श्रीगंगानगर, पिछले कुछ महीनों से रेलवे को लेकर सोशल मीडिया में भ्रामक व गलत तथ्यों के साथ जानकारी पोस्ट करने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। खास बात ये है कि इसमें कुछ बड़े राजनीतिक दल के सोशल मीडिया अकाउंट भी शामिल हैं। इन सोशल मीडिया अकाउंट से बिना तथ्यों की जांच किए हुए गलत वीडियो ट्विटर पर पोस्ट कर ना सिर्फ रेलवे की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही हैए बल्कि लोगों के मन में भी रेलवे के प्रति गलत धारणा पैदा करने की कोशिश हो रही है।
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में रविवार को हुए रेल हादसे का मामला भी ऐसा ही है। रेलवे ने इसे गलत बताते हुए आधिकारिक रूप से इसका खंडन किया है। रेलवे के अनुसार जांच में पता चला कि ये घटना सोनभद्र जिले में स्थित अनपरा थर्मल पावर स्टेशन की है। इसमें भारतीय रेल का ना लोको है, ना ट्रैक है और ना वैगन है। रेलवे के सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों से देश के कुछ राजनीतिक दल और उनका इकोसिस्टम लगातार भारतीय रेल के बारे में झूठी खबरें व गलत जानकारी फैलाकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। कुछ दिन पहले एक पुराने वीडियो को फिर से पोस्ट करके नया वीडियो बताया गया और झूठी अफवाह फैलाई गई कि ट्रेन पटरी से उतर गई है। ऐसा ही कुछ आज फिर से देखने को मिला है। सोनभद्र में एक ट्रेन के डिब्बो के पटरी से उतरने की घटना को भारतीय रेल का बताकर ‘‘सोशल मीडिया ट्रोल आर्मी’’ फिर से पोस्ट करने लगी। जबकि वह ट्रेन और पटरी भारतीय रेल की है ही नहीं। इस तरह की गलत जानकारी और फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर डालकर रेलवे की छवि धूमिल करने की लगातार कोशिश की जा रही है। रेलवे से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कुछ दिनों पूर्व भी सोशल मीडिया पर रेलवे की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया था।
भिवानी में ट्रेन के पटरी से उतकर खेत में इंजन का वीडियो दिखाकर केरल कांग्रेस की यूनिट के अधिकृत ट्विटर हैंडल से सोशल मीडिया पर वीडियो प्रचारित किया गया था और रेलवे की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए थे। इसमें कांग्रेस के एक ‘‘इकोसिस्टम’’ द्वारा वर्षों पुरानी इस घटना को बहुत बड़े स्तर पर प्रसारित किया गयाए लेकिन रेलवे की तरफ से आधिकारिक रूप से इस पर प्रतिक्रिया देने के बाद उन्हें ट्वीट हटाने पड़े थे। कुछ दिनों पहले ऐसा ही एक और मामला देखने को मिला जब एक वीडियो में दावा किया गया था कि वंदे भारत ट्रेन दूसरे इंजन पर चढ़ गई है। जबकि सच्चाई यह थी कि ये वीडियो भारत का नहीं बल्कि चिली का था। इसके अलावा हाल ही में प्लेटफार्म पर ट्रेन के चढ़ने का 9 साल पुराना वीडियो सोशल मीडिया में डालकर रेलवे की छवि खराब करने की कोशिश की गई। ऐसे ही एक फेक न्यूज सोशल मीडिया पर खूब फैलाई गई कि पुल के ऊपर दो ट्रेनें भिड़ गई हैं और कोच नदी में गिर गए हैंए जबकि ये घटना भी भारत में नहीं हुई थी। कई सालों पहले चीन में हुई इस घटना को भारत का बताया गया। रेलवे सूत्रों के अनुसार, जिस तरह से बार-बार फर्जी खबरों और वीडियो के जरिए रेलवे को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है उस पर कुछ ही दिनों पहले रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में भी ऑन रिकॉर्ड यह बात रखी थी और कहा था कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का इकोसिस्टम छोटी घटनाओं को भी बड़ा बना रहा है और अपनी ट्रोल आर्मी के ज़रिए सोशल मीडिया पर गलत खबरें फैला रहा है। उन्होंने अपनी बात रखते हुए संसद में इसका उदाहरण देते हुए कहा था कि अयोध्या रेलवे स्टेशन की एक पुरानी दीवार को गिरा हुआ दिखाकर नए रेलवे स्टेशन की दीवार बताया गया और खूब वायरल किया गया। रेलवे सूत्रों के अनुसारए यह काफी दुखद है कि रेलवे को बदनाम करने की साजिश ऐसे समय में हो रही है जब वो अपने कायाकल्प के सबसे सुनहरे दौर से गुजर रहा है और इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल कर रहा है।
पिछले 10 वर्षों में रेलवे ने 31,180 ट्रैक किलोमीटर चालू किए हैं। ट्रैक बिछाने की गति 2014-15 में 4 किलोमीटर प्रतिदिन से बढ़कर 2023.24 में 14.54 किलोमीटर प्रतिदिन हो गई है। 2014-2024 के दौरान भारतीय रेलवे ने 41,655 रूट किलोमीटर (आरकेएम) का विद्युतीकरण किया है, जबकि 2014 तक केवल 21,413 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण किया गया था