पंचकल्याणक महोत्सव के दूसरे दिन जन्म, तप एवं ज्ञान कल्याण महोत्सव मनाया

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Published on : 11 May, 25 15:05

जन्म, तप एवं ज्ञान के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थःपुण्यसागर महाराज

पंचकल्याणक महोत्सव के दूसरे दिन जन्म, तप एवं ज्ञान कल्याण महोत्सव मनाया

उदयपुर। नवनिर्मित देवाधिदेव 1008 श्री शांतिनाथ जिनालय के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में मुनि श्री पुण्य सागर महाराज के पावन सानिध्य में रविवार को दूसरे दिन विविध धार्मिक एवं मांगलिक आयोजन हुए। महोत्सव के दूसरे दिन जन्म कल्याणक, तप कल्याण एवं ज्ञान कल्याण महोत्सव मनाया गया।
समिति सदस्य सुधीर जैन ने बताया कि रविवार को प्रातः जाप्यानुष्ठान, अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम एवं गर्भकल्याणक पूजन सम्पन्न हुए। 8 बजे से भगवान का जन्म दर्शन, आकार शुद्धि जैसे धार्मिक उपक्रम सम्पादित हुए साथ ही  ततपश्चात जन्माभिषेक का महान मांगलिक आयोजन हुआ।
इसके बाद आयोजन स्थल पर बनाये गये हस्तिनापुर से प्रातः 10 बजे श्रीजी की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। जिसमें सैकड़ो श्रावक-श्राविकाएं शामिल हुए। श्रीजी को बग्घी में विराजमान करवारकर, बैंड बाजो की मधुर धुनों और भजनों के साथ श्रावक श्राविकाएं  भक्ति भाव में नाचते झूलते हुए चल रहे थे। इस दौरान पूरा क्षेत्र श्रीजी के जयकारों से गूंज उठा। शोभा यात्रा विभिन्न क्षेत्रों में होते हुए पुनः हस्तिनापुर पंडाल में पहुंची।
इस दौरान आयोजित धर्म सभा में मुनि श्री पुण्य सागर महाराज ने उपस्थित श्रावकों को जन्म कल्याण, तप कल्याणक एवं ज्ञान कल्याणक महोत्सव का महत्व समझाते हुए कहा कि इनके बिना मनुष्य जीवन व्यर्थ है। जन्म, तप एवं ज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं। बिना पूर्व जन्म के अच्छे कर्मों के बिना मनुष्य जीवन में इनका लाभ मिलना मुश्किल है। गुरुदेव ने कमल गामड़िया परिवार को आशीर्वाद देते हुए कहा कि उनके पूर्व जन्म के कोई ऐसे अच्छे पुण्य कर्म है उनके चलते ही कमल गामड़िया को मंदिर निर्माण का इतना बड़ा पुण्य कार्य करने और पंचकल्याणक के महोत्सव का मांगलिक अवसर मिला। गुरुदेव ने इस पुनीत कार्य के लिए उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया।
शोभायात्रा के बाद पांडुकशिला पर 1008 कलशों से अभिषेक हुआ। मध्यान्ह 12.30 बजे राज दरबार, चक्रवर्ती पदाभिषेक, वैराग्य दर्शन, लोकांतिक देवागमन, दीक्षा पूर्व अभिषेक, वन गमन दीक्षा संस्कार, संस्कार मालारोपण, अंकन्यास, प्रतिष्ठा होम, मंत्रन्यास, गंधाराधना, अधिवासना, तिलक द्रव्य प्रदान, नयनोन्मीलन, सूरिमंत्र केवलज्ञान उत्पत्ति के मांगलिक आयोजन हुए। शाम को 4.30 बजे समवशरण से दिव्य देशना, समवशरण की आरती हुई। शाम बजे-श्रीजी की आरती, शास्त्र सभा, सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।
चातुर्मास के लिए गुरू चरणों में श्रीफल भेंट-सकल दिगंबर जैन समाज की ओर से मुनीश्री पुण्य सागर महाराज के श्री चरणों में चातुर्मास हेतु श्रीफल अर्पित कर चातुर्मास के लिए विनती की। इस दौरान सकल  दिगंबर जैन समाज अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, सुरेश पद्मावत, पारस चित्तौड़ा, अशोक शाह, मदन देवड़ा, रमेश शाह, महावीर सिंघवी आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर शहर विधायक ताराचंद जैन एवं पूर्व उप महापौर पारस सिंघवी भी उपस्थित थे।


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