उदयपुर गुलाब बाग स्थित दरगाह हज़रत शाह सय्य्द अब्दुल शकूर साबिर अली चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह ( इमली वाले बाबा) का सालाना उर्स मुबारक आज कुल की फातिहा और हज़रत अमीर खुशरो के रचित कलाम "आज रंग है ए री मा" के साथ समापन हुआ! प्रोगाम के मुताबिक दरगाह इन्तेजामिया कमेटी के प्रवक्ता मोहम्मद रफीक शाह "बहादुर ने बताया की

आज 20 नवंबर गुरुवार को बाद नमाज जौहर के रंग की महफ़िल का आगाज़ सय्यद अनस अली कादरी और हफ़िज़ कादरी ने हम्द, नात और मनकबत से किया "जिंदगी ये नहीं है किसी के लिए, जिंदगी है नबी की है नबी के लिए" से किया इसके बाद रंग की महफ़िल शुरू हुई जिसमे दिल्ली से आये कव्वाल नजीर अली कादरी और उनकी पार्टी ने कलाम "कलामे हक़ मे ये लिखा हुआ है नूरे हक़ है मोहम्मद " पेश किया इसके बाद दरगाह के पगड़ीबंध कव्वाल नजीर आसिफ नियाजी और उनकी पार्टी ने कलाम "बोल रहा है तन मन सारा अली अली, बोलो नारा अली अली" कलाम पेश किया और सामेइन की दाद पाई इस उर्स मुबारक़ के मौके पर आज भी कई अकीदतमंदो नेअपनी निस्बत के अनुसार चादर, फूल, इत्र पेश कर अपनी मुरादे मांगी तो कई लोगो ने तबर्रूक के तौर पर पुलाव, दलिम (खिचड़ा ), मिठाईया तबर्रूक के तौर पर जायरिन हज़रात को वितरित की और अस्र की नमाज के बाद कुल की फ़ातिहा हाफ़िज़ तौकीर रज़ा ने पढ़ कर तमाम जायरिन और मुल्क मे अमन और अमान, खुशहाली तरक्की की दुआए मांगी गईं! इस पुर मसरर्त मौके पर दरगाह कमेटी, के पददाधिकारी, और सेकड़ो जायरिनो की मौजूदगी रही जिनको कुल के छींटे दिए गए!दरगाह इन्तेजामिया कमेटी ने प्रिंट मिडिया, इलेक्ट्रोनिक, मिडिया, पुलिस प्रशाशन, शाशन, नगर निगम, गुलाब बाग के कर्मचारियों और इस उर्स मे सब सहयोग करने वालो का, उर्स की क़ामयाबी की मुबारक बाद देती है धन्यवाद ज्ञापित करती है!