बिना ज्ञान के जीवन अन्धकारमयी होता है : आचार्य महाश्रमण

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Published on : 24 Nov, 25 14:11

उदयपुर शहर में प्रवेश पर हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने की आचार्यश्री की अगवानी

बिना ज्ञान के जीवन अन्धकारमयी होता है : आचार्य महाश्रमण

उदयपुर। आचार्यश्री महाश्रमण का सोमवार को काया-बलीचा में ऐतिहासिक स्वागत किया गया। आचार्य की अगवानी के दौरान हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने वहां पहुंच जयकारों की गूंज के साथ आचार्य और उनकी धवलवाहिनी का स्वागत किया।




इसके बाद आचार्यश्री गोवर्धन विलास स्थित मार्वल वाटर पार्क पहुंचे जहां धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्यश्री महाश्रमण ने श्रावक-श्राविकाओं को ज्ञान का महत्व बताते हुए कहा कि जीवन में ज्ञान का होना बहुत जरूरी है। बिना ज्ञान के जीवन अन्धकारमयी होता है। एक बार एक व्यक्ति रेल्वे स्टेशन गया ओर टिकट खिडक़ी पर जाकर बोला कि मुझे टिकट चाहिये। उससें पूछा कि कहां की चाहिये। उसने कहा कि मेरे ससुराल की। फिर उससे पूछा कि ससुराल कहां है तो उसने कहा कि यह तो मुझे पता नहीं है। जब व्यक्ति को यह भी ज्ञान नहीं है कि उसे करना क्या है, उसकी मंजिल कहां है, कोई भी कार्य करने से उसे क्या लाभ है, हानि है या उसे अच्छे-बुरे का ज्ञान नहीं है तो उसका जीवन व्यर्थ है।
आचार्यश्री ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हमारे पास ज्ञान उपलबध नहीं है, हमारे शास्त्रों में, जैन आगमों में ज्ञान का अथाह भंडार है लेकिन फिर बात वहीं आती है कि इतना ज्ञान का भण्डार और शास्त्र उपलब्ध होने के बावजूद उन्हें पढऩे और उनसे ज्ञान प्राप्त करने का समय नहीं है। अगर थोड़ा बहुत समय व्यक्ति निकाल भी लेता है तो उसमें भी कई बाधाएं आती रहती हैं। कभी स्वास्थ्य सम्बन्धी तो घर परिवार की कोई परेशानियां बाधा बन कर सामने आती रहती है। तो अब इसका उपाय क्या है? क्योंकि बिना ज्ञान तो जीवन शून्य है, जीवन में प्रकाश तो केवल ज्ञान से आ सकता है, अज्ञान तो अन्धकार का प्रतीक है। इसलिए तमाम विपरीत परिस्थितियों के बाद भी एक काम अवश्य करें कि जो भी शास्त्रों और आगमों में ज्ञान के भंडार हैं उनका सार ग्रहण करने का प्रयास करें। और ज्ञान का यह सार आर्चार्यों, गुरूओं और साधु-सन्तों के सानिध्य से प्राप्त हो सकता है।
आचार्यश्री ने कहा कि चित्त की निर्मलता से हमें ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है। ज्ञान, चरित्र दर्शन और तप मोक्ष के मार्ग है। चारित्रय ज्ञान के साथ ही सम्यक ज्ञान का होना जरूरी है। जो व्यक्ति सम्यकज्ञान के साथ पुरूषार्थ करता है तो उसकी सफलता निश्चित है। पहले ज्ञान और उसी अनुरूप आचरण यही अध्यात्म की निशानी है। हमें जीवन में सम्यक ज्ञान के साथ ही हिंसा, अहिंसा, पाप और पुण्य का भी ज्ञान होना जरूरी है। अज्ञानता सभी पापों से ज्यादा कठदायी होता है। ज्ञान और आचरण के योग से ही जीवन में व्यक्ति सफलता के साथ ही मोक्ष मार्ग को प्राप्त करने की और अग्रसर हो सकता है। भगवान महावीर स्वमी तो केवल ज्ञानी थे। उनकी वाणी ही शास्त्र है। हम केवल ज्ञानी तो नहीं बन सकते हैं लेकिन शास्त्रों और आगमों से ज्ञान प्राप्ति कर विशिष्ट बन ही सकते हैं। इस दौरान आचार्यश्री ने उदयपुर में अपनी पिछले प्रवास की यादों को भी सभी के सामने साझा किया। स्वागत अध्यक्ष कमल नाहटा ने किया।
तेरापंथ सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष आलोक पगारिया ने बताया कि इससे पूर्व आचार्यश्री ससंघ ने हजारों श्रावक-श्राविकाओं के साथ काया पीएमसी से विहार किया। विहार के दौरान पूरे मार्ग में दोनों ओर हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने जयकारों के साथ आचार्यश्री से आशीर्वाद लिया और उनकी धवल सेना के साथ जुड़ते रहे। महिलाएं पीली साड़ी में जबकि पुरूष वर्ग सफेद वस्त्रों में हाथों में धर्म ध्वज लिये जयकारे लगा रहे थे। करीब 13 किलोमीटर का विहार करते हुए आर्चाश्री का काफिला ज्योंही प्रगति आश्रम पहुंचा तो जयकारों के साथ हजारों लोग आचार्यश्री के चरणों में नतमस्तक हो गये। उसके बाद आचार्य महाश्रमण ने प्रगति आश्रम में प्रवेश किया। यहां पर उनके दर्शन एवं आशीर्वाद लेने श्रावक-श्राविकाओं की कतारें लग गई। आचार्यश्री का तेरापंथ युवक परिषद, महिला मंडल व ज्ञानशाला के 100 से अधिक बच्चों ने स्वागत किया।
विधायक-पूर्व विधायक और एसपी ने लिया आशीर्वाद :
आलोक पगारिया ने बताया कि इस दौरान शहर विधायक ताराचंद जैन, उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, जिला प्रमुख ममता कुंवर, पूर्व उपमहापौर पारस सिंघवी, वल्लभनगर की पूर्व विधायक श्रीमती प्रीति शक्तावत, एसपी योगेश गोयल ने आचार्यश्री के चरणों में नतमस्तक होकर उनसे आशीर्वाद लिया। आचार्यश्री के प्रगति आश्रम में प्रवेश के दौरान राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया, प्रमोद सामर, शहर भाजपा जिला अध्यक्ष गजपालसिंह राठौड़ सहित भाजपा के कई वरिष्ठ नेता, सभा उपाध्यक्ष विनोद कच्छारा, कमल पोरवाल, कोषाध्यक्ष भगवती सुराणा, कार्यालय व्यवस्थापक प्रकाश सुराणा, मनोज लोढ़ा सहित जैन समाज के विशिष्ठ जन उपस्थित थे। दोपहर 3:30 बजे आचार्यश्री महाश्रमण प्रगति आश्राम से विहार कर तुलसी निकेतन पधारे। इस दौरान चैंबर पदाधिकारियों के आग्रह पर नव निर्मित चैंबर भवन पर मंगलपाठ सुनाया।  
आचार्य महाश्रमण  महाप्रज्ञ विहार में :
सभा के मंत्री अभिषेक पोखरना ने बताया कि मंगलवार सुबह आचार्यश्री तुलसी निकेतन से विहार कर विशाल अहिंसा यात्रा के रूप में महाप्रज्ञ विहार पधारेंगे। यहां स्वागत के लिए अर्जुन खोखावत की देखरेख में 55 हजार स्क्वायर फीट का विशाल पांडाल तैयार किया गया है। महाप्रज्ञ विहार में पंचरंगी जैन ध्वजाएं लहराएंगी। 40 हजार स्क्वायर फीट के पांडाल में भोजनशाला बनाई गई है। आचार्यश्री महाप्रज्ञ विहार के मुख्य भवन में रहेंगे जबकि साध्वियों का आवास महिला अहिंसा प्रशिक्षण केंद्र में रहेगा।


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