दो दशकों से मनरेगा करोड़ों ग्रामीण परिवार की लाइफलाइन रही है, मोदी सरकार ने वो अधिकार भी छीना, नेशनल हेराल्ड मामले में मोदी-शाह के झूठ कमजोर हो गए - ऋतु चौधरी

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Published on : 20 Dec, 25 11:12

दो दशकों से मनरेगा करोड़ों ग्रामीण परिवार की लाइफलाइन रही है, मोदी सरकार ने वो अधिकार भी छीना, नेशनल हेराल्ड मामले में मोदी-शाह के झूठ कमजोर हो गए - ऋतु चौधरी

मनरेगा को कमजोर करने एवं नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता ने उदयपुर में करी प्रेस वार्ता।

उदयपुर। मनरेगा का नाम बदलकर योजना को कमजोर करने का कुप्रयास करने एवं नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा देश भर में प्रेस वार्ता कर केंद्र की अहंकारी मोदी सरकार की कुनीतियों को देश के सामने उजागर किया जा रहा है। इसी क्रम में उदयपुर में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय प्रवक्ता ऋतु चौधरी द्वारा प्रेस वार्ता करी गई। प्रेस वार्ता में नेशनल हेराल्ड और मनरेगा मुद्दे पर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए चौधरी ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का इस्तेमाल राजनीतिक बदले की भावना से किया जा रहा है, जबकि अदालतों ने बार-बार इस मामले में जांच की प्रक्रिया और आधार पर सवाल उठाए हैं। नेशनल हेराल्ड केस में न तो प्रारंभिक अपराध स्पष्ट है और न ही मनी लॉन्ड्रिंग के ठोस साक्ष्य है। सुप्रीम कोर्ट और निचली अदालतों में यह बात सामने आई है कि लंबे समय तक एफआईआर दर्ज करने का कोई कानूनी आधार नहीं था, इसके बावजूद जांच एजेंसियों ने कार्रवाई जारी रखी। सोनिया गांधी एवं लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को निशाना बनाना राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, ताकि विपक्ष को डराया जा सके। मोदी सरकार की यह कार्रवाई न्यायिक प्रक्रिया से ज़्यादा राजनीतिक दबाव बनाने का प्रयास है। मोदी सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है। ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग जैसी संवैधानिक संस्थाओं का इस्तेमाल विपक्षी दलों को दबाने के लिए किया जा रहा है। लेकिन हम डरने वाले नहीं है और लोकतंत्र, संविधान और जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखेंगे। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार की 'वोट चोरी' का पूरी तरह से पर्दाफाश किया तो मोदी सरकार के पास झूठ और प्रपंच फैलाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा। ईडी एवं अन्य संवैधानिक संस्थाएं मोदी सरकार की की धमकाने वाली एजेंसी बन कर रह गई है। माननीय न्यायालय का फैसला मोदी सरकार द्वारा संस्थानों के गलत इस्तेमाल को सामने लाता है और यह दिखाता है कि कैसे सरकार की संवैधानिक संस्थाओं का इस्तेमाल राजनीतिक हिसाब बराबरी करने के लिए किया जा रहा है। राहुल गांधी से लगातार 5 दिनों तक चली 50 घंटे की पूछताछ सरकार की तरफ से की गई राजनीतिक साजिश के अलावा कुछ नहीं थी। 140 करोड़ भारतीयों को एहसास हो गया है कि नेशनल हेराल्ड केस में केंद्र की मोदी सरकार के आरोप झूठ का पुलिंदा, प्रोपेगेंडा और अपने राजनैतिक विरोधियों को किसी भी तरह परेशान करने की एक नाकाम कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है।

2014 से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मनरेगा के बहुत खिलाफ रहे हैं, उन्होंने संसद में इसे कांग्रेस की नाकामी की जीती जागती निशानी भी कहा था। पिछले 11 सालों में मनरेगा को सुनियोजित तरीके से कमजोर किया गया है और उसके नियमों में तोड़फोड़ करी गई है। बजट में कटौती करने से लेकर राज्य सरकारों के कानूनी तौर पर जरूरी फंड रोकना, जॉब कार्ड हटाने और आधार बेस्ड पेमेंट की मजबूरी के कारण लगभग 7 करोड़ मज़दूर को योजना से बाहर तक करने के फैसले लिए गए हैं। इस जान पूछ कर किए गए दबाव के नतीजे में पिछले 5 सालों में मनरेगा में हर साल मुश्किल से 50 से 55 दिन का ही रोजगार मिल पा रहा है। यह सोच समझ कर मनरेगा को खत्म करने की साजिश है। यह दो दशकों से करोड़ों ग्रामीण परिवारों की लाइफ़लाइन रही मनरेगा को खत्म करने का प्रयास है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, जो ग्रामीण गरीबों के लिए आजीविका की गारंटी है, उसे जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है। मनरेगा के बजट में पर्याप्त बढ़ोतरी नहीं की गई, मनरेगा के भुगतान में देरी हो रही है और डिजिटल प्रक्रियाओं व केंद्रीकरण के जरिए राज्यों की भूमिका सीमित की जा रही है। कोविड-19 के बाद मनरेगा ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए जीवनरेखा साबित हुई थी, लेकिन अब सरकार इसे धीरे-धीरे निष्प्रभावी कर रही है।

मोदी सरकार का यह कदम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के आदर्शों का सीधा-सीधा अपमान है। और यह ग्रामीण रोजगार के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा खुली जंग का ऐलान है। रिकॉर्ड बेरोजगारी से भारत के युवाओं को तबाह करने के बाद मोदी सरकार अब गरीब ग्रामीण परिवारों की बची हुई आखिरी आर्थिक सुरक्षा को निशाना बना रही है। हम सड़क से लेकर संसद तक इस जनविरोधी, मजदूर विरोधी और फेडरल विरोधी हमले का विरोध करेंगे। प्रेस वार्ता में एआईसीसी राष्ट्रीय प्रवक्ता ऋतु चौधरी के साथ प्रदेश कांग्रेस महासचिव एवं प्रवक्ता पंकज कुमार शर्मा, उदयपुर शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष फतह सिंह राठौड़, संगठन महासचिव अरुण टांक, उदयपुर देहात जिला कांग्रेस प्रवक्ता डॉ संजीव राजपुरोहित, उदयपुर शहर जिला कांग्रेस प्रवक्ता पंकज पालीवाल, डॉ कौशल नागदा, दिनेश दवे, दिनेश औदिच्य भी उपस्थित रहे।


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