उदयपुर, – जल संकट की गंभीरता को समझाते हुए, एनसीसी 2 राज आर एंड आर रेजीमेंट, नवानिया के 10 दिवसीय शिविर में जल योद्धा के रूप में प्रसिद्ध डॉ. पी.सी. जैन ने छतों के वर्षा जल को बचाने और उसका सदुपयोग करने की प्रेरणा दी। यह शिविर सर पदमपत सिंघानिया यूनिवर्सिटी के परिसर में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें 600 से अधिक एनसीसी कैडेट्स और स्टाफ सदस्य भाग ले रहे हैं।
जल बचाओ की अनूठी शुरुआत - मटकी पूजन से
कार्यक्रम की शुरुआत बेहद रोचक और सांस्कृतिक तरीके से की गई। छात्राओं ने "ओम जय जल देव हरे" की आरती के साथ मटकी का पूजन कर जल संरक्षण के प्रति श्रद्धा और कर्तव्य का प्रदर्शन किया। स्टाफ सदस्यों ने भी इस आरती में भाग लेकर एकजुटता दिखाई।
नाटकीय प्रस्तुति से दिया गहरा संदेश
डॉ. जैन ने जल की कीमत को दर्शाते हुए एक मार्मिक दृश्य प्रस्तुत किया। एक हाथ में पानी की बोतल और दूसरे में ₹500 का नोट लेकर उन्होंने छात्रा से पूछा कि वह क्या चुनेगी। प्यास से व्याकुल छात्रा ने बिना झिझक बोतल झपट ली। यह दृश्य छात्रों में जल की असली कीमत का एहसास करा गया।
पनिहारिनों की लड़ाई में छुपा समाधान
छात्राओं द्वारा प्रस्तुत एक लघु नाटक में दिखाया गया कि गांव की पनिहारिनें हैंडपंप से पानी भरने जाती हैं, लेकिन कम पानी आने के कारण आपस में लड़ पड़ती हैं। तभी कुछ महिलाएं समझदारी से सुझाव देती हैं कि यदि सभी अपने घरों की छतों से वर्षा जल को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के ज़रिए इस हैंडपंप से जोड़ दें, तो जल स्तर बढ़ेगा और झगड़े की नौबत नहीं आएगी। यह नाटक तालियों की गड़गड़ाहट के साथ समाप्त हुआ।
जल नारे और नृत्य से गूंजा परिसर
शिविर स्थल "आकाश पानी रोकेंगे, पाताल पानी बढ़ाएंगे", "वर्षा जल को व्यर्थ नहीं बहाएंगे" जैसे नारों से गूंज उठा। छात्र-छात्राओं ने "बरखा रो पानी बचा बचाने, हैंडपंप में डालो रे..." गीत पर सामूहिक जल नृत्य प्रस्तुत कर जल बचाने का सजीव संदेश दिया।
वास्तविकता उजागर करती टीडीएस जांच
डॉ. जैन ने कैडेट्स द्वारा लाए गए पानी की टीडीएस मीटर से जांच की। उन्होंने बताया कि इस पानी में टीडीएस मात्र 64 है, जबकि पीने योग्य पानी के लिए यह 200 से अधिक होना चाहिए। इससे स्पष्ट हुआ कि अधिकतर पानी प्राकृतिक रूप से शुद्ध नहीं रहा है।
सवाल-जवाब से खुली सच्चाई
जब डॉ. जैन ने पूछा कि कितने कैडेट्स अपने घरों में ट्यूबवेल से पानी लेते हैं, तो लगभग सभी ने हाथ उठाया। लेकिन जब उन्होंने पूछा कि कितने लोग वर्षा जल से इन ट्यूबवेल्स को रिचार्ज करते हैं, तो कोई हाथ नहीं उठा। यह देख डॉ. जैन ने स्पष्ट कहा कि यदि यही स्थिति रही तो अगली पीढ़ी को पीने का पानी तक नसीब नहीं होगा।
मोबाइल लत पर विचार और सुधार
छात्रों को मोबाइल और इंटरनेट की लत का आकलन करने हेतु 20 प्रश्नों वाला सर्वे कराया गया। नतीजों से स्पष्ट हुआ कि अधिकतर छात्र-छात्राएं मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से प्रभावित हैं। डॉ. जैन ने उन्हें इसके सदुपयोग और संतुलित उपयोग की सलाह दी।
प्रतिभाशाली छात्राओं की प्रस्तुति
इन लघु नाटकों और गतिविधियों में वेटरनरी कॉलेज की छात्राओं – श्वेता यादव, निर्मला कड़वा, सुविता कुमारी, वैभव कुमारी, शिवानी पेनिकर और जीनल खराड़ी – ने प्रभावशाली अभिनय कर सभी का मन मोह लिया।
सम्मान और समापन
कार्यक्रम के अंत में कैंप कमांडेंट कर्नल प्रकाश कुमार एन ने डॉ. पीसी जैन का आभार जताया। डॉ. सुनील अरोड़ा ने उनका स्वागत किया और मिहिका शर्मा ने पूरे आयोजन में महत्वपूर्ण सहयोग निभाया।
इस शिविर में न केवल जल संरक्षण का संदेश दिया गया, बल्कि छात्रों में जल के प्रति संवेदनशीलता और व्यवहारिक समाधान अपनाने की प्रेरणा भी जागृत की गई।