कुशलगढ़/बांसवाड़ा। दक्षिण राजस्थान के आदिवासी बहुल कुशलगढ़ क्षेत्र के लोगों के लिए लंबे इंतजार के बाद बड़ी खुशखबरी सामने आई है। अब तक रेल सुविधा से वंचित रहा यह पिछड़ा इलाका पहली बार देश के मुख्य रेल नेटवर्क से जुड़ने की ओर बढ़ रहा है। रेल मंत्रालय ने नीमच-बांसवाड़ा-दाहोद-नंदुरबार नई रेल लाइन परियोजना के विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को हाल ही में मंजूरी दे दी है।
यह रेल लाइन लगभग 380 किलोमीटर लंबी होगी, जो मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात के आदिवासी अंचलों को सीधे देश के मुख्य रेल मार्ग से जोड़ेगी। इस परियोजना से दिल्ली-मुंबई मार्ग के लिए सबसे छोटी और तेज कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी।
कुशलगढ़ को रेल मानचित्र पर लाने की मांग
हालांकि परियोजना को मंजूरी मिल गई है, लेकिन अब कुशलगढ़ को इस मार्ग में शामिल करने की विशेष मांग जोर पकड़ रही है। बांसवाड़ा निवासी चार्टर्ड अकाउंटेंट डॉ. पथिक मेहता ने इस संबंध में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि बांसवाड़ा-टिमेड़ा-कुशलगढ़-डूंगरा-चकल्या-दाहोद मार्ग को परियोजना में जोड़ा जाए।
उनका कहना है कि ऐतिहासिक रूप से कुशलगढ़ को दिल्ली-मुंबई रेल लाइन से जोड़ने का प्रस्ताव था, लेकिन ब्रिटिश शासनकाल के दौरान थांदला-मेघनगर मार्ग को प्राथमिकता दिए जाने से यह क्षेत्र पीछे रह गया।
विकास और कनेक्टिविटी की नई राह
यदि कुशलगढ़ को इस परियोजना में शामिल किया जाता है तो न केवल इस क्षेत्र की दशकों पुरानी उपेक्षा दूर होगी बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार, व्यापार और औद्योगिक विकास के भी नए अवसर खुलेंगे। साथ ही आदिवासी अंचलों की सीधी पहुँच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई तक बन जाएगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना न केवल दक्षिण राजस्थान के विकास की नई राह खोलेगी बल्कि पर्यटन और उद्योगों को भी गति देगी।