उदयपुर। नवरत्न चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में एवं बद्री लाल चावला के सहयोग से चित्तौड़ स्थित गांधी नगर में आयोजित निःशुल्क आयुर्वेदिक चिकित्सा शिविर का शुभारंभ आज विधिवत रूप से मुख्य अतिथि सिए (डा.) अर्जुन मूंदड़ा राष्ट्रीय सलाहकार भारतीय सदभावना मंच एवं मैनेजिंग ट्रस्टी द्वारा किया गया। अध्यक्षता भाजपा आपदा राहत विभाग राजस्थान ने प्रदेश संयोजक “राजस्थान गौरव” डा. जिनेन्द्र शास्त्री (प्रदेश संयोजक भारतीय सदभावना मंच)ने की।
विशेष अतिथि बद्री लाल चावला, आबिद शेख (राष्ट्रीय संयोजक मुस्लिम राष्ट्रीय मंच सेवा), भरत जागेटिया, गोपाल मूंदड़ा, इरशाद चैन वाला एवं लखनऊ से पधारे आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. पंकज गोयल का स्वागत कर चिकित्सा शिविर का शुभारंभ सम्पन्न किया गया।
शिविर के संयोजक गोपाल मूंदड़ा ने बताया कि निःशुल्क चिकित्सा शिविर सजनी पैलेस, अनोखा बालाजी के पास किला रोड गांधी नगर रखा जा रहा है एवं कैंप दैनिक रूप से प्रातः 10 बजे से सांय 6 बजे तक रहेगा शिविर हेतु लोगों में अत्यधिक उत्साह देखने को मिला है। लगभग 200 पंजीयन पहले ही हो चुके हैं तथा लगातार बढ़ती मांग एवं अधिक जनहित को देखते हुए शिविर की अवधि 8 से 10 के स्थान पर बढ़ाकर 12 तारीख तक निर्धारित की गई है।
मुख्य अतिथि सीए अर्जुन मूंदड़ा ने उद्बोधन में कहा कि आज के समय में बीमारियों की जटिलता तथा एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के दुष्परिणाम को देखते हुए कृ यदि व्यक्ति सुधारित खान-पान, प्राकृतिक संतुलन एवं आयुर्वेद आधारित उपचार अपनाता है, तो अनेक रोगों से जड़ स्तर पर मुक्ति संभव है तथा अनावश्यक आर्थिक भार भी कम होता है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, अनुभवी आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. पंकज गोयल (लखनऊ) द्वारा मशीन टेस्ट एवं नाड़ी परीक्षण के आधार पर रोग पहचान एवं परामर्श उपलब्ध कराया जा रहा है।
डा. शास्त्री ने कहा की आयुर्वेदिक औषधियाँ जड़ी-बूटियों, पौधों, धातुओं और खनिजों से बनी एक समग्र चिकित्सा प्रणाली हैं जो भारत में हजारों सालों से उपयोग की जाती है। ये औषधियाँ शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन की गई हैं, जो अक्सर शरीर के आंतरिक शुद्धिकरण, जीवनशैली में बदलाव, व्यायाम और ध्यान पर ध्यान केंद्रित करती हैं। कुछ सामान्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में अश्वगंधा, हल्दी, तुलसी और त्रिफला शामिल हैं, जिनका उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए किया जाता है।
डा. पंकज गोयल ने बताया कि आयुर्वेद पद्धति “वात-पित्त-कफ” (आधारित) तत्त्व संतुलन चिकित्सा पद्धति है, जिसमें रोग की प्रकृति पहचानकर आवश्यकतानुसार औषधि एवं सुझाव प्रदान किये जाते हैं। उन्होंने बताया कि बवासीर, माइग्रेन एवं डिप्रेशन संबंधी औषधि निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। शिविर में उनकी 4 सदस्यीय टीम सेवा प्रदान कर रही है।
अंत में कार्यक्रम में सहयोग हेतु मुख्य अतिथि ने बद्री लाल चावला, गोपाल मूंदड़ा, आबिद शेख एवं डा. जिनेन्द्र शास्त्री आदि के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।