अमावस की रात में, 360 किलोमीटर के सफ़र से,चार को मिलेगी रौशनी

( 612 बार पढ़ी गयी)
Published on : 23 Oct, 25 06:10

घर की लक्ष्मी पूजा छोड़कर,देर रात रावतभाटा और भवानीमंडी से लिया नेत्रदान

अमावस की रात में, 360 किलोमीटर के सफ़र से,चार को मिलेगी रौशनी

जिस समय पूरा देश, दीपावली के पावन पर्व पर, घर परिवार के सदस्यों के साथ खुशियां मना रहा था उस समय पर,शाइन इंडिया फाउंडेशन कोटा के डॉ कुलवंत गौड़ घर की लक्ष्मी पूजा छोड़कर कोटा से स्वयं गाड़ी चलाकर पहले रावतभाटा फिर चेचट होते हुए भवानीमंडी नेत्रदान लेने पहुंचे। 

 

संस्था के ज्योति मित्र कमलेश दलाल ने, सूचना दी कि नेत्रदानी परिवार पार्षद अविनाश जैसवाल की नानी हीराबाई के आकस्मिक निधन के बाद परिजनों ने नेत्रदान की इच्छा जताई है,पूर्व में हीराबाई के पति हजारीलाल का नेत्रदान भी संस्था की संयुक्त संपन्न हुआ था ।  

 

जिस समय यह सूचना आयी,उस समय डॉ कुलवंत गौड़ घर पर लक्ष्मी पूजन करने वाले थे,परंतु इसी सूचना के साथ ही रावतभाटा से भी संस्था के ज्योति मित्र आशीष जैन ने सूचना दी की शहर के प्रमुख व्यापारी सत्यनारायण अग्रवाल की पत्नी कौशल्या अग्रवाल का आकस्मिक निधन हुआ है और परिजन उनके भी नेत्रदान करवाना चाहते हैं ।


नए कपड़ों में ही लेने जा पहुंचे नेत्रदान

 

दो दिवंगत परिवारों की ओर से नेत्रदान की इच्छा जानकर डॉ गौड़ ने लक्ष्मी पूजन को छोड़कर,पत्नी डॉ संगीता और बच्चों को सुबह जल्दी आने का कहा । इस दौरान पूजा के लिए पहने नए कपड़ों को बदलने का भी समय नहीं था । इसलिए नए कपड़ों में ही डॉ गौड़ नेत्रदान के लिए,स्वयं नेत्र संकलन वाहिनी ज्योति-रथ को लेकर रवाना हो गए ।

 

देर रात 1:00 बजे कोटा से 60 किलोमीटर दूर रावतभाटा पहुंचकर सर्वप्रथम कौशल्या के नेत्रदान का कार्य संपन्न किया,उसके बाद वहीं से 100 किलोमीटर दूर भवानीमंडी जाकर रात 2:30 बजे हीराबाई के नेत्रदान प्राप्त किया । दोनों नेत्रदानों का कार्य संपन्न करा कर सुबह 5:00 बजे डॉ कुलवंत कोटा अपने निवास पर पहुंचे । इस तरह से रात भर की,आठ घंटे की,300 किलोमीटर की भाग दौड़ से हुई परेशानी,चार दृष्टिहीन लोगों को रोशनी मिलने के खुशी, के आगे नगण्य मात्र है

संशय था कि,दीपावली पर भी नेत्रदान होगा या नहीं

 

ज्योति मित्र आशीष जैन ने डॉ गौड़ को संपर्क करते वक्त कहा कि,आज दीपावली का त्यौहार है, तो क्या नेत्रदान संभव होगा ? तब डॉ गौड़ ने कहा कि ,दीपावली का पर्व खुशी,उम्मीद,उत्साह को लाता है और अंधकार को दूर करने वाला होता है । परिवार में दुखद घटना के बाद नेत्रदान होना और दृष्टिहीन व्यक्ति को नेत्रदान प्राप्त होना,उसके लिए दीपावली से बढ़कर नहीं है । भले चाहे मेरे घर में दीपावली नहीं मनेगी,पर कम से कम चार दृष्टिहीन व्यक्तियों की आंखों का अंधियारा तो हमेशा के लिए दूर होगा,यही हमारे लिए सार्थक दीपावली है ।

 

समाचार प्राप्त होने तक जानकारी मिली है कि, सोमवार सुबह 11:00 तलवंडी निवासी प्रकाश चंद दीपपुरा के पिताजी गुलाबचंद ठाई का एवं दोपहर 3:00 बजे भी बकानी निवासी सत्यनारायण श्रृंगी (सेवानिवृत शिक्षक) के भी निधन के उपरांत उनके बेटे देवेंद्र कुमार श्रृंगी ने संस्था शाइन इंडिया के माध्यम से नेत्रदान का कार्य संपन्न कराया है । 

 

इस तरह से पिछले 24 घंटे में चार दिवंगत के नेत्रदान संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के माध्यम से प्राप्त हुए हैं ।


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.