"संगीत" व "सुरसाधको" के हितार्थ कार्य करने वाली समर्पित संस्था "सुरों की मंडली" के संस्थापक मुकेश माधवानी ने बताया कि शोभागपुरा रोड स्थित अशोका पैलेस में संस्थान की महिला विंग द्वारा आयोजित संगीत संध्या "सदाबहार गीत" कार्यक्रम में महिला सुर साधिकाओं ने नये - पुराने गीतों की प्रस्तुतियाँ देकर उपस्थित श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।
माधवानी ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि महिला सशक्तिकरण व मातृशक्ति को सम्मान देने, तथा सुर साधिकाओं को एक मंच प्रदान कर उनकी संगीत प्रतिभाओं को बढ़ावा देने व प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इस संगीत संध्या का आयोजन महिलाओं द्वारा ही आयोजित किया गया। उपस्थित श्रोताओं ने मुक्त कंठ से इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए करतल ध्वनि से गायिकाओं का उत्साहवर्धन किया।
मधु केवल्या एवं चेतना जैन के नेतृत्व में आयोजित इस विशेष संगीत संध्या में उपस्थित महिला गायिकाओं में दिव्या सारस्वत ने "आओ हुज़ूर तुमको सितारों में ले चलूँ..", मधु केवल्या ने "चलो सजना जहाँ तक घटा चले..", नूतन बेदी ने "तुझे सूरज कहूं या चंदा..", मधुबाला ने "पल-पल दिल के पास तुम रहती हो..", अमृता बोकड़िया ने "कजरा मोहब्बत वाला..", लक्ष्मी ने "सायोनारा-सायोनारा..", डॉ नीलम विजयवर्गीय ने "मेरा जीवन कोरा कागज कोरा ही रह गया.." मीनाक्षी शर्मा ने "अभी न जाओ छोड़कर..", हेमा जोशी ने "तेरी भोली मुस्कानों ने..", शगुन जैन ने "तुम अपना रंजों गम..", शालिनी माथुर ने "ये रेशमी ज़ुल्फ़ों का अंधेरा..", नियति ने "नई-नई नहीं ये बातें..", हर्षा शर्मा ने "दो लफ़्ज़ों की है दिल की कहानी..", सरिता कुंवर ने " ओ बाबुल प्यारे.. ", नेहा तलरेजा ने "तुम्हीं मेरे मंदिर, तुम्हीं मेरी पूजा..", नेहा राठौड़ ने "ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना..", चेतना जैन ने "एक दिन तेरी राहों में..", मधु शर्मा ने "वो दिल कहाँ से लाऊँ..", दीपा ने "तूने ओ रंगीले कैसा जादू किया..", नीलम पटवा ने "तुझसे नाराज नहीं ज़िन्दगी..", ज्योति मोडियानी ने "अगर हम कहें तुझसे.." जया लुंज ने "हम थे जिनके सहारे, वो हुए ना हमारे.." ने एक से बढ़कर एक सदाबहार मधुर गीतों की प्रस्तुतियों से समा बांध कर सबका मन मोह लिया।
संगीत संध्या का मंच संचालन नूतन बेदी तथा दिव्या सारस्वत ने संयुक्त रूप से किया।