पूर्व कुलपति प्रो. डीपी तिवारी एवं प्रो.अमेरिका सिंह के मध्य शिष्टाचार भेंटवार्ता

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Published on : 27 Mar, 24 10:03

पूर्व कुलपति प्रो. डीपी तिवारी एवं प्रो.अमेरिका सिंह के मध्य शिष्टाचार भेंटवार्ता, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में आदिवासी शिक्षा के विकास एवं इन्हे उच्च शिक्षा की मुख्यधारा में लाने सहित विभिन्न मुद्दों पर हुई चर्चा

पूर्व कुलपति प्रो. डीपी तिवारी एवं प्रो.अमेरिका सिंह के मध्य शिष्टाचार भेंटवार्ता

लखनऊ | आरा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डीपी तिवारी एवं जय मिनेश आदिवासी विश्वविद्यालय रानपुर कोटा के कुलपति एवं मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर अमेरिका सिंह के मध्य शिष्टाचार भेंट वार्ता हुई। इस अवसर पर वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सफल क्रियान्वयन, युवाओं की कौशल शिक्षा एवं आदिवासी शिक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श एवं चर्चा हुई। प्रोफेसर अमेरिका सिंह ने प्रोफेसर डीपी तिवारी को राज्यपाल श्री कलराज मिश्र द्वारा लिखित पुस्तक निमित्त मात्र हुँ मैं की प्रति भेंट की।गौरतलब हैं की राज्यपाल मिश्र के जीवन वृत पर आधारित पुस्तक निमित्त मात्र हुँ मैं शिक्षाविदों का निरंतर मार्गदर्शन कर रही हैं।प्रो सिंह ने कहा कि श्री मिश्र की कार्यशैली सभी से हटकर है। लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्हें सभी का सम्मान और स्नेह मिला है। मिश्र जिस भी दायित्व पर रहे, जनकल्याण सदैव उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता में रहा है। ऐसे विराट व्यक्तित्व की जीवनी निश्चय ही युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी साबित होगी।

चर्चा के दौरान पूर्व कुलपति प्रोफेसर अमेरिका सिंह ने कहा की आदिवासी लोग सांस्कृतिक विरासत और कला और शिल्प के कौशल से समृद्ध होते हैं लेकिन वे अभी भी उच्च शिक्षा के संबंध में के रूप में अच्छी तरह से जीवन के अन्य क्षेत्रों में हाशिए पर हैं। लेकिन वास्तविक अर्थों में भारतीय संस्कृति के सच्चे संरक्षक हैं, जय मिनेश आदिवासी विश्वविद्यालय द्वारा उनके पुनरुत्थान और सांस्कृतिक संरक्षण के दिशा में किए गए प्रयास सराहनीय और अनुकरणीय है। इस विश्वविद्यालय ने आदिवासी शिक्षा के उत्कृष्टता केंद्र के रूप में अपनी पहचान स्थापित की हैं। जो की आदिवासी विद्यार्थियों सहित सर्व समुदाय के उच्च शिक्षा के महान उद्देश्यों एवं मिशन को पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।मुख्य रूप से जनजातीय सहित सर्वसामुदाय शिक्षा के अवसर , विशेष रूप से उच्च शिक्षा और अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करने में यह विश्वविद्यालय अग्रणी भूमिका निभा रहा हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य शिक्षा तक पहुंच सहित  उच्च शिक्षा के सभी स्तरों पर समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना है। इस नीति ने आदिवासियों की शिक्षा को राष्ट्रीय दृष्टिकोण प्रदान किया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की यह महान परिकल्पना राष्ट्र के विकास में सीधा योगदान देती है

पूर्व कुलपति एवं जय मिनेश विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंट प्रो. डीपी तिवारी ने कहा कि विश्व का प्रथम आदिवासी विश्वविद्यालय जय मिनेश आदिवासी विश्वविद्यालय आदिवासी समाज के विद्यार्थियों के साथ ही अन्य वर्गों के विद्यार्थियों को बिना भेदभाव उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान के समुचित अवसर उपलब्ध करवा रहा हैं। यह छात्रों को शिक्षण,अनुसंधान, रचनात्मक और आउटरीच गतिविधियों के माध्यम से समृद्ध बहुसांस्कृतिक दुनिया में नेतृत्व के लिए तैयार कर रहा है ताकि राष्ट्र की आकांक्षा को पूरा किया जा सके। इसका मुख्य ध्यान आदिवासी लोगों की सांस्कृतिक विरासत और परंपरा के संरक्षण और संवर्धन पर है और साथ ही यह उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार के लिए भी प्रयासरत है। राजस्थान में आदिवासी शिक्षा सहित सर्व समुदाय के लिए यह विश्वविद्यालय शोध अनुसंधान में उच्च शिक्षा में समुचित अवसर उपलब्ध करा रहा है। अपनी स्थापना के अल्प समय में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ इस विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ख्याति अर्जित की है जिससे असंख्य विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं।अपनी स्थापना वर्ष से ही राष्ट्रीय शिक्षक नीति के अनुरूप यह विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर होते हुए हाडोती संभाग सहित सम्पूर्ण राजस्थान के असंख्य आदिवासी विद्यार्थियों कों विश्वविद्यालय से जुड़कर उच्च शिक्षा के मुख्य धारा में शामिल कर चुका हैं।


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