दिवंगत अमर रहे, इसलिए मृत्यु की पुष्टि होते ही परिजन करवाते है,नेत्रदान

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Published on : 08 Dec, 25 04:12

चिकित्सक पिता का पुत्र ने और दादी माँ का पौत्र ने कराया नेत्रदान

दिवंगत अमर रहे, इसलिए मृत्यु की पुष्टि होते ही परिजन करवाते है,नेत्रदान

हाडोती संभाग में नेत्रदान जागरुकता का प्रतिशत काफी बढ़ चुका है । संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन की सचिव डॉ संगीता गौड़ ने बताया कि,पिछले छह माह में हाडोती संभाग प्राप्त हुए  नेत्रदानों में 90% लोग ऐसे थे,जिन्होंने परिजन की मृत्यु की पुष्टि होते ही तुरंत परिजन के नेत्रदान करवाने के लिए संस्था को संपर्क किया ।

शनिवार को, जयश्री विहार निवासी व ज्योति मित्र मयंक जैन के पिता डॉ सुरेश चंद जैन का देर रात जयपुर में आकस्मिक निधन हुआ, मृत्यु की पुष्टि होते ही,मयंक ने तुरंत ही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन को रात 11:00 बजे सूचना दी, कि पिताजी का देहांत हो गया है,और सुबह 5:00 तक उनका पार्थिव शव कोटा आ जाएगा । परिजनों की सहमति के अनुसार संस्था के सहयोग से डॉ सुरेश चंद का नेत्रदान सुबह 6:00 बजे संपन्न हुआ ।

ज्ञात हो कि,4 वर्ष पूर्व मयंक के माध्यम से ही उनकी माताजी स्वर्गीय श्रीमति कनक लता जैन का भी नेत्रदान संपन्न हुआ था । मयंक ने अपना स्वयं का देहदान संकल्प पत्र भी शाइन इंडिया फाउंडेशन के साथ भरा हुआ है ।


शनिवार रात को ही ग्राम घाटोली,जिला झालावाड़ निवासी कृष्णा गौतम के निधन की पुष्टि होते ही,पौत्र विशेष ने संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क कर दादी मां का नेत्रदान संपन्न करवाया था ।

संस्थापक डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि,शोक की सूचना से एक तरफ जहाँ पूरा परिवार दुख में आ जाता है,ऐसे में किसी एक सभ्य व्यक्ति द्वारा नेत्रदान की समझाइश और नेत्रदान होना,किसी न किसी तरह से शोक को कम करने का साधन बनता है ।


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