साई तिरूपति विश्वविद्यालय में युवामंथन कार्यक्रम 

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Published on : 14 Apr, 24 06:04

साई तिरूपति विश्वविद्यालय में युवामंथन कार्यक्रम 

उदयपुर। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, भारत सरकार, नई दिल्ली ने 2023 में सभी संस्थानों में युवामंथन देश के युवाओं को जागरूक करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान ‘‘2047 तक भारत की यात्रा को प्रज्वलित करना: एक विकसित भारत का दृष्टिकोण’’ उच्च शिक्षा विभाग के पूर्वावलोकन के तहत देश के अनुभवात्मक शिक्षण कार्यक्रम आयोजित करके एक विशिष्ट कार्यक्रम शुरू किया।
साई तिरूपति विश्वविद्यालय (एसटीयू), उदयपुर ने उपरोक्त यूजीसी संचार द्वारा प्रदान किए गए लिंक के माध्यम से इस कार्यक्रम के तहत भागीदारी के लिए पंजीकरण कराया। एसटीयू को युवामंथन मॉडल यूनाइटेड नेशंस (वायएमयूएन) केएक विशिष्ट विषय ‘‘पर्यावरण पहल के लिए जीवन शैली : लाइफ’’ निबंध, पोस्टर और वाद-विवाद प्रतियोगिताएं तीन विशिष्ट गतिविधियों के संचालन का काम सौंपा गया।
एसटीयू के प्रबंधन, शिक्षकों, कर्मचारी, स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों ने इस कार्यक्रम में जोश और उत्साह के साथ भाग लिया। इंटर्न सहित एमबीबीएस छात्रों के सभी बैचों के लिए ‘पर्यावरण पहल के लिए जीवन शैली : जीवन’ विषय पर पोस्टर प्रतियोगिता में 30 छात्रों ने भाग लिया था। इसके बाद निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें 50 छात्रों ने भाग लिया। वाद-विवाद प्रतियोगिता में 15 छात्रों ने भाग लिया था। इन सभी आयोजनों का निर्णायक मंडल के रूप में वरिष्ठ संकाय सदस्यों द्वारा निर्णय लिया गया। सभी कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में छात्र, शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित हुए और प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया।
अध्यक्ष आशीष अग्रवाल और श्रीमती शीतल अग्रवाल ने विश्वविद्यालय स्तर पर कार्यक्रमों के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक सभी सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध कराए। एसटीयू के कुलपति डॉ. बी. एल. कुमार, रजिस्ट्रार डॉ. देवेन्द्र जैन, प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ. सुरेशचंद्र गोयल, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. चंद्रा माथुर और विश्वविद्यालय के पूरे प्रबंधन ने कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए बिना शर्त समर्थन और सहयोग प्रदान किया। विभिन्न गतिविधियों का मूल्यांकन डॉ. प्रवीण खैरकर, डॉ. हरिराम, डॉ. नितेश मंगल और डॉ. चिंतन दोषी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के समन्वयक सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर एवं प्रमुख डॉ. दिलीपकुमार पारीक थे। इस आयोजन में सामुदायिक चिकित्सा विभाग के संकाय सदस्यों, मेडिकल सोशियल वर्कर और कर्मचारियों ने सक्रिय रूप से योगदान दिया।


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