काईरो थैरेपी या काईरो प्रैक्टिक सदियों से यूनानी हिक़मत का बड़ा हिस्सा रहा हैं : डॉ लियाक़त अली मंसूरी 

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Published on : 05 Sep, 25 10:09

डॉ लियाक़त अली मंसूरी 

काईरो थैरेपी या काईरो प्रैक्टिक सदियों से यूनानी हिक़मत का बड़ा हिस्सा रहा हैं : डॉ लियाक़त अली मंसूरी 

काइरोप्रैक्टिक थैरेपी—“काईरो प्रैक्टिक” एक ऐसा समायोजन जिसमें प्रशिक्षित विशेषज्ञ, जिन्हें काइरोप्रैक्टर्स कहते हैं जो अपने हाथों या किसी छोटे उपकरण के उपयोग से रीढ़ की हड्डी के जोड़ पर नियंत्रित बल लगाते हैं इस प्रक्रिया को “स्पाइनल मैनिपुलेशन” भी कहते है ।इसका मक़सद रीढ़ की हड्डी की गति , शरीर के हड्डी के जोड़ों और शरीर की गति करने की क्षमता में सुधार करना है।
                                 गाँवों में पुराने समय में इन हकीमों को "हाड हकीम"  या “ हाड़-पहलवान” भी कहते थे जो हड्डियों की मोच निकालने का काम किया करते थे उसी को आधुनिक समय में “कायरो प्रैक्टिस”  कहते हैं । यह हड्डियों को स्वस्थ रखने वाली प्रणाली है जो शरीर के जोड़ों को प्राकृतिक उपचार पर जोर देती है, खासकर रीढ़ की हड्डी और मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम (मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों) व्यवस्थित रखने में मदद करती है। हकीम या यूनानी चिकित्सक इसमें काइरोप्रैक्टिशनर का कार्य करते है । इस थैरेपी से रीढ़ की हड्डी और शरीर के अन्य हिस्सों में समायोजन (मैनुअल थेरेपी) करते हैं, जिससे जोड़ों को सही जगह बैठाने, दर्द कम करने ,जोड़ों की गतिशीलता में सुधार किया जा सके और शरीर की प्राकृतिक कार्यप्रणाली को बढ़ावा दिया जा सके । 
काइरोप्रैक्टिक उपचार में आमतौर पर निम्न को शामिल हैं—
1. मैनुअल थेरेपी—रीढ़ की हड्डी और जोड़ों में हेरफेर करना, जिसे स्पाइनल मैनिपुलेशन कहा जाता है ।
2. ⁠एक्सरसाइज—रोगी को घर पर ही विशिष्ट व्यायाम के सुझाव दिये जाते हैं ।
3. ⁠पोषण संबंधी परामर्श—इसमें पोषण और सप्लीमेंट्स के बारे में सलाह दी जाती हैं ।
4. ⁠अन्य उपचार—अन्य उपचारों में जैसे कि गर्म और बर्फ, विश्राम तकनीक, या इलेक्ट्रोथेरेपी का भी उपयोग किया जाता हैं ।   
5. ⁠ज़रूरत पर हर्बल दवाइयां दी जाती हैं ।  
                   इस कार्य के लिए प्रशिक्षित लाइसेंस प्राप्त व्यक्ति होते हैं । काइरोप्रैक्टिक उपचार सुरक्षित है लेकिन कुछ लोगों को हल्के साइड इफेक्ट्स का अनुभव हो सकता है, जैसे कि उपचार के बाद कुछ समय के लिए हल्का दर्द या अकड़न।
प्रक्रिया के दौरान—
1. काइरोप्रैक्टर प्रभावित क्षेत्रों का उपचार करने के लिए मरीज़ को अक्सर कुछ खास मुद्राओं में रखता है। 
2. ⁠आप को एक विशेष गद्देदार काइरोप्रैक्टिक-टेबल पर पेट के बल लेटना होता हैं। 
3. ⁠जोड़ों पर नियंत्रित बल लगाने के लिए हाथों का उपयोग करता है और जोड़ को उसकी सामान्य गति सीमा से आगे धकेलता है। 
4. ⁠उपचार के दौरान काइरोप्रैक्टर जोड़ों को हिलाता है, तो चटकने या चटकने जैसी आवाज़ें सुनाई दे सकती हैं।
प्रक्रिया के बाद—कुछ लोगों को काइरोप्रैक्टिक समायोजन के बाद कुछ दिनों तक मामूली दुष्प्रभाव हो सकते हैं जैसे कि इनमें सिरदर्द या शरीर के उन हिस्सों में दर्द होना और थकान महसूस होना शामिल हो सकता है जिनका उपचार किया गया
परिणाम— 
1. कमर दर्द कम हो जाता हैं।
2. शोध से पता चलता है कि रीढ़ की हड्डी में ऐसे हेरफेर से कुछ प्रकार के पीठ के निचले हिस्से के दर्द के इलाज में कारगर साबित होता है। 
3. कुछ अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि काइरोप्रैक्टिक समायोजन सिरदर्द और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी अन्य स्थितियों, जैसे गर्दन के दर्द, के लिए कारगर हो सकता है।
4. ⁠काइरोप्रैक्टिक समायोजन हर किसी पर असर नहीं करता। 
5. ⁠अगर कुछ हफ़्तों के उपचार के बाद भी लक्षणों में सुधार नहीं होता है, तो शायद यह उस मरीज़ के लिए यह इलाज उपयुक्त न हो।

 


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