उदयपुर विश्वमातृ भाषा दिवस के अवसर पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विवि के कुलपति सचिवालय में आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि नयी शिक्षा नीति में मातृभाषा को बढ़ावा दिया गया है, हालांकि संस्थापक मनीषी पं. जनार्दनराय नागर ने मातृभाषा को बढ़ावा एवं हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए आजादी के 10 वर्ष पूर्व 1937 में ही हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना की, उन्हीं उद्देश्यों को लेकर संस्थान आज निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए। मातृभाषा संस्कारों की जननी है। जब व्यक्ति जन्म लेता है तो उसे उसके प्रारंभिक संस्कार एवं आदतें मातृभाषा से ही मिलते है। मातृभाषा में विचारों की अभिव्यक्ति एवं ग्रहणीय क्षमता सर्वाधिक होती है। आज हमारे लिए मातृभाषा का सवाल अपनी भाषा का सवाल बन चुका है। भाषा को बनाये रखने के लिए आवश्यक है कि उसका प्रयोग बढ़ाया जाये। शिशु जन्म के बाद से ही मातृभाषा सीखते है बावजूद इसके वर्तमान में कई भाषाएॅ विलुप्त हो गई है जिसके लिए हम सभी दोषी हैं।
निजी सचिव केके कुमावत ने बताया कि इस अवसर पर रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, प्रो. सरोज गर्ग, प्रो. मलय पानेरी, प्रो. जीवनसिंह खरकवाल, डॉ. दिलीप सिंह चौहान, डॉ. कला मुणेत, डॉ. शैलेन्द्र मेहता, डॉ. अवनीश नागर, डॉ. राजन सूद, सुभाष बोहरा, प्रो. एसएस चौधरी, डॉ. भारत सिंह देवड़ा, डॉ. चन्द्रेश छतलानी, बीएल सोनी, सीए कुणाल भटनागर, भगवती लाल श्रीमाली, डॉ. सपना श्रीमाली, डॉ. गुणबाला आमेटा, डॉ. अलकनंदा, डॉ. अपर्णा श्रीवास्तव, गजेन्द्र सिंह, विजयलक्ष्मी सोनी, सिद्धार्थ सहित विद्यापीठ के डीन डायरेक्टर उपस्थित थे।