राजस्थान निजी सहायक संवर्ग महासंघ ने गुरुवार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा। इसमें उदयपुर शहर को मकान किराया भत्ता (एचआरए) की श्रेणी जेड से बदलकर वाय श्रेणी में शामिल करने की मांग की है।
अतिरिक्त जिला कलक्टर दीपेंद्रसिंह राठौड़ को सौंपे ज्ञापन में महासंघ ने तर्क दिया कि उदयपुर एक प्रमुख पर्यटन नगरी होने के कारण यहां का मकान किराया अन्य शहरों की तुलना में कहीं अधिक है। जबकि वर्तमान में कर्मचारियों को केवल 10 प्रतिशत मिल रहा है। महासंघ ने ज्ञापन में उल्लेख किया है कि वर्तमान में अधिकांश सरकारी कर्मचारियों को वास्तविक किराये की तुलना में अत्यंत कम भत्ता प्राप्त हो रहा है। जिसके चलते अल्प वेतन भोगी कर्मचारी अपने वेतन का बड़ा हिस्सा किराये में खर्च करने को विवश हैं। ज्ञापन में बताया कि स्वायत्त शासन विभाग की अधिसूचनाओं के अनुसार उदयपुर नगर निगम सीमा में पिछले एक वर्ष में 46 नए गांवों का विस्तार किया गया है। जिससे अब नगर निगम क्षेत्र में 80 वार्डों का गठन हो चुका है। 2011 की जनगणना के अनुसार निगम क्षेत्र की जनसंख्या 5.73 लाख थी। जो अब 7 लाख से अधिक हो चुकी है। सातवें वेतन आयोग के अनुसार यह जनसंख्या वाय श्रेणी के लिए आवश्यक मापदंड को पूर्ण करती है।
महासंघ के जिलाध्यक्ष चंद्रेश जैन ने बताया कि अजमेर शहर को भी जनसंख्या मापदंड पूरा न करने के बावजूद जीवन.यापन और महंगाई दर के आधार पर वाय श्रेणी में रखा गया है। इसी प्रकार उदयपुर को भी वाय श्रेणी में सम्मिलित किया जाना न्यायोचित और कर्मचारी हित में होगा। महासंघ ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि उदयपुर शहर के कर्मचारियों को वाय श्रेणी के अनुरूप मकान किराया भत्ता स्वीकृत कर राजकीय कर्मचारियों को राहत प्रदान की जाए।