दिल्ली-मुंबई मार्ग पर पलवल-मथुरा-नागदा खंड (633 किमी) और दिल्ली-हावड़ा मार्ग पर हावड़ा-बर्दमान खंड (105 किमी) सहित 738 किलोमीटर मार्ग पर कवच 4.0 चालू किया गया

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Published on : 20 Dec, 25 10:12

दिल्ली-मुंबई मार्ग पर पलवल-मथुरा-नागदा खंड (633 किमी) और दिल्ली-हावड़ा मार्ग पर हावड़ा-बर्दमान खंड (105 किमी) सहित 738 किलोमीटर मार्ग पर कवच 4.0 चालू किया गया

भारतीय रेलवे के सभी गोल्डन क्वाड्रिलैटरल, गोल्डन डायगोनल, उच्च घनत्व नेटवर्क और चिन्हित खंडों को कवर करते हुए 15,512 किलोमीटर मार्ग पर ट्रैकसाइड कवच कार्यान्वयन शुरू किया गया
कवच 4.0 में उच्च स्थान सटीकता, बेहतर यार्ड सिग्नल जानकारी ओएफसी-आधारित स्टेशन इंटरफ़ेस और यात्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग एकीकरण के लिए सीधा इंटरफ़ेस जैसी विशेषताएं है
नई दिल्ली।
कवच स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है। कवच एक अत्यंत तकनीकी रूप से उन्नत प्रणाली है, जिसके लिए उच्चतम स्तर (एसआईएल-4) का सुरक्षा प्रमाणन आवश्यक है। कवच लोको पायलट को निर्धारित गति सीमा के भीतर ट्रेनों को चलाने में सहायता करता है, यदि लोको पायलट ऐसा करने में विफल रहता है तो यह स्वचालित रूप से ब्रेक लगा देता है और खराब मौसम में भी ट्रेनों को सुरक्षित रूप से चलाने में मदद करता है। यात्री ट्रेनों पर पहला फील्ड परीक्षण फरवरी 2016 में शुरू किया गया था। प्राप्त अनुभव और स्वतंत्र सुरक्षा मूल्यांकनकर्ता (आईएसए) द्वारा प्रणाली के स्वतंत्र सुरक्षा मूल्यांकन के आधार परए 2018-19 में तीन फर्मों को कवच संस्करण 3.2 की आपूर्ति के लिए अनुमोदित किया गया था।
जुलाई 2020 में कवच को राष्ट्रीय एटीपी प्रणाली के रूप में अपनाया गया। कवच प्रणाली के कार्यान्वयन में निम्नलिखित प्रमुख गतिविधियाँ शामिल हैं, प्रत्येक स्टेशन और ब्लॉक सेक्शन पर स्टेशन कवच लगाना। पूरी पटरी पर आरएफआईडी टैग लगाना। पूरे सेक्शन में दूरसंचार टावर लगाना। पटरी के साथ ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना। भारतीय रेलवे पर चलने वाले प्रत्येक लोकोमोटिव पर लोको कवच लगाना।
दक्षिण मध्य रेलवे के 1465 आरकेएम क्षेत्र में कवच संस्करण 3.2 के कार्यान्वयन और प्राप्त अनुभव के आधार परए इसमें और सुधार किए गए। अंततः, कवच विनिर्देश संस्करण 4.0 को 16.07.2024 को आरडीएसओ द्वारा अनुमोदित किया गया। कवच संस्करण 4.0 में विविध रेलवे नेटवर्क के लिए आवश्यक सभी प्रमुख विशेषताएं शामिल हैं। यह भारतीय रेलवे की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। कम समय में हीए भारतीय रेलवे ने स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली विकसितए परीक्षण और कार्यान्वयन शुरू कर दिया है। संस्करण 4.0 में किए गए प्रमुख सुधारों में स्थान सटीकता में वृद्धि, बड़े यार्डों में सिग्नल पहलुओं की बेहतर जानकारी, ओएफसी पर स्टेशन-टू.स्टेशन कवच इंटरफेस और मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ सीधा इंटरफेस शामिल हैं। इन सुधारों के साथए कवच संस्करण 4.0 को भारतीय रेलवे में बड़े पैमाने पर लागू करने की योजना है। व्यापक और विस्तृत परीक्षणों के बाद, कवच संस्करण 4.0 को दिल्ली-मुंबई मार्ग पर पलवल-मथुरा-नागदा खंड (633 किमी) और हावड़ा-बर्दमान खंड (105 किमी) पर सफलतापूर्वक चालू कर दिया गया है। दिल्ली-मुंबई और दिल्ली.हावड़ा कॉरिडोर के शेष खंडों में कवच का कार्यान्वयन शुरू कर दिया गया है।
दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर सहित उच्च घनत्व वाले मार्गों पर कवच की प्रमुख मदों की प्रगति निम्नलिखित है, ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना 7129 किमी, दूरसंचार टावरों की स्थापना 860 नग, स्टेशनों पर कवच लगाना 549 नग, ट्रैक किनारे उपकरणों की स्थापना 2674 आरकेएम, लोकोमोटिवों पर कवच लगाना 4,154 हैं।
इसके अतिरिक्त, भारतीय रेलवे के सभी जीक्यूए जीडी, एचडीएन और चिन्हित खंडों को कवर करते हुए 15,512 आरकेएम पर ट्रैक साइड कवच कार्यान्वयन कार्य शुरू किया गया है। कवच संस्करण 4.0 से लैस 9,069 अन्य लोकोमोटिव के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं। लोकोमोटिव में कवच को चरणबद्ध तरीके से धीरे.धीरे प्रदान किया जा रहा है। सभी संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए भारतीय रेलवे के केंद्रीकृत प्रशिक्षण संस्थानों में कवच पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। अब तक 40,000 से अधिक तकनीशियनों, ऑपरेटरों और इंजीनियरों को कवच तकनीक पर प्रशिक्षित किया जा चुका है। इसमें 30,000 लोको पायलट और सहायक लोको पायलट शामिल हैं। पाठ्यक्रम आईआरआईएसईटी के सहयोग से तैयार किए गए हैं।
स्टेशन सहित ट्रैक साइड कवच उपकरण प्रदान करने की लागत लगभग 50 लाख रुपये प्रति किमी है और लोकोमोटिव पर कवच उपकरण प्रदान करने की लागत लगभग 50 लाख रुपये प्रति किमी है। 80 लाख/लोको। कवच परियोजनाओं पर अब तक अक्टूबर 2025 तक 2,354.36 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। वर्ष 2025-26 के लिए 1673.19 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है। कार्यों की प्रगति के अनुसार आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराई जाती है।
यह जानकारी केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण एवं इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।


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