उदयपुर। श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ शाखा उदयपुर के तत्वावधान में आचार्य ज्ञानचन्द्र महाराज का आज ओरबिट रिसोर्ट स्थित अरिहंत भवन में गगनभेदी नारों के साथ चातुर्मास प्रवेश हुआ। इस अवसर पर गुरु पूर्णिमा पर बोलते हुए जैनाचार्य ज्ञानचंद्र महाराज ने कहा कि गुरु ही ब्रह्मा विष्णु महेश बल्कि परम ब्रह्म होते हैं, जो सच्चे गुरु की शरण में चला जाता है, वह निश्चित तिर जाता है। गुरु दिशा निर्देश देते हैं, करना शिष्य को ही पड़ता है।
उन्होंने कहा कि यदि ख्ुद दीपक बनोगे तो आपकी जिदंगी में उजाला आयेगा। दूसरों की मोमबत्ती के सहारे खुद को रोशनी नहीं मिलती। बाप के सहारे बेटा ऊपर नहीं उठ सकता है। एक दिन उसे अपने सहारे ही चलना पड़ता है। मोक्ष जाने के लिए भी सहारे छोड़ने पड़ेंगे।तत्त्वार्थ सूत्र में आया है-तदनन्तर मुर्ध्व गच्छन्त्य लोकान्तात्। सारे सहारे छोड़ने से पहले थोड़े-थोड़े सहारे छोड़ना सीखें। चार खंध में प्रतिदिन एक खंध का त्याग, मिठाई का त्याग, क्रोध का त्याग इन सब के छोड़ने से आत्मा मजबूत होती है।
जैनाचार्य ज्ञानचन्द्र महाराज के उपदेश से 24 पुरुष 32 महिलाओं ने कठिन नियम लिए। गुरु पूर्णिमा पर्युपासना में सभी भक्तों ने भक्ति पूर्वक वंदन के साथ अर्चना की।
नवरत्न हुक्मीचंद खींवसरा अजीत सिंह बैद ने भक्ति पर्युपासना की। स्थानीय अरिहंत महिला मंडल ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया। भगवती लाल दक, विजय कोठारी, जयचंद लाल सूखानी, महामंत्र शांतिलाल दोसी ने चातुर्मास की सफलता के लिए विचार रखें। सभा का सफल संचालन डॉक्टर स्नेहा जी बाबेल ने किया।
संत रत्न अजीत मुनि महाराज ने 105 आयंबिल के दिन 108 आयंबिल पच्क्ख कर कर्म निर्जरा के क्षेत्र में एक कदम आगे बढ़ाया, जिसकी सभी ने सराहना की। आचार्यश्री ने गुणात्मक बात रखते हुए आयंबिल का महत्व समझाया।
साध्वी रत्नाश्री, अस्मिताश्री महाराज, साध्वी रत्नाश्री, आस्थाश्री, ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया। आज बिना किसी घोषणा के आचार्य प्रवर ने सीधा अरिहंत भवन में प्रवेश किया।
100 वर्षीय भंवर लाल जी बंबोरिया का एवं सुप्रसिद्ध समाजसेवी कालू लाल नागोरी का उनकी दीर्घ सेवाओं को लेकर श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ ने भव्य स्वागत किया।