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ऑटिज्म के बच्चों का उचित थेरेपी से होगा विकास

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29 Apr 24
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ऑटिज्म के बच्चों का उचित थेरेपी से होगा विकास

उदयपुर। आज नवरतन कॉम्प्लेक्स स्थित वेदा चाइल्ड एंड न्यूरो केयर में आयोजित कार्यशाला में डॉ. अंशिता अरोड़ा ने न्यूरो डवलपमेन्ट की समस्याएं एवम ऑटिजम के बारें में जानकारी देते हुए बताया कि देश में प्रत्येक 40 में से 1 बालक को ऑटिज्म के लक्षण पाये जाते है लेकिन इस समस्या में विभिन्न प्रकार की थेरेपी जैसे एबीए यानि एप्लाईड बिहेवियर एनालिसिस, ऑक्यूपेशनल थेरेपी से ना केवल सुधार हो सकता है वरन् ये बच्चे अपनी दैनिक दिनचर्या को जारी रखते हुए जीवन आसानी से जी सकते हैं।
उन्होंने बताया की इस सेंटर ने अब देश की जानी मानी संस्था बटरफ्लाई लर्निंग्स का सहयोग लिया है जिसके अंतर्गत यह अपने आप में पहला सेन्टर है जहंा एक ही छत के नीचे बच्चों को मेडिकल कन्सलटेशन व विभिन्न प्रकार की थैरेपी दी जायेगी।
बटरफलाई लर्निंग सेन्टर की कमल छेड़ा ने बताया कि सेन्टर में बच्चों को ओरल प्लेसमेन्ट थैरेपी,आदि अन्य प्रकार की थैरेपी दी जायेगी। यह बच्चें की रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है कि बच्चें को कितने माह की थैरेपी एवं सप्ताह में कितने दिन की थैरेपी की आवश्यकता होगी। थैरेपी के बाद बच्चें आम बच्चों की तरह सामान्य रूप से स्कूल जाते है एवं सामान्य व्यवहार करते है।  
उन्होंने बताया कि इस रोग को लेकर व्यस्ततम जिदंगी जीने वाले महानगरों के अभिभावकों की तुलना में उदयपुर के अभिभावकों में जागरूकता की काफी कमी देखी गई है। महानगरों में दौड़ भाग की लाइफ होने के बावजूद वहंा के अभिभावक अपने बच्चों को लेकर कोई समझौता नहीं करते है जबकि उदयपुर में अभिभावकों को भयसूचक चिन्ह बताने ंके बावजूद भी इस पर गंभीर रूप से विचार नहीं किया जाता है।  
बटरफ्लाई लर्निंग के सह-संस्थापक और सीईओ डॉ. सोनम कोठारी ने बताया कि बटरफ्लाई लर्निंग को उदयपुर में लाने और बच्चों और परिवारों को अपनी विशेष सेवाएं प्रदान की जायेगी। भारत मे लगभग 30 लाख बच्चें ऑटिज्म से पीड़ित हैं, जबकि आठ में से एक (2-9 वर्ष की आयु के बीच) कम से कम एक न्यूरोडेवलपमेंटल विकार का अनुभव करता है। दुर्भाग्य से, माता-पिता के लिए वर्तमान में उपलब्ध स्टैंडअलोन क्लीनिकों की छोटी संख्या में चिकित्सा प्रावधान के लिए उचित वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अभाव है। कंपनी आईएसओ 27001 से प्रमाणित है। डेटा सुरक्षा और रोगी की गोपनीयता बनाए रखने के लिए एचआईपीएए और जीडीपीआर का पालन करती है।


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