उदयपुर, पैसिफिक इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ (पिम्स) उमरड़ा में गम्भीर बीमरी से पीडि़त एक नवजात की सफलता पूर्वक सर्जरी कर उसे नया जीवन प्रदान किया गया। नवजात बच्चे के खाने की नली में छेद होने की वजह से उसे श्वांस लेने में भी भारी दिक्कत हो रही थी।
पिम्स हॉस्पिटल उमारड़ा के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. अतुल मिश्रा ने बताया कि सराड़ा निवासी परिजन अन्य अस्पताल से नवजात को लेकर पिम्स में पहुंचे थे। उस दौरान नवजात की नाजुक हालत हो देखते हुए तुरन्त उसकी सभी जाचें की गई और उसे वेंटीलेटर पर लिया गया। सीटी स्केन के बाद यह स्पष्ट हो गया कि बच्चे की खाने की नली में छेद है। जिसका असर बच्चे के दाएं फेफड़े पर आ रहा था। इस कारण फेफड़ा भी पूरी तरह पिचक गया था।
सारी स्थितियां स्पष्ट होने के बाद बच्चे की जान बचाना चुनौतिपूर्ण था। बीमारी की गम्भीरता को देखते हुए बच्चे की छाती में नली डाली गई। लेकिन इससे भी कोई खास सफलता नहीं मिलने पर तमाम जोखिमों ओर चुनौतियों के बीच नवजात के ऑपरेशन की निर्णय लिया गया। छाती में किया गया ऑपरेशन सफल रहा और नवजात की जान बच गई। ऑपरेशन के बाद नवजात को गहन चिकित्सा इकाई में डॉक्टरों की कड़ी निगरानी व वेंटीलेटर रखने के बाद बच्चे की हालत में लगातार सुधार हुआ। आज की तारीख में नवजात पूर्णत: स्वस्थ है एवं आराम से दुग्ध पान कर रहा है।
संघ चेयरमैन आशीष अग्रवाल ने बताया कि लगभग एक महीने तक भर्ती रहे नवजात का पूरा इलाज चिरंजीवी भामाशाह योजना के तहत नि:शुल्क हुआ है।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि ऐसी परिस्थितियां नवजात बच्चों में समय से पूर्व जन्म लेने से पैदा होती है। जन्म के समय आक्सीजन की कमी, गंभीर हालत के दौरान दिए गए सीपीआर एवं खाने की नली डालने जैसे कई कारणों से हो सकती है। लेकिन समय पर और सही इलाज कराने से नवजात को ऐसी गम्भीर बीमारी से मुक्ति दिलाकर उसकी जान बचाई जा सकती है। इस पूरी प्रक्रिया में डॉ. मिश्रा नवजात शिशु विशेषज्ञ, पीडियाट्रिक विभाग के डॉ. अंकित पांचाल के अलावा डॉ. विवेक पाराशर, डॉ. राहुल खत्री, निश्चेतना विभाग की डॉ. कमलेश, डॉ. पीनू, डॉ. हार्दिका, डॉ. ज्योती व स्टाफ रेश्मा, दीपक, अमित, अशोक व अरुण ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।