उदयपुर कलाकारों ने भोपाल में कठपुतली नाटक प्रदर्शित

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Published on : 10 Oct, 25 07:10

 उदयपुर कलाकारों ने भोपाल में कठपुतली नाटक प्रदर्शित

उदयपुर भारतीय लोक कला मंडल के कलाकारों ने भोपाल में आयोजित 5 दिवसीय पुतुल समारोह में रामयण और काबुलीवाला कठपुतली नाटिका का मंचन किया l
भारतीय लोक कला मंडल के निदेशक डॉ लईक हुसैन ने बताया की  जनजातीय संग्रहालय, भोपालद्वारा कठपुतली कला की विविध शैलियों पर एकाग्र पांच दिवसीय पुतुल समारोह का शुभारंभ बुधवार को हुआ। जिसमे पहली शाम भारतीय लोककला मंडल, उदयपुर के कलाकारों द्वारा डा. लईक हुसैन के निर्देशन में काबुलीवाला और रामायण कथा की प्रस्तुति धागा पुतली शैली में दी गई। रामायण कठपुतली नाटिका रामायण पर आधारित प्रसंगों का कथासार है। इसमें भगवान श्रीराम के द्वारा राजा जनक द्वारा रचे गए स्वंयवर में माता सीता से विवाह कर अयोध्या जाना, अयोध्या के रहवासियों द्वारा श्रीराम राज्याभिषेक का उत्सव मनाना, उक्त घोषणा की सूचना पर कैकयी- मंथरा संवाद और उसके बाद कैकयी द्वारा राजा दशरथ से श्रीराम के लिए 14 वर्षों का वनवास और भरत के लिए राज्य का वचन मांगना जैसे प्रसंगों को मंचित किया गया। वचन को पूर्ण करने के लिए श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता का 14 वर्ष के वनवास पर जाना और सूर्पणखा प्रसंग दिखाया गया। अगले दृश्य में लंका के राजा रावण द्वारा सीता हरण, माता सीता को श्रीराम और लक्ष्मण द्वारा ढूंढना, श्रीहनुमान द्वारा माता सीता का पता लगाया जाना एवं भगवान श्रीराम और रावण के बीच युद्ध के दश्यों को  मंचित किया l

 
इससे पहले कलाकारों ने काबुलीवाला की प्रस्तुति दी l काबुलीवाला नाटिका रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखी गई यह एक अफगानी पठान व बालिका मिनी की कहानी है। इसमें पपेट के माध्यम से दिखाया कि अफगानी पठान सूखे मेवे बेचने कलकत्ता जाता है। यहां एक बंगाली परिवार से उसका लगाव हो जाता है। उस परिवार की बालिका मिनी को देखकर वो अपनी बेटी को याद करता है, जो उसी की उम्र की है। बंगाली बाबू की पत्नी को यह दोस्ती पसंद नहीं है। इसी बीच पैसों के विवाद में काबुलीवाले के हाथों एक सेठ का खून हो जाता है। उसे जेल हो जाती है। दस साल बाद अफगान लौटते समय वह मिनी से मिलने की इच्छा जताता है। काबुलीवाला बंगाली परिवार से मिनी से मिलने की गुहार करता है। पुरानी यादों को ताजा कर काबुलीवाला और मिनी गले मिल कर रो पड़ते हैं। वह मिनी की शादी का आधा खर्च देता है और अपने वतन के लिए चला जाता है। दोनों प्रस्तुतियों में 100 से अधिक कठपुलतियों का उपयोग किया गया। बड़े मंच के पीछे 18 कलाकार थे, जिन्होंने पुतलियों का संचालन किया


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