उदयपुर | शहर के सुप्रसिद्ध शिल्पकार चंद्र प्रकाश चित्तौड़ा ने लोक देवता ओम बन्ना की पुण्यतिथि पर एक भावपूर्ण और सृजनात्मक पहल करते हुए लघु पुस्तिका के माध्यम से उन्हें नमन अर्पित किया है। यह पुस्तिका केवल शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि ओम बन्ना के जीवन दर्शन, उनके लोक-समर्पण और जनविश्वास की अद्भुत यात्रा का कलात्मक चित्रण है।
कलाकार चित्तौड़ा ने पुस्तिका में ओम बन्ना की प्रेरणादायक जीवनी, उनके अलौकिक चमत्कारों और दुर्घटना स्थल पर आज भी जलने वाली श्रद्धा की ज्योति का विस्तार से वर्णन किया है। बताया गया है कि किस प्रकार उनका बलिदान आज भी हजारों यात्रियों के जीवन की रक्षा करने वाली आस्था में परिवर्तित हो चुका है।
इस पुस्तिका की विशेषता यह है कि इसमें ओम बन्ना की लोक-लोकप्रिय छवि को कलात्मक रेखांकन और सांस्कृतिक दृष्टि से प्रस्तुत किया गया है, जो पाठकों को भक्ति, साहस, और मानवहित की भावना से जोड़ता है।
चित्तौड़ा का संदेश स्पष्ट है—“ओम बन्ना केवल देवता नहीं, जिम्मेदारी और मानवता के प्रतीक हैं।”
यह पुस्तिका आने वाली पीढ़ियों के लिए लोकविश्वास और रक्षक भावना की बहुमूल्य धरोहर सिद्ध होगी।