उदयपुर। वनवासी कल्याण आश्रम की अखिल भारतीय ग्राम विकास सह प्रमुख एवं बप्पारावल मासिक पत्रिका की संपादिका डॉ. राधिका लढा ने कहा कि चाणक्य के अनुसार शिक्षक साधारण नहीं होता, प्रलय और निर्माण उसकी गोद में खेलते हैं। पत्रकार भी उसी प्रकार समाज को दिशा देने वाले शिक्षक की भूमिका का पर्याय है। पत्रकार की कलम जनजाति समाज के विकास का सेतु बनकर जनजाति क्षेत्र को नई पहचान दे सकती है।
वे रविवार को यहां विश्व संवाद केंद्र की ओर से नारद जयंती के उपलक्ष्य में "जनजाति समाज के विकास में मीडिया की भूमिका" विषय पर आयोजित परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रही थीं।
उन्होंने कहा कि आज जनजाति क्षेत्रों में सक्रिय पत्रकारों की संख्या बेहद सीमित है, जबकि वहां कई सामाजिक कुरीतियां जैसे अंधश्रद्धा, डायन प्रथा, भोपा, झोलाछाप डॉक्टर, धर्मांतरण जैसी गंभीर समस्याएं विद्यमान हैं। कुछ क्षेत्रों में बच्चों की बिक्री तक की घटनाएं सामने आती हैं। नक्सलवाद और मानसिक विघटन फैलाने वाली शक्तियां भी सक्रिय हैं। ऐसे में पत्रकारों की जिम्मेदारी बनती है कि वे इन समस्याओं को उजागर कर सरकार और समाज का ध्यान आकर्षित करें।
परिचर्चा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चित्तौड़ प्रांत के सह प्रांत कार्यवाह एवं विद्या भारती जनजाति शिक्षा, राजस्थान क्षेत्र के सचिव नारायण लाल गमेती ने कहा कि जनजाति क्षेत्रों में मीडिया के प्रभावी पगफेरे की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज जनजाति युवा सोशल मीडिया पर शहरी युवाओं से भी अधिक सक्रिय हैं। जनजाति समाज भारतीय संस्कृति का मर्मस्थल है, जिस पर मिशनरियों जैसी बाहरी शक्तियां आघात कर रही हैं। इस समाज से आत्मीय भाव से जुड़कर उसकी सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित करने में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
परिचर्चा में शामिल विचारक रमेश शुक्ल ने कहा कि जनजाति समाज हिंदू समाज का अभिन्न हिस्सा है। उससे दूरी बनना समाज के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। स्वतंत्र लेखक अनिल चतुर्वेदी ने जनजाति समाज में सहजता, सरलता और स्वाभिमान की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमारे भीतर शोषण की प्रवृत्ति आती है तो हम अपने सनातन मूल्यों को भूल जाते हैं। अशोक सोनी ने कहा कि जनजाति समाज की कमियों को उजागर कर सुधार की दिशा में पहल करनी चाहिए।
कार्यक्रम में संघ के सह प्रान्त प्रचारक धर्मेंद्र का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति अध्यक्ष कमल प्रकाश रोहिला ने की। संचालन प्रवीण कोटिया ने जबकि धन्यवाद ज्ञापन नरेंद्र सोनी ने किया।