उदयपुर विरासत विकास के लिए अत्यन्त आवष्यक है क्योंकि वह विकास को प्रेरित करती है। ऐसा विचार राजस्थान विद्यापीठ विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने विद्यापीठ संग्रहालय में क्यूआर कोड उद्घाटित करते हुए मुख्यअतिथि के रूप में कही।
आज से विष्वभर में विष्व विरासत सप्ताह मनाया जाएगा। इस अवसर पर विद्यापीठ में साहित्य संस्थान परिसर में पुरातत्व का एक संग्रहालय है, जिसमें पाषाण काल से लेकर मध्य काल तक के सैंकड़ों अवषेष प्रदर्शित हैं, जिसमें प्रस्थर औजार, हडप्पा सभ्यता के अवषेष, आहड़ एवं गणेष्वर संस्कृति के अवषेष प्रदर्षित हैं। इसके अतिरिक्त राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त अवशेष भी प्रदर्षित हैं।
संग्रहालय में धातुप्रगलन के अवषेष, धातु के प्राचीन औजार, तथा जावर के जस्ते की भट्टियों के प्रमाण, मुख्य आकर्षण के केन्द्र हैं।
विरासत सप्ताह के इस मौके पर संस्थान के संग्रहालय में प्रदर्शित वस्तुओं को क्यूआर कोड के माध्यम से भी देखा जा सकता है। इसी प्रक्रिया में इसे निकट भविष्य में आभासी संग्रहालय का रूप भी दिया जा सकेगा, जिसे घर बैठे संग्रहालय की वस्तुओं को देख सकेगें और उनकी विस्तृत जानकारी भी उपलब्ध हो सकेगी।
उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता बी. एल. गुर्जर, कुलाधिपति, जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विष्वविद्यालय, उदयपुर ने की।
कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन साहित्य संस्थान के निदेशक प्रो. जीवनसिंह खरकवाल ने प्रस्तुत किया तथा कार्यक्रम का संचालन डाॅ. कुलषेखर व्यास ने किया।
कार्यक्रम में विष्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डा. पारस जैन के साथ संजय शर्मा, डाॅ. महेष आमेटा, नारायण पालीवाल, शोयब कुरेषी, संगीता जैन, कमला शर्मा, के साथ डा. रवि देवड़ा, पीएच डी शोधार्थी सुपर्णा दे, आनन्द कुमार, संगीता सेनी, पायेल सेन, तरूण पुरी, सोरभ भास्कर, ममता, वर्षा, ताहिरा, राजेष, हनुदीप वत्स, हिमानी, के साथ अन्य विद्यार्थी उपस्थित रहे।