विरलप्रभाश्रीजी, विपुलप्रभाश्रीजी, कृतार्थप्रभाश्रीजी म. सा. ठाणा 3 का भव्य चातुर्मासिक हुआ प्रवेश

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Published on : 05 Jul, 25 15:07

प्रथम दादा गुरुदेव आचार्य श्री जिनदत्तसूरि महाराज की 871 वीं पुण्य तिथि पर गुणानुवाद सभा आज

विरलप्रभाश्रीजी, विपुलप्रभाश्रीजी, कृतार्थप्रभाश्रीजी म. सा. ठाणा 3 का भव्य चातुर्मासिक हुआ प्रवेश


उदयपुर। साध्वी विरलप्रभाश्रीजी, विपुलप्रभाश्रीजी, कृतार्थप्रभाश्रीजी म. सा. ठाणा 3 का सुरजपोल मेवाड़ मोटर्स गली स्थित श्री जिनदत्तसूरि दादावाड़ी में भव्य प्रवेश हुआ। इससे पूर्व न्यू ज्योति होटल से चातुमार्सिक शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें सभी साध्वी म.सा. के साथ समाजजन एवं महिलायें मंगलगीत गाते हुए बैण्ड बाजों के साथ दादावाड़ी में भगवान महावीर के जयकारे के साथ प्रवेश किया। समारोह के मुख्य अतिथि शहर विधायक ताराचंद जैन थे।
प्रवेश के पश्चात आयोजित धर्मसभा में बोलते हुए विरलप्रभाश्रीजी म.सा. ने कहा कि चातुर्मास के दरम्यान आत्मावलोकन करना आवश्यक है। चातुर्मास हमारें भीतर के पाप मलों को धोने के लिए आता है। भीतर में छुपे हुए क्रोध, मान, माया, लोभ का क्षयोपशम करना चातुर्मास का पावन उद्देश्य है। जैन सन्त ने प्रत्याख्यान पर प्रेरणा देते हुए कहा कि प्रतिदिन उपवास, एकाशन, आयम्बिल, 10 प्रत्याख्यान आदि ग्रहण कर चातुर्मास के दिनों को सफल बनायें। समारोह में अखिल भारतीय खतरगच्छ महिला परिषद की सदस्याओं ने मंगलगीत की प्रस्तुति दी।  
श्री वासुपूज्य महाराज मन्दिर का ट्रस्ट के अध्यक्ष राज लोढ़ा एवं सचिव दलपत दोशी ने बताया कि रविवार 6 जुलाई को तीनों साध्वियों श्रीजी की निश्रा में प्रथम दादा गुरुदेव युगप्रधान आचार्य श्री जिनदत्तसूरि महाराज की 871 वीं पुण्य तिथि महोत्सव मनाया जायेगा।
दलपत दोशी ने बताया कि प्रथम दादा गुरुदेव युगप्रधान आचार्य श्री जिनदत्तसूरिजी ने जैन श्वेताम्बर समाज को वर्तमान स्वरूप प्रदान किया। गुरूदेव श्री जिनदत्तसूरिजी का जीवन श्रमण संस्कृति का ऐसा जगमगाता आलोकपुंज है जो शताब्दियों के काल खण्ड प्रवहन के उपरान्त भी आत्म विकास की राह दिखाता है। सभी के चरित्र, व्यवहार तथा साधना का मार्ग आलोकित करता है।


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