राजस्थान के प्रति कृशक परिवार की औसत मासिक आय 7350 रूपये

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Published on : 10 Aug, 16 16:08

पश्चिमी राजस्थान के बंजर जिलों में कृशक संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है केन्द्र सरकार

नई दिल्ली । राजस्थान के राज्यसभा सांसद श्री रामनारायण डूडी द्वारा राज्यसभा में पूछे गए राजस्थान के कृशक परिवारों की आय एवं संरक्षण से संबंधित सवाल का जवाब देते हुए केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्राी श्री संतोश गंगवार ने बताया कि राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) द्वारा देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 70 वें एनएसएस राउंड (जनवरी, 2013 से दिसम्बर, 2013) के दौरान कृषि वर्ष जुलाई, 2012-जून, 2013 की संदर्भ अवधि के लिए कृशक परिवारों में किए गए स्थिति मूल्यांकन सर्वेक्षण (एसएएस) के अनुसार राजस्थान राज्य में प्रति कृशक परिवार की औसत मासिक आय 7,350 रूपये है तथा राजस्थान राज्य में प्रति कृशक परिवार के बकाया ऋण की औसत राशि 70,500 रूपये है।
श्री गंगवार ने बताया कि राजस्थान सहित देश में किसानों की ऋण माफी का कोई प्रस्ताव सरकार के विचारधीन नहंी है। तथापि, किसानों के ऋण बोझ को कम करने हेतु, कृषि कार्य के लिए झंझट रहित संस्थागत ऋण की उपलब्धता बढाने हेतु और किसानों द्वारा झेली जा रही परेशानियों को कम करने के लिए सरकार कटिबद्ध है और केन्द्र सरकार पश्चिमी राजस्थान के बंजर जिलों सहित पूरे देश में किसानों को 7 प्रतिशत की घटी ब्याज दर पर कृषि ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार 1 लाख रूपये तक के अल्पावधि फसल ऋणों के लिए ब्याज सहायता योजना कार्यन्वित करती है। 3.00 योजना के अन्तर्गत उक्त जो किसान अपने अल्पवधि फसल ऋण का तत्परता से पुनर्भगतान कर देते है, उन्हें 3 प्रतिशत की अतिरिक्त सहायता दी जाती है, इस प्रकार ऐसे किसानों के लिए ब्याज की प्रभावी दर घटकर 4 प्रतिशत प्रतिवर्ष हो जाती है।
इसी तरह प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों में संबंधित संस्थाओं द्वारा प्रदान करने के उपायों के लिए आरबीआई ने निर्देश जारी किए है जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ विद्यमान फसल ऋणों तथा सावधि ऋणों की पुनसंरचना/पुर्नअनुसूचीकरण करना, नए ऋण उपलब्ध करना, शिथिल प्रतिभूमि तथा मार्जिंन मानदंड अधिस्थगन अवधि इत्यादि शामिल है। इन दिश-निर्देंशों को दस प्रकार तैयार किया गया है कि संबंधित जिला प्राधिकारियों द्वारा आपदा की घोशणा होते ही वे बिना किसी हस्तक्षेप के स्वतः प्रभावी हो जाते है और इससे बहुमूूल्य समय की बचत होती है। बैंकों द्वारा राहत उपाय प्रारम्भ करने के लिए बैचमार्क को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन ढ़ाचे के अनुरूप् 33 प्रतिशत फसल हानि तक घटा दिया गया हैं।
श्री गंगवार ने बताया कि किसानों को लाभांवित करने के लिए 1 अप्रेल, 2016 को ’’प्रधामंत्राी बीमा योजना’’ का शुभारंभ किया गया था। इस योजना के अन्तर्गत बीमित राशि का एक समान प्रीमियम प्रभारित किया जाना है जो कि सभी खरीफ फसलों के लिए 2 प्रतिशत और रबी फसलों के 1.5 प्रतिशत है। बागवानी फसलों के लिए वार्षिक प्रीमियम बीमित राशि का 5 प्रतिशत होगा।
गैर संस्थागत उधारदाताओं के ऋणी आपदाग्रस्त किसानों को ऋण आरबीआई द्वारा जारी प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रा उधार (पीएसएल) दिशा-निर्देश के अन्तर्गत कृषि ऋण की एक पात्रा श्रेणी है। इसका उद्देशय साहूकारों को अपने ऋण की चुकौती के लिए किसानों को झंझट राहित संस्थागत ऋण उपलब्ध कराना है।

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