बाल विवाह न करने की शपथ दिलवायी

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Published on : 27 Nov, 25 14:11

महिलाओं एवं बलिकाओं के अधिकारों व लिंग आधारित हिंसा रोकथाम हेतु 15 दिवसीय जागरूकता अभियान कार्यक्रम के तहत बाल विवाह न करने की शपथ दिलवायी

बाल विवाह न करने की शपथ दिलवायी

उदयपुर। महिला अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक संजय जोशी ने बताया की पंचायत समिति स्तर पर एवं ग्राम पंचायत समस्त मुख्यालयों पर बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत 1 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर बाल विवाह रोकथाम हेतु शपथ ग्रहण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। उप निदेशक के निर्देशानुसार जेंडर स्पेशलिस्ट विमला वीरवाल द्वारा कस्तूरबा गॉंधी बालिका आवासीय विद्यालय में जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया।
अन्तर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस से ले कर 10 दिसम्बर मानवाधिकार दिवस तक दुनिया भर में लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करने के पखवाड़े के रूप में मनाया जाता है। इस संबंध में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने अन्तर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस से 10 दिसम्बर मानवाधिकार दिवस तक की अवधि में लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करने हेतु जागरूकता अभियान के तहत जेंडर स्पेशलिस्ट द्वारा बालिकाओं एवं महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और महिलाओं और युवा लड़कियों के सामने मौजूद गहरी सामाजिक और डिजिटल चुनौतियों का समाधान करने के लिए अपने कानूनी ढांचे को लगातार मजबूत किया है।
लिंग आधारित हिंसा एक गंभीर समस्या है जो कई महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित करती है। इसमें कई चुनौतियाँ हैं, सहायता सेवाओं की कमी से लेकर पीड़ितों को दोषी ठहराने वाले सामाजिक दृष्टिकोण तक। शिक्षा और जागरूकता लैंगिक भूमिकाओं के बारे में लोगों की सोच बदल रही है। बेहतर कानून और सख्त प्रवर्तन महिलाओं की सुरक्षा में मदद कर सकते हैं। आश्रय और परामर्श जैसी सहायता सेवाएँ पीड़ितों को ठीक होने में मदद कर सकती हैं। साथ वीरवाल द्वारा  बालिकाओं को बाल विवाह रोकथाम के बारे में बताया कि बाल विवाह एक सामाजिक एवं कानूनी अपराध है। इस कुरीति को रोकने के लिए कानूनी प्रावधान के साथ जन चेतना आवश्यक है। यदि कोई व्यक्ति बाल विवाह करवाता है या स्वयं बाल विवाह में सम्मिलित होता है तो कठोर सजा का प्रावधान है।
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत बाल विवाह के दुष्परिणाम एवं बाल विवाह के रोकथाम के विषय पर विशेष चर्चा की, साथ ही बताया कि विवाह की सही उम्र लड़की की आयु 18 वर्ष एवं लड़के की आयु 21 वर्ष निर्धारित है। यदि कोई बाल विवाह करवाता है तो बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अतर्गत 2 साल का कठोर कारावास व एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है। यदि कहीं बाल विवाह हो रहा है तो इसकी सूचना बाल प्रतिषेध अधिकारी, पुलिस प्रशासन, एसडीएम व सरपंच को कर सकते हैं। इस दौरान वक्ताओं ने अक्षय टाने तृतीया व पीपल पूर्णिमा पर होने वाले बाल विवाह की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए सामाजिक बुराई के विरुद्ध आमजन में जागरूकता लाने की बात कही।साथ ही बार-बार रोकथाम की शपथ भी करवाई गई।


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