पुष्य नक्षत्र पर होगा स्वर्ण प्राशन संस्कार – 2014 से निरंतर चल रहे अभियान से चार लाख से अधिक बच्चों को मिला लाभ

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Published on : 13 Oct, 25 08:10

पुष्य नक्षत्र पर होगा स्वर्ण प्राशन संस्कार – 2014 से निरंतर चल रहे अभियान से चार लाख से अधिक बच्चों को मिला लाभ

उदयपुर। राजकीय आदर्श आयुर्वेद औषधालय सिंधी बाजार उदयपुर में सोमवार 14 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र के शुभ अवसर पर स्वर्ण प्राशन संस्कार का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम प्रातः 9 से 2 बजे तक चलेगा।प्रत्येक रविवार को भी शिविर का आयोजन किया जाता है ।

औषधालय के प्रभारी डॉ. शोभालाल औदिच्य ने बताया कि यह संस्कार बच्चों की बुद्धि, स्मरण शक्ति, रोग प्रतिरोधक क्षमता और शारीरिक विकास को बढ़ाने में सहायक माना गया है। इस अवसर पर छह माह से 16 वर्ष तक के बच्चों को शुद्ध गौघृत, मधु और स्वर्ण भस्म से निर्मित औषधि दी जाएगी।

 

डॉ. औदिच्य ने बताया कि वर्ष 2014 से वे इस संस्कार को नियमित रूप से आयोजित कर रहे हैं। अब तक इस महाभियान के तहत चार लाख से अधिक बालक-बालिकाओं को निःशुल्क स्वर्ण प्राशन संस्कार कराया जा चुका है। उन्होंने बताया कि यह कार्य आयुर्वेद विभाग राजस्थान सरकार की प्रेरणा से निरंतर चल रहा है और इसका उद्देश्य हर बच्चे तक आयुर्वेद के लाभ पहुँचाना है।

 

उन्होंने कहा कि पुष्य नक्षत्र को आयुर्वेद में अत्यंत शुभ और औषध सेवन के लिए श्रेष्ठ समय माना गया है। इस दिन ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति औषधियों के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देती है। इसलिए इस दिन बच्चों को स्वर्ण प्राशन कराने से उनके स्वास्थ्य और स्मरण शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।

 

डॉ. औदिच्य ने बताया कि इस अभियान की शुरुआत 2014 में कुछ ही बच्चों से की गई थी। आमजन की बढ़ती जागरूकता और विश्वास के कारण यह पहल अब जन-आंदोलन का रूप ले चुकी है। प्रत्येक पुष्य नक्षत्र पर औषधालय में अभिभावकों की भीड़ रहती है और सभी को औषधि निःशुल्क प्रदान की जाती है।

 

उन्होंने कहा कि इस कार्य में नगर के समाजसेवी, अभिभावक, शिक्षण संस्थान और स्थानीय स्वयंसेवी संगठन भी निरंतर सहयोग कर रहे हैं। औषधालय में बच्चों के स्वास्थ्य की जांच, पोषण संबंधी सलाह और आयुर्वेदिक जीवनशैली पर परामर्श भी दिया जाता है।

 

डॉ. औदिच्य का कहना है कि आयुर्वेद भारत की प्राचीन परंपरा है और स्वर्ण प्राशन संस्कार उसी परंपरा का जीवंत उदाहरण है। जब बच्चों को आरंभिक अवस्था से ही प्राकृतिक संरक्षण मिलता है, तो वे जीवनभर स्वस्थ और सक्षम रहते हैं।


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