प्रधानमंत्री ने भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना की टीम के साथ बातचीत की
प्रधानमंत्री ने बुलेट ट्रेन के कार्यान्वयन से प्राप्त सीखों को दस्तावेज़ीकृत करने के महत्व पर प्रकाश डाला
प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जब राष्ट्र के लिए काम करने और कुछ नया योगदान देने की भावना जागृत होती हैए तो यह अत्यधिक प्रेरणा का स्रोत बन जाती है
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कल गुजरात के सूरत में निर्माणाधीन बुलेट ट्रेन स्टेशन का दौरा किया और मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना की टीम से भी बातचीत की और गति और समय-सारिणी के लक्ष्यों के पालन सहित परियोजना की प्रगति के बारे में जानकारी ली। श्रमिकों ने उन्हें आश्वासन दिया कि परियोजना बिना किसी कठिनाई के सुचारू रूप से आगे बढ़ रही है।
केरल की एक इंजीनियर ने गुजरात के नवसारी स्थित नॉइज़ बैरियर फ़ैक्टरी में काम करने का अपना अनुभव साझा किया, जहाँ सरिया के पिंजरों की वेल्डिंग के लिए रोबोटिक इकाइयाँ तैनात की जा रही हैं। श्री मोदी ने उनसे पूछा कि भारत की पहली बुलेट ट्रेन के निर्माण के अनुभव को उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कैसा माना और इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बारे में वे अपने परिवारों के साथ क्या साझा करती हैं। उन्होंने देश की पहली बुलेट ट्रेन में योगदान देने पर गर्व व्यक्त किया और इसे अपने परिवार के लिए एक ‘‘ड्रीम प्रोजेक्ट’’ और ‘‘गर्व का क्षण’’ बताया।
राष्ट्र सेवा की भावना पर विचार करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जब राष्ट्र के लिए काम करने और कुछ नया योगदान देने की भावना जागृत होती है, तो यह अपार प्रेरणा का स्रोत बन जाती है। उन्होंने भारत की अंतरिक्ष यात्रा के साथ इसकी तुलना करते हुए याद किया कि देश का पहला उपग्रह प्रक्षेपित करने वाले वैज्ञानिकों को कैसा लगा होगा और आज सैकड़ों उपग्रह प्रक्षेपित किए जा रहे हैं।
बेंगलुरू की एक अन्य कर्मचारी, श्रुति, जो मुख्य इंजीनियरिंग प्रबंधक के रूप में कार्यरत हैं, ने कठोर डिज़ाइन और इंजीनियरिंग नियंत्रण प्रक्रियाओं के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कार्यान्वयन के प्रत्येक चरण में, उनकी टीम फायदे और नुकसान का मूल्यांकन करती है, समाधान खोजती है, और त्रुटिरहित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए विकल्पों की खोज करती है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि यदि यहाँ प्राप्त अनुभवों को ब्लू बुक की तरह दर्ज और संकलित किया जाएए तो देश बुलेट ट्रेनों के बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन की दिशा में निर्णायक रूप से आगे बढ़ सकता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत को बार-बार प्रयोग करने से बचना चाहिए और इसके बजाय मौजूदा मॉडलों से सीखों को दोहराना चाहिए। श्री मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि दोहराव तभी सार्थक होगा जब यह स्पष्ट समझ हो कि कुछ कदम क्यों उठाए गए। अन्यथा, उन्होंने आगाह किया कि दोहराव बिना किसी उद्देश्य या दिशा के हो सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे रिकॉर्ड बनाए रखने से भविष्य के छात्रों को लाभ हो सकता है और राष्ट्र निर्माण में योगदान मिल सकता है। प्रधानमंत्री ने कहाए ‘‘हम अपना जीवन यहीं समर्पित करेंगे और देश के लिए कुछ मूल्यवान छोड़ जाएँगे।’’
एक कर्मचारी ने एक कविता के माध्यम से अपनी प्रतिबद्धता को भावपूर्ण शब्दों में व्यक्त कियाए जिस पर प्रधानमंत्री ने उनके समर्पण की सराहना की और उनकी सराहना की।
केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव इस दौरे के दौरान उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री ने मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर (एमएएचएसआर) की प्रगति की समीक्षा करने के लिए सूरत में निर्माणाधीन बुलेट ट्रेन स्टेशन का दौरा किया। यह भारत की सबसे महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक है और देश के हाई-स्पीड कनेक्टिविटी के युग में प्रवेश का प्रतीक है।
एमएएचएसआर लगभग 508 किलोमीटर लंबा है, जिसमें गुजरात और दादरा एवं नगर हवेली में 352 किलोमीटर और महाराष्ट्र में 156 किलोमीटर की दूरी शामिल है। यह कॉरिडोर साबरमती, अहमदाबाद, आणंद, वडोदरा, भरूच, सूरत, बिलिमोरा, वापी, बोईसर, विरार, ठाणे और मुंबई सहित प्रमुख शहरों को जोड़ेगाए जो भारत के परिवहन बुनियादी ढांचे में एक परिवर्तनकारी कदम है।
एमएएचएसआर लगभग 508 किलोमीटर लंबा है, जिसमें गुजरात और दादरा एवं नगर हवेली में 352 किलोमीटर और महाराष्ट्र में 156 किलोमीटर शामिल हैं। यह कॉरिडोर साबरमती, अहमदाबाद, आणंद, वडोदरा, भरूच, सूरत, बिलिमोरा, वापी, बोईसर, विरार, ठाणे और मुंबई सहित प्रमुख शहरों को जोड़ेगाए जो भारत के परिवहन बुनियादी ढांचे में एक परिवर्तनकारी कदम है।
अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उन्नत इंजीनियरिंग तकनीकों से निर्मित, इस परियोजना में 465 किलोमीटर (मार्ग का लगभग 85 प्रतिशत) पुलों पर आधारित है, जिससे न्यूनतम भूमि व्यवधान और बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित होती है। अब तक, 326 किलोमीटर पुलों का काम पूरा हो चुका है और 25 में से 17 नदी पुलों का निर्माण पहले ही हो चुका है।
पूरा होने पर, बुलेट ट्रेन मुंबई और अहमदाबाद के बीच यात्रा के समय को लगभग दो घंटे तक कम कर देगी, जिससे अंतर-शहर यात्रा तेज़, आसान और अधिक आरामदायक बनकर क्रांति ला देगी। इस परियोजना से पूरे कॉरिडोर पर व्यापारए पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने और क्षेत्रीय विकास को गति मिलने की उम्मीद है।
सूरत-बिलिमोरा खंड, जो लगभग 47 किलोमीटर लंबा है, निर्माण के अंतिम चरण में है, जहाँ सिविल कार्य और ट्रैक बिछाने का काम पूरी तरह से पूरा हो चुका है। सूरत स्टेशन का डिज़ाइन शहर के विश्व प्रसिद्ध हीरा उद्योग से प्रेरित हैए जो इसकी सुंदरता और कार्यक्षमता दोनों को दर्शाता है। स्टेशन को यात्रियों की सुविधा पर विशेष ध्यान देते हुए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें विशाल प्रतीक्षालयए शौचालय और खुदरा दुकानें शामिल हैं। यह सूरत मेट्रो, सिटी बसों और भारतीय रेलवे नेटवर्क के साथ निर्बाध मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा।