राजसमंद जिले के नाथद्वारा को वैसे तो श्रीनाथजी की नगरी के रूप में जाना जाता है, और 'विश्वास स्वरूपम' श्रीनाथजी के चरणों में एक पुष्प मात्र है जिसे 'स्टैच्यू ऑफ बिलीफ' के नाम से भी जाना जाता है। नवंबर 2022 में उद्घाटन के बाद से अब तक हरि और हर के इस मिलन को देखने के लिए लाखों पर्यटक नाथद्वारा आए हैं, जो एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। भगवान शिव की यह 369 फीट ऊंची मूर्ति तेजी से भारत में एक प्रमुख आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन स्थल बन गई है, जो देश एवं दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित कर रही है।
नाथद्वारा अब उस नगरी के रूप में उभर रहा है, जहाँ हर (भगवान शिव) और हरि (श्रीनाथजी) का मिलन होता है।
पिछले 1.5 वर्ष में विश्वास स्वरूपम ने लाखों पर्यटकों का स्वागत किया है, जो इस स्थल की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है। यहां बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए अनेक अनुभवों का आयोजन किया गया है। हर रात 8 बजे होने वाला 3D प्रोजेक्शन मैपिंग कार्यक्रम विशेष रूप से लोगों की पसंद बना हुआ है। इस शो में शब्द उत्पत्ति, रुद्राष्टक, और काकभुशुंडी जैसी कहानियों का जीवंत चित्रण अद्भुत लाइट और साउंड के माध्यम से किया जाता है, जो इसे धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्तियों के लिए एक अनूठा स्थल बनाता है। शब्द उत्पत्ति की कहानी में बताया जाता है कि कैसे शिवजी के डमरू की ध्वनि से सबसे पहले शब्दों का जन्म हुआ। वहीं काकभुशुंडी की कथा में वर्णन किया जाता है उस घटना का जब काकभुशुण्डि को राम की अनंतता का ज्ञान होता है।
इसके साथ ही, आगंतुक आत्ममंथन गैलरी का आनंद भी ले सकते हैं, जो 20 फीट की ऊंचाई पर एक नया अनोखा 3D अनुभव प्रदान करती है। यह गैलरी आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक चिंतन के लिए एक प्रेरणादायक स्थल है। इसमें ब्रह्माण्ड दर्शन, कैलाश मानसरोवर यात्रा, और पंच तत्व जैसी धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभूतियों का प्रदर्शन किया गया है, जो पर्यटकों को भगवान शिव की दिव्यता और भव्यता का अनुभव कराते हैं।
यह जानना भी दिलचस्प होगा कि यह मूर्ति दुनिया में भगवान शिव की सबसे बड़ी मूर्ति है, जो 32 एकड़ में फैली हुई है और कुल ऊंचाई 112 मीटर है। इसे 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट से बनाया गया है। इस मूर्ति का जीवनकाल लगभग 250 वर्ष अनुमानित किया गया है। इसे 250 किमी प्रति घंटे तक की हवाओं को आसानी से झेलने और भूकंपीय क्षेत्र IV में भी स्थिर रहने के हिसाब से डिज़ाइन किया गया है। प्रतिमा में 270 फीट और 280 फीट की ऊंचाई पर दीर्घाएँ हैं, जो कांच के रास्ते से जुड़ी हुई हैं।
शिव की यह दर्शनीय मूर्ति अपने आप में अद्भुत है, और यहां पर धार्मिक आस्थाओं और संस्कारों का पालन भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्रद्धालु नंगे पांव इस स्थल पर प्रवेश करते हैं, जिससे धार्मिकता का भाव और भी प्रबल हो जाता है। सनातन धर्म के लिए भगवान शिव एक आस्था का केंद्र हैं, ऐसे में धर्म से जुड़ी सभी गतिविधियों का यहां विशेष ध्यान रखा गया है।
इस प्रतिमा के निर्माण के साथ ही नाथद्वारा में रोजगार और उद्यम के नए-नए अवसर भी प्रदान किए जा रहे हैं। विश्वास स्वरूपम में प्रत्यक्ष रूप से 500 से अधिक लोगों को रोजगार मिला है और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को उद्यम के अवसर प्राप्त हुए हैं। पहले जहां होटलों में लोगों का रुकना ज्यादा नहीं होता था, अब लोगों का रुकना ज्यादा हो रहा है, जिससे स्थानीय बाजार, परिवहन और रेस्टोरेंट में देर रात तक चहल-पहल रहने लगी है। स्थानीय व्यापारियों को इस प्रतिमा से काफी लाभ हो रहा है, जिसमें ऑटो चालकों, चाय विक्रेताओं, और हस्तशिल्प विक्रेताओं से लेकर अन्य छोटे व्यवसायों तक शामिल हैं।
नाथद्वारा, जो पहले मुख्यतः एक धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता था, अब 'विश्वास स्वरूपम' की वजह से वैश्विक स्तर पर भी प्रसिद्धि प्राप्त कर रहा है। यहां आने वाले पर्यटकों की बढ़ती संख्या ने इस नगरी को एक नए वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में भी उभारा है, जिससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को एक नया प्रोत्साहन मिला है। इस प्रकार, 'विश्वास स्वरूपम' न केवल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह नाथद्वारा को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान भी दिला रहा है।
तत्पदम उपवन द्वारा संचालित यह स्थल न केवल आध्यात्मिकता का केंद्र है, बल्कि समाज के लिए अनेक महत्वपूर्ण सेवाएँ भी प्रदान करता है। तत्पदम उपवन द्वारा स्थापित 'अन्नक्षेत्र' में कोई भी जाकर मुफ्त में भोजन कर सकते है।यहाँ प्रतिदिन हजारों लोगों को भोजन कराया जाता है।
यही नहीं मिराज समूह द्वारा संचालित गौशाला में 1500 से अधिक गायों और 500 से अधिक नंदी की देखभाल की जाती है। मिराज समूह ने नाथद्वारा और उदयपुर में कई सौंदर्यीकरण और वृक्षारोपण अभियान भी चलाए हैं। इन अभियानों में शहर में बगीचों और चौराहों का निर्माण भी शामिल है, जो क्षेत्र के पर्यावरण और सौंदर्य को समृद्ध करने का प्रयास है। वर्तमान में मिराज समूह एक करोड़ पेड़ लगाने के लक्ष्य पर कार्य कर रहा है, इसके अंतर्गत 2 करोड़ 82 लाख से अधिक वृक्ष और बीजारोपण किया जा चुका है ।