जयपुर जोधपुर और कोटा में अब होगा एक ही नगर निगम 

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Published on : 11 Nov, 25 09:11

जयपुर जोधपुर और कोटा में अब होगा एक ही नगर निगम 

गोपेन्द्र नाथ भट्ट 

राजस्थान में अगले वर्ष संभावित स्थानीय निकाय चुनावों से पहले राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है। प्रदेश की राजधानी जयपुर के साथ प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर और शिक्षा के लिए देश भर में सुप्रसिद्ध हब माने जाने वाले कोटा में अब एक ही नगर निगम होगे। राज्य के इन तीनों प्रमुख शहरों के निगमों का कार्यकाल रविवार को ही पूरा हुआ है। इन शहरों में अब तक दो- दो नगर निगम थे,लेकिन भजन लाल सरकार द्वारा लिए गए अहम फैसले के बाद सोमवार से ये 6 नगर निगम मर्ज होकर अब 3 ही रह गए है। इस प्रकार तीनों शहरों में पूर्ववत एक-एक नगर निगम फिर से अस्तित्व में आ गए है। अस्थायी रूप से तीनों निगमों में अब संभागीय आयुक्त ही प्रशासक के तौर पर इनका संचालन देखेंगे। कोटा में संभागीय आयुक्त पीयूष सामरिया प्रशासक की जिम्मेदारी निभाएंगे। इसी तरह जोधपुर में संभागीय आयुक्त प्रतिभा सिंह प्रशासक के रूप में कार्यभार संभालेंगी। जयपुर की संभागीय आयुक्त पूनम प्रशासक के रूप में निगम का जिम्मा संभालेंगी। प्रदेश की सभी निकायों का कार्यकाल अगले वर्ष फरवरी 2026 तक पूरा हो रहा है। इसके बाद राज्य सरकार की राज्य के सभी निकायों के चुनाव एक साथ कराने की योजना है। 

 

राजस्थान सरकार ने हाल ही में इन राज्य के तीन प्रमुख नगरों जयपुर, जोधपुर और कोटा में एक-एक नगर निगम की व्यवस्था लागू करने का जो निर्णय लिया है, यह निर्णय नगरीय प्रशासन के ढांचे में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इससे पहले इन तीनों महानगरों में दो-दो नगर निगम कार्यरत थे तथा इनके बीच प्रशासनिक विभाजन होने से न केवल योजनाओं के क्रियान्वयन में समन्वय की कमी दिखती थी,बल्कि नागरिक सेवाओं में भी असमानता और संसाधनों का असंतुलन भी देखने को मिलता था। अब एकीकृत निगम की स्थापना से इन महानगरों के विकास कार्यों में तेजी आने की उम्मीद की जा रही है।

 

दो निगमों की व्यवस्था क्यों बनी थी? इसकी पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो यह ज्ञात ही है कि वसुंधरा राजे सरकार ने वर्ष 2019 में राज्य के प्रमुख शहरों जयपुर, जोधपुर और कोटा नगरों को दो हिस्सों में विभाजित कर उत्तर और दक्षिण तथा पूर्व-पश्चिम नाम से दो-दो नगर निगम बनाए थे। राजधानी जयपुर राजस्थान का सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ पहले *जयपुर हेरिटेज* और *जयपुर ग्रेटर* नाम से दो निगम थे। हेरिटेज क्षेत्र में पुराना शहर आता था, जबकि ग्रेटर क्षेत्र में नई कॉलोनियाँ और बाहरी इलाक़े शामिल थे। अब एक निगम बनने से शहर के ऐतिहासिक और आधुनिक दोनों भागों का विकास एक समान रूप से होगा ऐसी उम्मीद है। इसी प्रकार राज्य के दूसरे बड़े और *ब्लू सिटी* के नाम से प्रसिद्ध जोधपुर में भी दो निगम बनाए गए थे, जिससे विकास कार्यों में बिखराव देखा गया। अब एक निगम बनने से मारवाड़ क्षेत्र की राजधानी का समग्र विकास सुनिश्चित होगा और जोधपुर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को भी गति मिलेगी। प्रदेश का औद्योगिक और शैक्षणिक नगर कोटा, जहाँ *कोटा उत्तर* और *कोटा दक्षिण* निगम बनाए गए थे।  दो नगर निगम बनाने का उद्देश्य था कि तेजी से बढ़ती जनसंख्या वाले इन नगरों में प्रशासनिक कार्य भार को कम किया जाए और स्थानीय जरूरतों के अनुसार विकास योजनाएं संचालित की जा सकें। हालांकि,समय के साथ यह व्यवस्था व्यावहारिक रूप से मुश्किल साबित हुई तथा धरातल पर कई कठिनाइयां भी उजागर हुई। साथ ही दोनों निगमों के बीच सीमाओं, बजट, कर संग्रह और जिम्मेदारियों को लेकर कई मतभेद भी उत्पन्न हो गए। एक ही शहर में दो महापौर, दो आयुक्त और दो नगर परिषदें होने से समन्वय का अभाव दिखा। कई बार एक क्षेत्र में विकास कार्य होते,जबकि दूसरे में संसाधन की कमी दिखी थी।

 

इन कठिनाइयों को देखते हुए भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान की वर्तमान सरकार ने हाल ही में निर्णय लिया कि जयपुर, जोधपुर और कोटा में अब से केवल एक-एक नगर निगम होगा। इसका उद्देश्य प्रशासनिक एकरूपता, पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत करना है।नई व्यवस्था के तहत अब प्रत्येक शहर में एक ही महापौर, एक निगम आयुक्त और एक परिषद होगी, जिससे निर्णय प्रक्रिया सरल होगी और विकास योजनाओं में एकजुटता आएगी। राज्य सरकार का मानना है कि इससे *एक शहर–एक दृष्टि–एक प्रशासन* की अवधारणा साकार होगी तथा अब एकीकृत रूप में कार्य करेगा। इससे औद्योगिक क्षेत्रों, कोचिंग हब और आवासीय इलाकों में बेहतर समन्वय से विकास कार्य होंगे।

हालांकि यह निर्णय स्वागत योग्य है, परंतु इसके साथ कुछ व्यावहारिक चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं। दो निगमों में कार्यरत कर्मचारियों के पुन:विनियोजन और पदस्थापन को लेकर प्रशासनिक जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

पहले से चल रहे ठेके और अनुबंधों को एकीकृत रूप में लाना आसान नहीं होगा। राजनीतिक स्तर पर भी नए वार्ड परिसीमन और चुनाव प्रक्रिया में पुनर्गठन की आवश्यकता पड़ेगी।

 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जयपुर, जोधपुर और कोटा जैसे प्रमुख नगरों में एक ही नगर निगम की स्थापना का निर्णय प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है। यह कदम न केवल नागरिक सेवाओं को अधिक प्रभावी बनाएगा, बल्कि शहरी शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी सुदृढ़ करेगा।

अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार इस नयी व्यवस्था को लागू करते समय किन नीतिगत उपायों को अपनाती है ताकि इस परिवर्तन से न केवल प्रशासनिक ढाँचा सुदृढ़ हो, बल्कि तीनों नगरों का समग्र और संतुलित विकास सुनिश्चित किया जा सके। प्रदेश की भजन लाल सरकार द्वारा जयपुर, जोधपुर और कोटा में एक निगम व्यवस्था की वापसी का निर्णय इन शहरों  में एकीकृत प्रशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम ही कहा जा रहा है। देखना है इन  नगर निगमों की व्यवस्था में बदलाव की दिशा में  उठाया गया यह बड़ा कदम आने वाले समय में कितना सफल साबित होगा?


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