उदयपुर। पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान मे अंतिम त्रिदिवसीय आवासीय पशुपालक प्रशिक्षण शिविर का समापन गुरूवार को हुआ। प्रशिक्षण शिविर में प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, राजसमन्द एवं भीलवाड़ा जिले के चयनित 35 पशुपालकों ने भाग लिया।
समापन समारोह के अवसर पर संस्थान के उपनिदेशक डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने पशुपालकों को संबोधित करते हुए कहा कि पशुपालक जनस्वास्थ्य की दृष्टि से आमजन को दुग्ध जनित रोगों से बचा सकता है। डॉ. छंगाणी ने कहा कि वर्तमान में पशुपालन विभाग द्वारा जूनोसिस रोग जागरूकता सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। अतः हम सबका दायित्व है कि पशुओं के दुग्ध के माध्यम से मनुष्यों में फैलने वाले रोगों से बचाव के उपायों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। दुग्ध के माध्यम से फैलने वाले रोगों में प्रमुखता से टी.बी.. लेप्टोस्पाइरोसिस, ब्रुसोलेसिस, लिस्टेरियोसिस, साल्मोनेलोसिस, पाश्चूलेरेसिस, लेसमानियेसिस, रिंगवर्म, केण्डीडोसिस, ब्लास्टोमाइकोसिस, एम्बाइसिस, चर्म रोग इत्यादि रोग है। अतः पशुपालक ऐसे रोगग्रस्त पशुओं में सावधानी से सम्पर्क मेंआये एवं उनको दूसरे स्वस्थ पशुओं से अलग रखें एवं उत्पादन को भी पूर्ण रूप से जांच कर उपयोग में लेंवे। पशुपालक का दायित्व है कि दुग्ध जनित रोगों के फैलाव से आमजन को बचाएं। पशुपालकों ने इसे गंभीरता से लेने की बात कही। त्रिदिवसीय आवासीय पशुपालक प्रशिक्षण शिविर में डॉ. पदमा मील, डॉ. ओमप्रकाश साहू, डॉ. हंसकुमार जैन, डॉ. विजय माने, डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी, संयुक्त निदेशक डॉ. सुरेश जैन ने विभिन्न विषय वस्तुओं पर प्रशिक्षण देकर पशुपालकों को लाभान्वित किया।