शिक्षकों के नाम की गलती बनी शिक्षा की विडंबना

( 332 बार पढ़ी गयी)
Published on : 02 Dec, 25 07:12

राजस्थान में शिक्षा सुधार के दावों और निरीक्षणों की लम्बी सूची भले ही काग़ज़ों पर चमकती हो, लेकिन ज़मीनी सच यह हैं कि विद्यालयों में शिक्षण व्यवस्था की सबसे बुनियादी आवश्यकता—अपने नाम की सही वर्तनी लिखना—आज भी शिक्षक स्तर पर ही अधूरी है। स्थिति इतनी विडंबनापूर्ण हैं कि जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) और अतिरिक्त मुख्य उपखंड शिक्षा अधिकारी (ABEO) के कार्यक्रमों की जब भी खबरें अख़बारों में प्रकाशित होती हैं, उनमें विद्यालयों के शिक्षकों के नाम आधे-अधूरे, गलत प्रारूप में, कहीं सरनेम गायब, तो कहीं नाम को तोड़कर सरनेम की जगह उल्टा-सीधा लिखा हुआ देखने को मिलता है। यह नज़ारा पढ़कर सहज ही प्रश्न उठता है—जब शिक्षक अपना नाम तक सही नहीं लिख पा रहे, तो वे बच्चों को शिक्षा की मूलभूत परिभाषा कैसे सिखाएंगे?

सच्चाई यह हैं कि नाम लिखना कोई औपचारिकता नहीं, बल्कि शिक्षा का प्रथम पाठ—अंगूठा छाप से आगे बढ़ने की पहली सीढ़ी है। व्यक्ति का पूरा नाम—First Name, Middle Name और Surname—उसकी पहचान का जड़-मूल होता है। लेकिन जब यही मूल पहचान शिक्षा व्यवस्था में लगे शिक्षकों के स्तर पर टूटे हुए रूप में दिखाई दे, तो यह स्पष्ट संकेत है कि शिक्षा की नींव ही कमजोर है। ऐसे में विभाग द्वारा जारी निरीक्षण, दिशा-निर्देश, परिपत्र और बैठकों की कार्यवाही—सभी केवल औपचारिक काग़ज़ी खानापूर्ति बनकर रह जाती हैं।

अखबारों में जिस तरह से शिक्षकों के नाम विकृत रूप में छप रहे हैं—कहीं “कुमार” को पिता के नाम के स्थान पर, कहीं “लाल”, “राम”, “सिंह” को सरनेम बताया जा रहा हैं, तो कहीं First Name को आधा काटकर Surname की जगह रख दिया गया—यह सब इस बात का प्रतीक हैं कि शिक्षकों के स्तर पर नाम की पहचान ही अस्पष्ट हैं। और जब शिक्षक अपने नाम की मूल संरचना नहीं समझते, तो विद्यार्थियों की शैक्षणिक यात्रा का भविष्य कैसा सुरक्षित हो सकता है?

शिक्षा प्रणाली में वास्तविक सुधार उन्हीं दिन शुरू होंगे जब शिक्षक अपना नाम शुद्ध, संपूर्ण और सही प्रारूप में लिखना सीखेंगे। यह सुधार न कोई बड़ा बजट माँगता है, न कोई योजना—बस समझ, जागरूकता और जिम्मेदारी की आवश्यकता है। जब शिक्षक अपनी पहचान सही लिखेगा, तब विद्यार्थी भी अपनी पहचान सही ढंग से सीख पाएगा। राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था को मज़बूत बनाना हैं तो शुरुआत किसी बड़ी नीति से नहीं, बल्कि शिक्षक के नाम की सही वर्तनी से करनी होगी—यही भविष्य की शिक्षा की सबसे मजबूत नींव है।
 


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.