श्री अश्विनी वैष्ण, केंद्रीय रेल, सूचना व प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने लोक सभा में प्रश्नों के जवाब में दी विस्तृत जानकारी

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Published on : 04 Dec, 25 05:12

श्री अश्विनी वैष्ण, केंद्रीय रेल, सूचना व प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने लोक सभा में प्रश्नों के जवाब में दी विस्तृत जानकारी

नई दिल्ली। लोकसभा में रेलवे संबंधित प्रश्नों पर चर्चा के दौरान राजस्थान के बांसवाडा-डूंगरपुर के सांसद श्री राजकुमार रोट द्वारा निम्न प्रश्न सदन में रखे जिसके तहत क्या उदयपुर और दिल्ली के बीच चलने वाली चेतक और मेवाड़ एक्सप्रेस ट्रेनें उदयपुर रेलवे स्टेशन पर आठ घंटे से ज़्यादा रुकती हैं, अगर हाँ, तो क्या सरकार इसकी सर्विस को डूंगरपुर तक बढ़ाने का विचार कर रही है, अगर हाँ, तो यह कब तक होने की संभावना है और अगर नहीं, तो इसके क्या कारण हैं, क्या बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र में दिल्ली, मुंबई और दूसरे बड़े शहरों से सीधी ट्रेन कनेक्टिविटी नहीं है, अगर हाँ, तो बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र को दिल्ली और मुंबई से सीधे जोड़ने के लिए सरकार की कोशिशों का ब्यौरा क्या है, 2012 में मंज़ूर डूंगरपुर-रतलाम वाया बांसवाड़ा रेल प्रोजेक्ट कब तक पूरा होने की उम्मीद है और अब तक पूरे हुए काम की डिटेल्स क्या हैं और बाकी काम पूरा होने का टाइमफ्रेम क्या है और लोगों को कितना मुआवज़ा मिला है और कितना अभी तक नहीं मिला है?
 रेल, सूचना और प्रसारण एवं इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव द्वारा उपरोक्त प्रश्नों के निम्न उत्तर दिए गए, जिनमें चेतक एक्सप्रेस 20473/20474 दिल्ली सराय रोहिला और उदयपुर के बीच चलती है और उदयपुर में लगभग नौ घंटे रुकती है। मेवाड़ एक्सप्रेस 12963/12964 हज़रत निज़ामुद्दीन और उदयपुर के बीच चलती है और उदयपुर में लगभग ग्यारह घंटे रुकती है, जिस दौरान इसका प्राइमरी मेंटेनेंस होता है। अभी चेतक और मेवाड़ एक्सप्रेस दोनों की ऑक्यूपेंसी दोनों दिशाओं में लगभग 100 प्रतिशत है।
 उन्होंने बताया कि रेलवे लगातार अपने एसेट्स का ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल करने की कोशिश करता है, ताकि लेट-ओवर पीरियड का सही इस्तेमाल किया जा सके। लेट-ओवर पीरियड का इस्तेमाल मेंटेनेंस (प्राइमरी और सेकेंडरी) और कोच की सफाई के लिए किया जाता है ताकि ऑपरेशन की सेफ्टी और सफाई पक्की हो सके। लेट-ओवर पीरियड का इस्तेमाल स्पेशल ट्रेनों के ऑपरेशन के लिए भी किया जाता है। उदयपुर - डूंगरपुर-हिम्मत नगर सेक्शन का गेज कन्वर्जन हाल ही में पूरा हुआ है। गेज कन्वर्जन के बाद, डूंगरपुर को कोटा, इंदौर,  उदयपुर, अहमदाबाद, जयपुर जैसे शहरों से जोड़ने वाली 5 जोड़ी ट्रेनें शुरू की गई हैं। कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए मौजूदा ट्रेन सर्विस को बढ़ाने सहित नई ट्रेन सर्विस शुरू करना एक लगातार चलने वाला प्रोसेस है, जो किसी भी रूट/सेक्शन पर ऑपरेशनल फिजिबिलिटी पर निर्भर करता है। यह कई बातों पर निर्भर करता है।
जिनमें शामिल हैं- उस सेक्शन की कैपेसिटी, रास्ते की उपलब्धता, ज़रूरी रोलिंग स्टॉक की उपलब्धता, रोलिंग स्टॉक के लिए मैचिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता, रेलवे ट्रैक और दूसरे एसेट्स के मेंटेनेंस की ज़रूरत तथा डूंगरपुर-बांसवाड़ा इलाके की रेल कनेक्टिविटी को मज़बूत करना शामिल है। रतलाम-बांसवाड़ा-डूंगरपुर (188 किमी.) नई लाइन प्रोजेक्ट को राजस्थान सरकार और रेल मंत्रालय के बीच 50.50 प्रतिशत कॉस्ट-शेयरिंग पर 2083 करोड़ की लागत से मंज़ूरी दी गई थी। इस प्रोजेक्ट के लिए भूमि राजस्थान राज्य सरकार को अपने खर्च पर देनी है। अब तक, कुल ज़रूरी 1,736 हेक्टेयर ज़मीन में से 646 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण हो चुकी है।
 रेलवे संबंधित राज्य/ज़िला अथॉरिटीज़ के ज़रिए ज़मीन अधिग्रहण करता है। ज़मीन एक्वायर करने से जुड़ी सभी एक्टिविटीज़ जैसे ज़मीन मालिकों को मुआवज़े की रकम का असेसमेंट और मुआवज़ा देना वगैरह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में हैं। भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवज़ा राज्य सरकार का रेवेन्यू डिपार्टमेंट रेलवे से मांगने के बाद देता है। यह प्रोसेस राज्य सरकारों के साथ कोऑर्डिनेशन में, ज़मीन अधिग्रहण, पुनर्वास और रिसेटलमेंट एक्ट, 2013 में सही मुआवज़ा और पारदर्शिता के अधिकार के नियमों का पालन करते हुए किया जाता है। बांसवाड़ा और आस-पास के इलाके को मुंबई और दिल्ली से जोड़ने के लिए, नीमच, बांसवाड़ा, दाहोद-अलीराजपुर-नंदुरबार नई लाइन (380 किमी.) के सर्वे को भी मंज़ूरी दी गई है ताकि डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जा सके। इसके अलावा, मंदसौर-प्रतापगढ़-घाटोल-बांसवाड़ा (168 किमी.) से नई लाइन के सर्वे को भी मंज़ूरी दी गई है ताकि डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जा सके। फील्ड सर्वे का काम पूरा हो चुका है।


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