सुख दुःख कर्म से मिलते है: आचार्य रविरत्नसूरी

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Published on : 06 Jun, 23 02:06

पावापुरी में शुरू हुआ युवा संस्कार शिविर

सुख दुःख कर्म से मिलते है: आचार्य रविरत्नसूरी

सिरोही। आचार्यश्री रविरत्नसूरी ने कहा कि जीवन में सुख दुःख परमात्मा नही देते हैं बल्कि वो कर्म के आधार पर मिलते हैं। आचार्यश्री ने युवाओं से कहा कि वे ज्ञान रूपी दीपक, श्रद्धा जैसा संगीत व चारित्र निर्माण जैसा अनुठा कार्य करने का संकल्प लेकर शिविर में भाग लेवें। उन्होने ये विचार सोमवार को पावापुरी तीर्थ जीव मैत्रीधाम में के. पी. संघवी परिवार की ओर से आयोजित सात दिवसीय युवा संस्कार शिविर के शुम्भारम्भ पर अपने प्रवचन में कहे।

पंन्यास प्रवर वैराग्यरत्न म. सा. ने कहा कि संस्कार शिविर संस्कारी मानव बनाने की एक काॅलेज है ओर इस काॅलेज में जो पढता है, लिखता है उसे समझकर अपने जीवन में अपनाता है वो एक श्रेष्ठ नागरिक बनता हैं। उन्होने कहा कि इन शिविरों मे ज्ञान का बीजारोपण होता हैं ओर यही बीज आगे जाकर पौधे के रूप में समाज मे गुलाब के फुल की तरह खिलते हैं। उन्होने युवाओं से कहा कि अभी उनमें जोश ओर उमंग हैं ओर यही समय हैं चेतना को जागृत करने का।

उन्होनें कहा कि दुरदर्शिता का एक उदाहरण पावापुरी तीर्थ हैं जिसके निर्माता के पी संघवी परिवार ने यहां से सम्यक ज्ञान व दर्शन का अवसर देकर एक अलोकिक काम किया हैं।

पंन्यास प्रवर ने कहा कि मानव में परिवर्तन की सम्भावना होती हैं। मानव के गलत कार्यो पर उसे पशुओं की उपाधि जैसे कुत्तो की तरह लडते हैं, घोडे की तरह दौडता है, पाडे की तरह बेठा है, दी जाती हैं ओर मानव जब परोपकार व सामाजिक सरोकार के काम करता है तो कहते हैं कि ’’ यह तो देवता की तरह हैं ’’ की उपाधि देते हैं। 

शिविर का शुम्भारम्भ पावापुरी तीर्थ जीव मैत्रीधाम के संस्थापक के पी संघवी परिवार की प्रमुखा एवं 31 वे वर्षीतप की आराधका तपस्वीरत्न श्रीमती रतन बेेन बाबुलाल संघवी एवं कीर्ति भाई एच. संघवी ने माँ सरस्वती एंव शंखेश्वर पाश्र्वनाथ भगवान की तस्वीर के आगे दीप प्रज्जवलन कर किया। संगीतकार ने नवकार मंत्र के संगीतम्य जाप करवाये ओर सभी उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं एवं शिविराथियों ने सामूहिक गुरूवंदन कर शासन गीत गुनगुनाया। शिविर में अध्यन करवाई जाने वाली पुस्तके आचार्यश्री को तपस्वीनी रतनबेन संघवी एवं कीर्तिभाई संघवी ने वोहराई।

शिविर संचालक ओमप्रकाश वैष्णव ने शिविर के आयोजन पर प्रकाश डालते हुऐ कहा कि भटकती हुई युवा पीढी को सही मार्ग पर लाने के लिए ऐसे संस्कार शिविरों की वर्तमान में उपयोगिता व आवश्यकता हैं। उन्होने अब तक सम्पन्न 54 शिविरों के अनुभव प्रस्तुत कियें।

आचार्यश्री का आगामी चार्तुमास रानीवाडा में होने पर रानीवाडा युवा जैन संघ का एक प्रतिनिधि मंडल दिलीप दादा के नेतृत्व में आचार्यश्री का आर्शीवाद लेने पावापुरी पहुंचा ओर यंहा पर चार्तुमास के आयोजन सम्बन्धित एक बैनर का लोकार्पण पावापुरी ट्रस्ट के संस्थापक कीर्तिभाई संघवी के कर कमलों से कराया। पावापुरी ट्रस्ट की ओर से दिलीप दादा एवं पाली से पधारे शांतिलाल जैन का बहुमान किया गया।

इस शिविर का संचालन आमेप्रकाश वैष्णव के नेतृत्व में होगा जिसमें सहदेव-रोहिडा, सुरेश डीसा, छगन भाई व कल्पेश भाई शामिल हैं। शिविर में पक्षाल सालेचा व राहुल जैन, पाली, योगेश जैन जोधपुर व जैनम जैन सिरोडी कक्षा मानिटर के रूप में कार्य करेगें। प्रारम्भ में पावापुरी ट्रस्ट के मेनेजिंग ट्रस्टी महावीर जैन ने शिविर में आए युवाओं, अतिथियों का ट्रस्ट की ओर से स्वागत करते हुऐ बताया कि शिविर में 162 युवा भाग ले रहे हैं।

रानीवाडा जैन संघ की ओर से दिलीप भाई ने आचार्य श्री के चार्तुमास प्रवेश पर 27 जुन को रानीवाडा पधारने का आमंत्रण दिया। 


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