19 नवंबर 2025 को सलिला संस्था द्वारा आयोजित पुस्तक चर्चा ऑनलाइन संगोष्ठी में डॉ. विमला भंडारी द्वारा लिखी सद्यः प्रकाशित पुस्तक “अमेरिका से मुलाकात” पर देश के साथ जाने वाले साहित्यकारों द्वारा विचार व्यक्त किए गए। संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. सूरजसिंह नेगी, आईएएस अधिकारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार जयपुर ने की। मुख्य अतिथि श्री दिनेश कुमार माली, साहित्यकार एवं इंजीनियर, उड़ीसा से कार्यक्रम में जुड़े थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती सुधा आदेश, वरिष्ठ साहित्यकार बेंगलुरु से आमंत्रित थीं। कार्यक्रम की संयोजक वरिष्ठ बाल साहित्यकार श्रीमती नीलम राकेश उत्तर प्रदेश, लखनऊ से एवं कार्यक्रम का सफल संचालन, श्री प्रकाश तातेड़, सह संपादक, बच्चों का देश, उदयपुर ने राजस्थान से किया।
कार्यक्रम के आरंभ में संयोजक श्रीमती नीलम राकेश ने पुस्तक परिचय प्रस्तुत करते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया। मुख्य अतिथि श्री दिनेश कुमार माली ने इस पुस्तक पर सारगर्भित हिंदी यात्रा वृतांत साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन को अपने संबोधन में प्रस्तुत किया जिसे सभी ने सराहा। श्रोताओं की अनगिनत टिप्पणियां मिलीं। आपने अपने वक्तव्य में कहा कि इस पुस्तक को पढ़ते हुए सहयात्री होने का एहसास होता है और पुस्तक की भाषा मंत्र मुग्ध कर देने वाली है। सुधा आदेश को अपनी चर्चा में स्वयं की अमेरिका यात्रा भी याद आती रही। वे बोलीं कि इस पुस्तक को पढ़ते हुए मैं अमेरिका को विमला जी की नज़र से देख रही थी। सुधा जी ने अपनी बात आवरण पृष्ठ से आरंभ की। पुस्तक का जिसे विमला जी की बेटी अनुपमा ने बनाया है। आवरण पृष्ठ पर प्रतीक रूप में वे सभी चीज बनी हैं जो किसी विदेश यात्रा के लिए आवश्यक होती हैं और आकर्षण का केंद्र होती है। ऐसे चित्र सीधे-सीधे पाठक को अमेरिका से जोड़ते हैं और उसके मन में अमेरिका के प्रति जिज्ञासा पैदा करते हैं।
कार्यक्रम के अध्यक्ष से डाॅ. सूरजसिंह नेगी ने अति व्यस्त दिनचर्या के बावजूद अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए कार्यक्रम में सक्रियता से हिस्सा लिया। उन्होंने गंभीरता पूर्वक यात्रावृतांत की पुस्तक ‘अमेरिका से यात्रा’ पर अपने विचार रखें। इस पुस्तक के माध्यम से तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं को उन्होंने रेखांकित किया। वृद्ध और विकलांगों के लिए वहाँ मिलने वाली विशेष सुविधाएं। वहाँ के परिषद द्वारा स्कूल का संचालन करना। उनके बोर्ड के सदस्यों का चुनाव, जैसे हमारे यहाँ पार्षद का चुनाव होता है, उसी तरह से किया जाता है। और अपने कार्यकाल में वे पूरी तरह से स्कूल के प्रति जिम्मेदार होते हैं। बिना चारदीवारी के स्कूल होते जहां सारे खेल मैदान खुले होते हैं। तीसरी बात जो उन्हें विशेष लगी वह है वहाँ के सार्वजनिक पुस्तकालयों में हिंदी की बाल साहित्य की पुस्तकों का होना। दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर का आरक्षण का होना रेखांकित किया।
लेखिका डॉ. विमला भंडारी ने अंत में सबके प्रति आभार प्रकट करते हुए इस पुस्तक को लिखते समय आने वाले अड़चन और अध्ययन अनुसंधान की मेहनत पर भी प्रकाश डाला। संचालक श्री प्रकाश तातेड़ जी ने पूरे कार्यक्रम को अपने सधे हुए संचालन से समय के अंदर पूर्ण किया। ऑनलाइन आयोजित इस कार्यक्रम में देश भर से वरिष्ठ साहित्यकार जुड़े, उनमें सर्वश्री फारूख आफरीदी, डॉ नागेश पांडेय संजय, सुधाकर अदीब, सुमन बाजपेयी, रजनीकांत शुक्ल, अलका प्रमोद, शिव राजकुमारी पूजा आलूहवालिया कन्हैयालाल साहू, विमला नागला, राजेंद्र श्रीवास्तव, मीरा दीक्षित, मंगल कुमार जैन, मधु माहेश्वरी, हरीश सेठी झिलमिल, राकेश जैन बंधु, जगदीश भंडारी एवं पाखी जैन के नाम उल्लेखनीय हैं।