कार्यक्रम 'अपनों से अपनी बात' : आपबीती सुनाते फफक पड़े दिव्यांगजन  

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Published on : 10 May, 25 02:05

कार्यक्रम 'अपनों से अपनी बात' :   आपबीती सुनाते फफक पड़े दिव्यांगजन  

उदयपुर, नारायण सेवा संस्थान में त्रिदिवसीय 'अपनों से अपनी बात' कार्यक्रम के दूसरे दिन शुक्रवार को अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि कठिन एवं प्रतिकूल परिस्थितियों में व्यक्ति का एकमात्र सहायक संयम ही है। धैर्य रखने से हालात को अनुकूल बनाने की राह मिलती है। जब दूसरों की मुसीबत में हम बढ़ेंगे तो हमारी मदद के लिए भी हाथ स्वतः आगे आएंगे।
इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों से आए दिव्यांगजन भाग ले रहे हैं। संस्थान ने इनके लिए विशेष नारायण कृत्रिम हाथ- पैर बनवाए हैं। जिन्हें पहनकर यह उठने- बैठने और चलने और उनसे काम लेने का ऑर्थोटिस्ट प्रशिक्षक की देखरेख में अभ्यास कर रहे हैं।
कार्यक्रम में हरिद्वार की दिशा सेन, प्रतापगढ़ के पंकज कुमार, महाराष्ट्र -अकोला के जय कुमार, हरियाणा -अंबाला के रणजीत सिंह, दिल्ली की मीना कुमारी, उत्तर प्रदेश -गोंडा के आदित्य सिंह सहित अन्य दिव्यांगजन हादसों में हाथ -पैर अथवा पैर से विकलांगता की व्यथा - कथा सुनाते हुए फफक पड़े।

अग्रवाल ने कहा कि व्यक्ति को कभी अहंकार नहीं करना चाहिए। अहंकार से बल, बुद्धि और समृद्धि का नाश होता है। जिनके पास ये तीनों चीजें हैं, वे समाज में परिवर्तन ला सकते हैं। अंधकार में रोशनी की किरण बन सकते है। उन्होंने आग्रह किया कि शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में आज दानवीरों की महती जरूरत है। ये दोनों ही चीजें व्यक्ति की बुनियादी जरूरतें हैं। इसी सोच से सरकार शिक्षा और चिकित्सा को निःशुल्क देने की ओर तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि जीवन में रिश्तों का खास महत्व है। व्यक्ति कितनी भी पद - प्रतिष्ठा और सम्पत्ति पा ले, लेकिन उसके अपने निकटवर्ती लोग ही उसके साथ नहीं हैं, वो सब व्यर्थ है। व्यक्ति की दृढ इच्छा शक्ति और उसके अपने ही उसे सफलता के शिखर तक पहुंचाने में मददगार होते हैं। पद, प्रतिष्ठा और धन तो है, लेकिन सेवा का, परमार्थ और पीड़ित को मुस्कराहट देने भाव और सामर्थ्य नहीं है तो भी जीवन बेकार है। प्रभु हमें किसी की मदद का, किसी को अपनाने और खुद से बदलने का अवसर देते हैं, जिसको अहंकार वश गंवा दे


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