स्वास्थ्य,अनुशासन और सेवा के प्रेरक आदर्श व्यक्तित्व राजेन्द्र रांका

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Published on : 04 Dec, 25 15:12

-आर.सी. मेहता-

स्वास्थ्य,अनुशासन और सेवा के प्रेरक आदर्श व्यक्तित्व राजेन्द्र रांका

उदयपुर। आज के दौर में हर कोई अपनी-अपनी जिंदगी की परेशानियों में इतना व्यस्त और उलझा हुआ रहता है कि उसे यह महसूस ही नहीं होता कि वह अपने स्वास्थ्य के साथ कितनी लापरवाही और खिलवाड़ कर रहा है। राजेन्द्र रांका हमेशा कहते है कि अगर आप और मैं अपने स्वास्थ्य का ध्यान ही नहीं रखेंगे, तो लाखों-करोड़ों की सम्पत्ति भी बेकार है और वो बिल्कुल सही कहते हैं।आज मैं आपको ऐसे ही अद्भुत व्यक्तित्व से मिलवाना चाहता हूं राजेन्द्र रांका, जिनसे गुलाब बाग मैं उनके साथ कई महीनों से वॉक करते हुए प्रतिदिन प्रेरणा प्राप्त कर रहा हूँ।
गुलाब बाग के प्रेरक आदर्श पुरुष- उदयपुर शहर के गुलाब बाग में प्रतिदिन सुबह और शाम को, एक ऐसा प्रेरक,आदर्श व्यक्तित्व, जिसकी मुस्कान, जिनकी शालीनता, जिनका अनुशासन और उनकी विनम्रता हर आगंतुक और घूमने वालो को विशेष ऊर्जा प्रदान करती हैं।  
65 वर्ष की आयु में उनकी जीवनशैली और नियमितता इतने अद्भुत हैं जो हम सभी को प्रभावित एवं प्रेरित करती है। आज की युवा पीढ़ी को भी उनसे प्रेरणा लेनी चाहिये ।
राजेन्द्र रांका पिछले कई वर्षों से नियमित रूप से रोजाना गुलाब बाग में आते हैं ,केवल घूमने नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ रहने और स्वास्थ्य को साधने के लिए। रोजाना सुबह और  शाम 5 से 7 घंटे गुलाब बाग में प्रकृति के संग बिताते हैं। वे चलते हैं,योग करते हैं, वे दौड़ते  है और सबसे सुंदर बात यह है कि हर व्यक्ति को मुस्कुराकर “जय सियाराम”, “जय जगन्नाथ” से अभिवादन व बड़ों को प्रणाम करते हैं और रास्ते में जो भी वरिष्ठजन पेंशनर मिल जाये तो उनकी आ रही सहकारी बाधाओं एवं समस्याओं को पूर्ण निष्पादित करने में सहयोग प्रदान करते है।
सेवा उनका संस्कार है- रांका जीवन को, सेवा के रूप में जीते हैं, वो न केवल गुलाब बाग के नियमित साथी हैं, बल्कि वहां मिलने वाले अनेक वरिष्ठ नागरिकों के लिए सेवा का आधार भी हैं। वे उनके सभी कार्यों में निःवार्थ सहयोग करते हैं। न कोई शुल्क, न कोई दिखावा , सिर्फ सेवा ही सेवा। यह सब उनके भीतर बहने वाले निश्छल, निर्मल और समर्पित सेवा-भाव को प्रकट करता है। वो सेवा के रूप में वरिष्ठ रिटायर्ड पेंशनर्स के ऑनलाइन कार्यों में सहायता करना,सभी साथियांे एवं परिचितों को नियमित फोन कर स्वास्थ्य के लिए प्रेरित करना,जैन साधु-संतों का सम्मानपूर्वक आहार - विहार में सहयोग करना, धार्मिक ग्रंथो का नियमित अध्यन साधु संतो के प्रवचनों के प्रति गहरी निष्ठा,समाज में जहाँ भी जरूरत हो,निस्वार्थ सेवा -सहयोग करना,
24 घंटे सेवा के लिये तत्पर रहते है।
संस्कारों की मिट्टी से बना व्यक्तित्व ,अनुशासन उनका जीवन मंत्र- रांका की जन्मभूमि कानोड़ है जो शिक्षा की नगरी के नाम से विख्यात है। कानोड़ की मिट्टी ने उन्हें शिक्षा के साथ सादगी, धर्मनिष्ठा, विनम्रता और सेवा-भाव जैसे अनमोल संस्कार दिए हैं, अनुशासन उनका जीवन मंत्र है जो आज भी उनके व्यक्तित्व में साफ झलकता  हैं। आप राजकीय सेवा में कार्यरत रहे है तथा उपकोषाधिकारी के पद पर रहकर आप मावली एवं वल्लभ नगर  से सआदर सेवा निवृत हुए है।  आप की उम्र भले ही 65 वर्ष की है लेकिन उनका अद्भुत अनुशासन नियमित है। यह उनकी मजबूत इच्छाशक्ति का प्रमाण है। उन्हें एक चलते-फिरते आदर्श प्रेरक के रूप में स्थापित करता है। वे हँसते हुए एवं मुस्कराते हुए कहते हैं कि “ मैं कम से कम 150 वर्ष स्वस्थ रहूँगा और इस गुलाब बाग के संग आनंदित रहूँगा, क्योंकि मैं दवाई नहीं ,अनुशासन, खुशी और सेवा को दवा मानता हूँ।” वो इसीलिये .. हमेशा प्रातः 3 बजे उठते है ,योग साधना करते है।  
वो हमेशा जीवन संगिनी परिवार को प्राथमिकता देते है एवं उनकी प्रशंषा से नहीं थकते।  गुलाब बाग की शुद्ध हवा (ऑक्सीजन) लेना उनका जन्म सिद्ध अधिकार है। प्रकृति के संग रहना उनका स्वभाव है। सुबह और शाम लगभग 20 किलो मीटर की लंबी वॉक उनकी दिनचर्या है। सभी से सौजन्यपूर्ण व्यवहार उनकी नैतिकता है। शालीनता और मुस्कुराहट से मिलना उनकी खुशी है।
और जैन साधु-संतों की सेवा, प्रवचन और आध्यात्मिकता में निष्ठा उनका विश्वास है।
वरिष्ठ रिटायर्ड पेंशनर्स की सेवा उनके संस्कार है-सभी को स्वस्थ देखना उनका मूल मंत्र है। मेरे लिए सौभाग्य मुझे उनके साथ रहने, उनके साथ रोज घूमने, उनके अनुभव सुनने,और उनकी सकारात्मक सोच से सीखने का पूरा सौभाग्य मिला है। चाहे आध्यात्मिक व धार्मिक प्रसंग हों, प्रेरक कहानियाँ हों या जीवन के अनुभव या अनुशासन ,उनके हर शब्द में जीवन की गहराई छिपी होती है।
ऐसे व्यक्तित्व को मेरा हृदय से प्रणाम-प्रकृति प्रेम, सेवा-भाव, ईमानदारी, अनुशासन और विनम्रता ,ये पाँचों गुण मिलकर  राजेन्द्र रांका सा को एक अद्वितीय व्यक्तित्व बनाते हैं। हम सब उनके साथ वॉक करने वाले साथी मदनलाल शर्मा, कुंदन भटेवरा, संजय भंडारी और मैं स्वयं आर.सी. मेहता उन पर गर्व करते हैं, उनसे सीखते हैं और उन्हें अपना मार्गदर्शक मानते हैं और यह भी जानते है कि उनको न किसी पद की लालसा है, न हि किसी सम्मान की इच्छा । उनकी सादगी, ईमानदारी, सेवा और सकारात्मक ऊर्जा उन्हें समाज में सबसे विशिष्ट, सबसे प्रिय और सबसे आदरणीय बना देती है। गुलाब बाग में उनके साथ रोज चलने वाले हम सभी साथी स्वयं को सौभाग्यशाली मानते हैं। क्योंकि हर दिन उनसे हंसना,सरल रहना,तनावमुक्त जीवन जीना,
धर्म को व्यवहार में लाना, और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना है।


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