मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का 33वां दीक्षांत समारोह

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Published on : 21 Dec, 25 14:12

आजीवन सीखते रहना और मानवता के कल्याण हेतु कार्य करना ही विद्यार्थी का सच्चा कर्तव्य – राज्यपाल

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का 33वां दीक्षांत समारोह

उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (एमएलएसयू) का 33वां दीक्षांत समारोह आरएनटी मेडिकल कॉलेज सभागार में गरिमामय एवं शैक्षणिक वातावरण में आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागड़े ने की। उन्होंने अपने प्रेरणादायी संबोधन में कहा कि दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं, बल्कि जीवन की नई यात्रा की शुरुआत है, जहाँ से विद्यार्थी अपने अर्जित ज्ञान, संस्कार और मूल्यों को समाज व राष्ट्र के हित में प्रयोग करने की दिशा में अग्रसर होते हैं।


राज्यपाल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं, बल्कि ज्ञान को मानवता के कल्याण में लगाना है। उन्होंने तैत्तिरीय उपनिषद् का उल्लेख करते हुए कहा कि आचार्य द्वारा दी जाने वाली अंतिम शिक्षा—सत्य के मार्ग पर चलना और धर्म का आचरण करना—आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यहाँ धर्म का अर्थ कर्तव्य का पालन है। आजीवन कुछ नया सीखते रहना और समाज के प्रति उत्तरदायित्व निभाना ही विद्यार्थी का सच्चा कर्तव्य है।

समारोह में शैक्षणिक सत्र 2024 के अंतर्गत विभिन्न संकायों के 91 मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक एवं प्रायोजित स्मृति पुरस्कार प्रदान किए गए, वहीं 255 शोधार्थियों को विद्या-वाचस्पति (पीएच.डी.) की उपाधि से अलंकृत किया गया।


राज्यपाल ने प्राचीन गुरु–शिष्य परंपरा का स्मरण करते हुए कहा कि पूर्वकाल में शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं थी, बल्कि गुरु शिष्य के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देते थे। आज का दीक्षांत समारोह उसी परंपरा का आधुनिक स्वरूप है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपनी डिग्री और ज्ञान का उपयोग केवल व्यक्तिगत उन्नति के लिए नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र निर्माण में करें। मेवाड़ की गौरवशाली ऐतिहासिक विरासत का उल्लेख करते हुए उन्होंने महाराणा सांगा और मीरा बाई का उदाहरण दिया और कहा कि हमें अपने समृद्ध इतिहास को प्राथमिकता देनी चाहिए।

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि नैक से ‘ए’ ग्रेड और एनआईआरएफ रैंकिंग में स्थान मिलना विश्वविद्यालय की गुणवत्ता, अनुसंधान क्षमता और अकादमिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने इन उपलब्धियों के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन, शिक्षकों और कर्मचारियों को बधाई दी।

कुलगुरु प्रो. बी.पी. सारस्वत की भूमिका रही उल्लेखनीय

समारोह के प्रारंभ में कुलगुरु प्रो. बी.पी. सारस्वत ने विश्वविद्यालय की वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए वर्ष भर की शैक्षणिक, अनुसंधानात्मक एवं संरचनागत उपलब्धियों का विस्तृत विवरण रखा। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शोध, नवाचार, डिजिटल लर्निंग, आधारभूत संरचना के विस्तार तथा छात्र–केंद्रित गतिविधियों को प्राथमिकता दी जा रही है।
कुलगुरु ने शोध एवं नवाचार को विश्वविद्यालय की आत्मा बताते हुए कहा कि विद्यार्थियों और शोधार्थियों को समाजोपयोगी शोध की दिशा में निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है। उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक गुणवत्ता, प्रशासनिक पारदर्शिता और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मजबूत की है।

अन्य प्रमुख वक्ताओं के विचार

दीक्षांत भाषण पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि आज छात्राएं स्वर्ण पदक और डिग्री प्राप्त करने में संख्यात्मक रूप से आगे हैं, जो समाज में सकारात्मक बदलाव का संकेत है। उन्होंने कहा कि केवल पैकेज के पीछे भागना ही सफलता नहीं है, बल्कि नम्रता, सद्व्यवहार और चरित्र से व्यक्ति महान बनता है। उन्होंने विश्वविद्यालयों में रिक्त शिक्षकीय पदों को शीघ्र भरने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

उपमुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा के विस्तार और गुणवत्ता सुधार के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है। उन्होंने नए महाविद्यालयों की स्थापना, आधारभूत संरचना के विकास, शिक्षकों की नियुक्ति तथा बालिकाओं की बढ़ती भागीदारी को राज्य के लिए गर्व का विषय बताया। उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी और ई-लर्निंग को उच्च शिक्षा के लिए क्रांतिकारी बताया।

समारोह की विशिष्ट अतिथि एवं राज्य मंत्री प्रो. मंजू बाघमार ने कहा कि दीक्षांत सीखने की प्रक्रिया का अंत नहीं, बल्कि जीवन के नए चरण की शुरुआत है। उन्होंने नई शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि यह बहुविषयक शिक्षा, कौशल विकास, नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देती है तथा विद्यार्थियों को रोजगार प्रदाता बनने के लिए प्रेरित करती है।

अकादमिक उपलब्धियां

255 शोधार्थियों को पीएच.डी. उपाधि, जिनमें 111 छात्र एवं 144 छात्राएं शामिल

91 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक एवं विभिन्न स्मृति व प्रायोजित पुरस्कार

दीक्षांत समारोह से पूर्व राज्यपाल के नेतृत्व में अकादमिक प्रोसेशन निकाला गया, जिसमें सभी डीन, निदेशक एवं विभागाध्यक्ष शामिल हुए। समारोह का संचालन रजिस्ट्रार डॉ. बी.सी. गर्ग ने किया। इस अवसर पर राज्यपाल द्वारा नवनिर्मित फार्मेसी भवन का डिजिटल उद्घाटन भी किया गया। अनेक जनप्रतिनिधि, शिक्षाविद् एवं गणमान्य अतिथि समारोह में उपस्थित रहे।


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