उदयपुर। तृतीय पीठाधीश मेदपाट कुलगुरु गोस्वामी डाॅ. वागीशकुमारजी महाराजश्री ने महाराणा मेवाड़ हिस्टोरिकल पब्लिकेशन्स ट्रस्ट, उदयपुर द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘हकीकत बहिड़ा: महाराणा भीम सिंह एवं मेवाड़ का ऐतिहासिक वृत्तान्त (1778-1828)’ का विमोचन किया। महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध न्यासी डाॅ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़, गोस्वामी डाॅ. वागीशकुमारजी और युवराज गोस्वामी वेदांत कुमार जी के मध्य पुस्तक में दिए गये महाराणा भीम सिंह जी और तत्कालीन कांकरोली गोस्वामीजी श्री विठ्ठल नाथजी के ऐतिहासिक वृत्तांतों पर चर्चा हुई।
प्रकाशित बहिड़ा मेवाड़ के इतिहास के उस संवेदनशील दौर पर प्रकाश डालता है। राजनीतिक अस्थिरता के समय मात्र 10 वर्ष की अल्पायु में महाराणा भीम सिंह मेवाड़ की गद्दी पर बैठे। बहिड़े में उस काल की परिस्थितियों, राजमाता की निर्णायक भूमिका, कांकरोली महाराजश्री के आध्यात्मिक और राजनीतिक मार्गदर्शन, ब्रिटिश राज से मेवाड़ की प्रजा की रक्षा हेतु हुई संधि और उसके बाद के काल का विस्तार से उल्लेख है। सन् 1818 के बाद कर्नल टॉड, कैप्टन वॉग और अन्य ब्रिटिश अधिकारियों की कार्यप्रणाली को समझने के लिए भी यह बहिड़ा एक महत्वपूर्ण प्राथमिक स्रोत के रूप में उपयोगी सिद्ध होगा।
संघर्षपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद लगभग 50 वर्षों तक महाराणा भीम सिंह जी का शासन प्रजाहित को समर्पित रहा। वे कवि-कोविदों और विद्वानों के आश्रयदाता थे। उन्होंने मेवाड़ की प्राचीन धरोहरों का जीर्णोद्धार कराया और सिटी पैलेस में भीम विलास का निर्माण भी करवाया।
महाराणा मेवाड़ अनुसंधान केन्द्र की अनुसंधान अधिकारी डाॅ. स्वाति जैन ने पुस्तक का सम्पादन तथा डाॅ. प्रतिभा आचार्य एवं विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर ने महाराणा भीम सिंह के व्यक्तित्व-कृतित्व को कलमबद्ध किया।