गों तक ज्ञान की रोशनी पहुंचाई। उन्होंने कहा कि किसी असहाय की सहायता करना और किसी अशिक्षित को शिक्षा देना ही सच्ची मानव सेवा है। कटारिया ने कहा किया कि वे स्वयं इस विद्यापीठ से शिक्षक, कार्यकर्ता और विद्यार्थी के रूप में जुड़े रहे हैं और यह सम्मान उनके लिए व्यक्तिगत रूप से अत्यंत भावनात्मक है।

कटारिया ने कहा जनुभाई वैचारिक विभिन्नताओं के बावजूद मूल्यों के प्रति सदैव तठस्थ रहे। उनका चरित्र गुरू से समर्पण , तपस्या को बताता है अध्यापक में निहित अपार क्षमताओं, संभावनाओं का द्योतक है।
कटारिया ने कर्मों को परिष्कृत करके मानव जीवन को सार्थक बनाने का सभी से आह्वान किया। साथ ही उन्होंने संस्थान के आदर्शों को धेय बनाकर उसे आगे बढ़ाने के लिए कुलपति सारंगदेवोत को साधुवाद  दिया।

कुलपति कर्नल प्रो. शिव सिंह सारंगदेवोत ने प्रशस्ति पत्र का वाचन करते हुए कहा कि संस्कृति, संस्कार जीवन के शाश्वत मूल्य है। हमारी संस्कृति में भौतिक और आध्यात्मिक का समावेश है ।जो समाज के लिए उपयोगी और मार्गदर्शक के रूप में दृष्टिगोचर होती है। जनुभाई का दर्शन सामाजिकता, संस्कृति का समावेश है जो समावेशी होने के साथ नारी सशक्तिकरण ,वंचितों को आगे लाने के प्रयासों का प्रतिबिंब है।

अपने संबोधन में प्रो. सोडाणी ने कहा कि, गुलाबचंद कटारिया जैसे व्यक्तित्व का सम्मान हम सभी के लिए गौरव की बात है। वे एक शिक्षाविद, समाजसेवी और राजनीतिज्ञ के रूप में लंबे समय से समाज को दिशा प्रदान कर रहे हैं। यह अलंकरण वास्तव में उनके सेवा भाव और निष्ठा को नमन है।‘‘’

कुलाधिपति गुर्जर ने कहा कि राजस्थान का यह सौभाग्य है कि गुलाबचंद कटारिया जैसे व्यक्तित्व को संस्कृति रत्न अलंकरण प्रदान कर उसे गौरवान्वित किया गया है। यह सम्मान विद्यापीठ के संस्थापक पं. जनार्दन राय नागर जी की परंपरा और मूल्यों को आगे बढ़ाने का प्रयास है।‘‘’

समारोह में पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष रविन्द्र श्रीमाली, भाजपा नेता एवं समाजसेवी  अतुल चण्डालिया, प्रो. रेणु राठौड़, प्रो. सरोज गर्ग, प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, डाॅ. कला मुणेत, डाॅ. पारस जैन, डाॅ. युवराज सिंह राठौड, प्रो. आईजे माथुर, डाॅ. हेमेन्द्र चैधरी, डाॅ. धमेन्द्र राजौरा, डाॅ. शैलेन्द्र मेहता, प्रो. गजेन्द्र माथुर, प्रो. मंजु मांडोत, डाॅ. सपना श्रीमाली, डाॅ. अमी राठौड़ सहित विद्यापीठ के डीन, डायरेक्टर व शहर के गणमान्य नागरिकों ने शिरकत की।

कार्यक्रम का संचालन  डॉ. इंदु बाला आचार्य ने किया।


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