शाइन इंडिया फाउंडेशन व ईबीएसआर-बीबीजे चेप्टर के तत्वाधान में बारां जिले के पलायथा गांव के राज० उच्च मा० विद्यालय,राज० महात्मा गांधी विद्यालय एवं राज० प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय में कक्षा 6 से 12 तक के कुल 700 से अधिक विद्यार्थियों और उपस्थित शिक्षकों को नेत्रदान अंगदान के विषय पर संस्था संस्थापक डॉ कुलवंत गौड़ और डॉ संगीता गौड़ ने बहुत उपयोगी जानकारी दी।
कार्यशालाओं का आयोजन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पलायथा के ही, नेत्रदान संकल्पित शिक्षक दिगदर्शन सिंह चौहान द्वारा किया गया था ।
डा. कुलवंत गौड़ ने छात्र/छात्राओं समेत विद्यालय स्टाफ को नेत्रदान और अंगदान के महान कृत्य को दैनिक जीवन के सहज उदाहरणों से जोड़कर स्पष्ट किया। उन्होंने साझा किया कि,मरणोपरांत देह जो मिट्टी समान हो जाती है,उसे मानवता के निमित्त कल्याण में लगाने का पुनीत कार्य होता है - नेत्रदान और अंगदान। किंतु कुछ पारंपरिक भ्रांतियों और भावनात्मक संबंधों के चलते हम इस कल्याणकारी कदम को उठाने में हिचकिचाते हैं।
संस्था सचिव डॉ संगीता ने बताया कि,नेत्रदान मृत्यु के बाद 6 से 8 घंटे के भीतर,10 मिनट में पूरी होने वाली रक्त विहीन प्रक्रिया है,इस प्रक्रिया में आँख के ठीक सामने दिखाई देने वाला पारदर्शी हिस्सा जिसे पुतली या कॉर्निया कहा जाता है, उसे ही मृतक की आँखों से लिया जाता है,लोगों को ऐसी भ्रांति है कि,नेत्रदान में पूरी आँख ली जाती है जो कि गलत है, कॉर्निया लेने से किसी भी तरह की विकृति चेहरे पर नहीं आती है । अंत में सवाल जवाब के माध्यम से बच्चों को शाइन मेडल से पुरस्कृत किया गया ।
शिक्षक दिगदर्शन ने भी विद्यार्थियों को संबोधित करते कहा कि,देश को अच्छे नागरिक देने के लिये उत्तम शिक्षा के साथ साथ ,समय समय पर इस तरह के सामाजिक कार्यों की कार्यशाला से बच्चों में न सिर्फ समाज,देश के प्रति दायित्व बढ़ता है,बल्कि उनमें नई ऊर्जा व आत्मविश्वास का संचार करता है ।
कार्यशाला के अंत में प्रश्नोत्तरी के माध्यम से बच्चों को नेत्रदान अंगदान के विषय पर दीजिए जानकारी के बारे में सवाल किए गये और सही जवाब देने वालों को,शाइन मेडल से पुरस्कृत किया गया ।
नेत्रदान अंगदान की जागरूकता कार्यशाला में, प्रधानाचार्य श्रीमती संध्या शर्मा,श्रीमती वंदना राठौर श्रीमती पुष्पा उदेशिया,के साथ गिरीश गोचर,सत्येंद्र मीना,बृजमोहन वर्मा और मनीष का सहयोग रहा ।