कोलाचार्य माई बाब बना रहे है भारत माता मंदीर भिवानी हरीयाणा में

( 6767 बार पढ़ी गयी)
Published on : 10 Oct, 23 12:10

बाबा चार माह रहते है कामख्या देवी के पास करते है आराधना

कोलाचार्य माई बाब बना रहे है भारत माता मंदीर भिवानी हरीयाणा में

मै रहुुं या न रहुं भारत माता मंदीर जरूर बनेगा। यह बात कोलाचार्य माई बाबा ने विशेष बातचीत मंे कही। उदयपुर विशेष प्रयोजन से पधारे बाबा ने बताया कि आज सनातन संस्कृति के पतन के लिए कोई और नही हम खुद जिम्मेदार हैै। आज हम सब जगह जाते मगर मंदीर जाने में हमें शर्म आती है हम अपने बच्चों को सनतान की जानकारी देने को तैयार नही है यह हमारे बच्चों व आने वाली पीढ़ी के लिए हम अच्छा नही कर रहे है। हमें अपनी बच्चीयों में संस्कार डालने होगें। कोलाचार्य माई बाब ने कहा कि भारत माता मंदीर अखण्ड भारत के निर्माण का सपना है जिसमें वापस भारत से अलग हऐ समस्त वर्तमान देशों को जोडते हुऐ प्राचीन अखण्ड भारत का विशाल चित्र बनाया जायेगा। भारत माता मन्दीर सात मंजील का होगा तथा इसके लिए जमीन चयनीत कर उस पर काम प्रारम्भ कर दिया गया है।

मां बगलामुखी की तांत्रिक विधि से आराधना करने वाले कोलाचार्य माई बाब जो लगभग 35 से अधिक समय से मां कामख्या देवी की आराधाना कर रहे है मढ़ी मन मुकुंद दिगम्बर खुशाल भारती महाराज के विशेष आग्रह पर उदयपुर पधारे है। जिनके बारे में मढ़ी मन मुकुंद दिगम्बर खुशाल भारती महाराज ने कहा है कि अगर किसी धर में कोई दोष है तो वह कोलाचार्य माई बाबा के धर में प्रवेश करते ही स्वतः समाप्त हो जाता है। कोलाचार्य माई बाबा ने हमे बताया कि मां बगलामुखी की तांत्रिक विधि से आराधना का ऐसा वृहद आयोजन विश्व में पहली बार हो रहा है। यह मेवाड़ और उदयपुर का सौभाग्य है कि 54 कुण्डीय महायज्ञ यहां पर करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि हर यज्ञकुण्ड पर 5 यजमान बैठेंगे। महायज्ञ में बैठने वालों को ब्रह्मचर्य, दश विधि स्नान सहित विभिन्न नियमों की पालना करनी होगी। काशी से पधारे कालीचरण, स्थानीय आचार्य रजनीकांत आमेटा व 135 ब्राह्मणों के शास्त्रोक्त दिशा-निर्देशन में महायज्ञ किया जाएगा। इस अनुष्ठान के लिए यज्ञ भूमि पर 3 अक्टूबर को धर्मध्वजा की स्थापना कर यज्ञशाला का निर्माण प्रारंभ किया जा चुका है। महायज्ञ में प्रतिदिन यज्ञाहुतियां दी जाएंगी, इसके लिए बड़ी मात्रा में हविष्य सामग्री, साकल्य आदि का उपयोग होगा जिसकी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। इस महायज्ञ में 4 लाख 68 हजार आहुतियां होंगी।

माई बाबा ने कहा कि मेवाड़ की धरती धर्म धरा है। यहां प्राचीन काल से धर्म-न्याय का राज रहा है। यहां महाराणा प्रताप जैसे वीर प्रतापी योद्धा हुए हैं। एक समय था जब इस धरा पर 10 हजार गुरुकुल होते थे। इस धरा पर धर्म-न्याय प्रखर हो, यह कामना भी महायज्ञ में की जाएगी। माई बाबा ने कहा कि मां बगलामुखी अपने आराधकों को ज्ञात-अज्ञात परेशानियों से निजात पाने की कामना पूर्ण करती है, मानसिक संताप हरती है और सम्बल प्रदान करती है।

मां बगलामुखी को सर्व सिद्धिदात्री के रूप में माना गया है। मारन, उच्चाटन, सम्मोहन, वशीकरण, स्तम्भन आदि समाधान सहित व्यापार में वृद्धि, बंधनों का समाधान, नवग्रह समाधान, लक्ष्य सिद्धि, संतान योग, विवाह योग आदि के लिए मां बगलामुखी की आराधना का महत्व माना गया है। मां बगलामुखी को राजनीति क्षेत्र की भी आराध्या माना गया है। एक सवाल के जवाब में माई बाबा ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी कांगड़ा पीठ जाकर अनुष्ठान करवाया था।

निरंजनी अखाड़ा के मढ़ी मनमुकुंद दिगम्बर खुशाल भारती महाराज ने कहा कि नवरात्रा स्थापना के साथ ही चातुर्मास के पूर्ण होने तक देश के प्रमुख धर्माचार्यों का यहां पदार्पण होने वाला है। इनमें शंकराचार्य निश्चलानंद, पंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अवधेशानंद महाराज, निरंजनी पंचायती अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य कैलाशानंद महाराज आदि शामिल हैं। उन्होंने राजनीति और धर्माचार्यों के बीच जुड़ाव के सवाल पर कहा कि राजनीति के लिए धर्मनीति का आचरण व आश्रय आवश्यक है। यह देश सनातन संस्कृति का देश है। राजनीति कभी सनातन की उपेक्षा नहीं कर सकती।

बड़बड़ेश्वर महादेव मंदिर को सनातनी चातुर्मास के दौरान एक तीरथ का स्वरूप देने के बाद किसी धर्म-अध्यात्म के निरंतर प्रवाह की परियोजना के सवाल पर खुशाल भारती महाराज ने कहा कि कुछ कहने से पहले कर दिया जाना उचित रहता है। जनता को कार्य होने के बाद पता चले कि हो गया है, वह ज्यादा ठीक रहता है।


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.