उदयपुर। “देश के निर्यातकों को वैकल्पिक बाजार उपलब्ध करवाने में भारत सरकार पूर्ण प्रयास कर रही है। यूनाईटेड किंगडम के साथ भारत सरकार ने व्यापार समझौता किया है। इसके तहत देश के निर्यातक अपने उत्पाद शून्य ड्यूटी टैरिफ पर यूके में निर्यात कर सकेंगे।“
उपरोक्त जानकारी श्रीमति वंृदा देसाई ने निर्यातकों को दी।
फैडरेशन आॅफ इण्डियन एक्सपोर्ट आॅर्गेनाईजेशन (फियो) द्वारा डायरेक्टर जनरल आॅफ फाॅरेन ट्रेड (डीजीएफटी), उदयपुर चेम्बर आॅफ काॅमर्स एण्ड इण्डस्ट्री (यूसीसीआई), कलडवास चेम्बर आॅफ काॅमर्स एण्ड इण्डस्ट्री (केसीसीआई) के संयुक्त तत्वावधान में “भारत यूके आर्थिक एवं व्यावसायिक समझौते“ पर एक निर्यात प्रोत्साहन पर सेमिनार का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्देश्य राजस्थान के निर्यातकों को भारत-यूके व्यापार समझौते के मुख्य बिंदुओं, केंद्र एवं राज्य चार्टर वाली स्कीमों तथा निर्यात संवर्धन योजनाओं के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी देना था।
कार्यक्रम का औपचारिक आरम्भ फियो के श्री भूपिंदर सिंह ने किया। उन्होंने कार्यक्रम के स्वरूप तथा आगे की रूपरेखा का संक्षेप में परिचय दिया।
फियो (उत्तरी क्षेत्र) के क्षेत्रीय अध्यक्ष श्री अरविन्द गोयंका ने अपने स्वागत संबोधन में राजस्थान के निर्यात में राज्य के योगदान को रेखांकित किया। रत्न एवं आभूषण, हस्तशिल्प, संगमरमर व डेकोरेटिव स्टोन्स, टैक्सटाईल्स, इंजीनियरिंग उत्पाद, केमिकल्स आदि प्रमुख उत्पाद हैं। उन्होंने कहा कि भारत-यूके व्यापार समझौते से भारत के निर्यात-आयात घाटे को कम करने में सहायक होगा और किसी भी फाॅरेन ट्रेड एग्रीमेन्ट का वास्तविक लाभ तभी मिलेगा जब उद्यमियों एवं उद्योगों तक असरदार लाभ पहुँचे। उन्होंने यूनियन केबिनेट द्वारा प्रस्तावित एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन का उल्लेख करते हुए फियो की गतिविधियों व निर्यात प्रोत्साहन में इसकी भूमिका का संक्षेप परिचय भी दिया।
अपने स्वागत संबोधन में यूसीसीआई के अध्यक्ष श्री मनीष गलुण्डिया ने अपनी दिल्ली विजिट के दौरान माननीय केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पियूष गोयल के साथ हुई बैठक के संदर्भ में बताया कि सरकार ने यूएस-इण्डिया ट्रेड वार को देखते हुए व्यापारियों के लिए 20,000 करोड़ रुपये के राहत कोष को मंजूरी दी है। साथ ही जन विश्वास बिल - 3 की शीघ्र ही लागू किया जाना प्रस्तावित है जिससे व्यापारियों को अनावश्यक एवं पेचिदा कानूनी अनुपालनाओं से बहुत राहत मिलेगी। “व्यापार को सुगम बनाने“ के अभियान के तहत सरकार द्वारा 396 अनावश्यक कानूनों को समाप्त किए जाने का श्री गलुण्डिया ने उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यूसीसीआई का फोकस दक्षिण राजस्थान की आर्थिक वृद्धि पर केंद्रित है तथा 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की दिशा में योगदान देना चाहती है।
राजस्थान, विशेषकर दक्षिणी राजस्थान के लिए यह समय अभूतपूर्व अवसर लेकर आया है। हमारे क्षेत्र में मार्बल, मिनरल्स, हैंडीक्राफ्ट, इंजीनियरिंग उत्पाद, कृषि-उत्पाद, टेक्सटाइल और केमिकल्स जैसे अनेक क्षेत्र हैं जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में निरंतर बढ़ती हुई मांग है।
प्रस्तावित इण्डिया - यूके समग्र आर्थिक एवं व्यापार समझौता इस वृद्धि को और अधिक गति देगा। यह समझौता आने वाले समय में टैरिफ में कमी, बाजार तक बेहतर पहुँच, मानकों की पारस्परिक मान्यता और सबसे महत्वपूर्ण, एमएसएमई क्षेत्र को उच्च-मूल्य वाले बाजारों तक पहुँचने में सहायता प्रदान करेगा। यह समझौता दक्षिणी राजस्थान के निर्यातकों के लिए गेम-चेंजर सिद्ध हो सकता है।
यूसीसीआई का यह संकल्प है कि उदयपुर को एक उभरते हुए एक्सपोर्ट हब के रूप में स्थापित किया जाए। इसके लिए हम प्रमुख क्षेत्रों में एक्सपोर्ट फेसीलिटेशन सेल स्थापित कर रहे हैं, डीजीएफटी और डीआईसी के साथ नियमित वर्कशॉप्स आयोजित कर रहे हैं, पहली बार निर्यात करने वाले उद्यमियों को मार्गदर्शन दे रहे हैं, डॉक्यूमेंटेशन, पैकेजिंग और अनुपालन (कम्पलायंस) में कौशल विकास पर ध्यान दे रहे हैं, तथा उद्योगों के लिए वैश्विक बाजार से जुड़ाव को मजबूत बना रहे हैं।
डीजीएफटी अधिकारियों के समक्ष यूसीसीआई का यह सुझाव है कि एमएसएमई के लिए अनुपालन प्रक्रियाओं में और सरलता लाई जाए। उत्पाद विविधीकरण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जाए। मेवाड़ के ग्रामीण व जनजातीय उत्पादों के लिए विशेष निर्यात प्रोत्साहन योजनाएँ बनाई जाएँ।
इन प्रोत्साहनों से दक्षिणी राजस्थान की निर्यात क्षमता कई गुना बढ़ेगी और हमारा क्षेत्र भारत के निर्यात मिशन में महत्वपूर्ण योगदान दे सकेगा।
केसीसीआई के अध्यक्ष श्री गिरीश शर्मा ने अपने संबोधन में संगमरमर, हस्तशिल्प, इंजीनियरिंग गुड्स, रसायन व वस्त्र जैसे क्षेत्रीय उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने हेतु अधिक प्रोत्साहन प्रदान करने की मांग की।
श्री भूपिंदर सिंह ने मुख्य अतिथि का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि ने अपने सम्बोधन में श्रीमति वृंदा मनोहर देसाई, (आई.आर.एस.), एडिशनल डीजीएफटी ने राजस्थान के निर्यात प्रोफाइल पर प्रकाश डाला और कहा कि विदेशी व्यापार देश की आर्थिक उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि राजस्थान का देश की जीडीपी में योगदान 15 प्रतिशत से बढ़कर 46 प्रतिशत हुआ। इण्डिया-यूके व्यापार समझौता देश की संसद के दोनों सदनों की मंजूरी के बाद 3-4 माह के भीतर लागू होने की संभावनाएँ हैं। उन्होंने बताया कि इस समझौते के तहत प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ पर निर्यात शुल्क 70 प्रतिशत से घटाकर शून्य प्रतिशत करने का प्रावधान है। उन्होंने यह भी कहा कि अन्य देशों द्वारा यूनाईटेड किंगडम को शहद निर्यात पर 16 प्रतिशत शुल्क दिया जाता है जबकि भारत से शहद पर शून्य प्रतिशत शुल्क है। आगे उन्होंने 2025-26 से अगले 6 वर्षों के लिए निर्यात संवर्धन हेतु कुल 25,060 करोड़ रुपये के बजट का उल्लेख किया और निर्यात प्रोत्साहन एवं निर्यात दिशा जैसी केंद्र सरकार की योजनाओं का स्लाईड शो के माध्यम से विस्तृत परिचय दिया।
फियो के डीडीजी श्री आशिष जैन ने यूके-इण्डिया ट्रेड एग्रीमेन्ट के मुख्य प्रावधानों का स्लाईड-शो के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी। समझौते के प्रमुख प्रावधान, व्यापार एवं सेवा क्षेत्रों पर प्रभाव तथा व्यवसायों के लिए अवसरों पर चर्चा की गई।
जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबन्धक श्री शैलेंद्र शर्मा ने युवा वर्ग से मेड इन इण्डिया उत्पादों के उपयोग पर जोर दिया और राज्य सरकार द्वारा घोषित निर्यात संवर्धन योजनाओं का परिचय दिया तथा उद्यमियों से इन योजनाओं का लाभ उठाने की अपील की।
प्रश्नोत्तर काल के दौरान उपस्थित निर्यातक उद्यमियों के प्रश्नों का फियों व डीजीएफटी के अधिकारियों द्वारा विस्तार से समाधान प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर श्री भूपिंदर सिंह ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।