उदयपुर।महालक्ष्मी कोटि कुंकुमार्चन महायज्ञ एवं साधना महामहोत्सव को लेकर आयोजित प्रेसवार्ता में जहां आयोजन समिति की ओर से कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की गई, वहीं कृष्णगिरी पीठाधीश्वर पूज्यपाद जगद्गुरु श्री वसंत विजयानन्द गिरीजी महाराज ने इस आयोजन के आध्यात्मिक और सामाजिक उद्देश्य को रेखांकित किया।
महोत्सव आयोजन समिति के उपाध्यक्ष शंकेश जैन ने बताया कि उदयपुर के मीरानगर क्षेत्र में मैग्नस हॉस्पिटल के समीप 28 दिसंबर 2025 से 5 जनवरी 2026 तक नौ दिवसीय श्री महालक्ष्मी कोटि कुंकुमार्चन यज्ञ, पूजा एवं साधना महामहोत्सव आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह आयोजन नववर्ष के अवसर पर सुख, समृद्धि, शांति और सर्वकल्याण की भावना के साथ किया जा रहा है, जिसमें प्रतिदिन जप-साधना, महायज्ञ, कथा और भजन संध्या के साथ निःशुल्क भोजन प्रसादी की व्यवस्था रहेगी।
शंकेश जैन ने बताया कि महायज्ञ में काशी के 135 विद्वान पंडितों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ कुमकुम की एक करोड़ आहुतियां, 1008 अष्टलक्ष्मी कलश सिद्धि, औषधीय सामग्री, मेवे, चंदन और शुद्ध देसी घी की आहुतियां दी जाएंगी।
प्रेसवार्ता में उपस्थित जगतगुरु श्री वसंत विजयानन्द गिरीजी महाराज ने कहा कि यह महोत्सव केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के सामूहिक कल्याण का संकल्प है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जब जीवन में अशांति, भय और असंतुलन बढ़ रहा है, तब सामूहिक यज्ञ और साधना मानव चेतना को सकारात्मक दिशा देने का प्रभावी माध्यम बनते हैं।
जगतगुरु ने कहा कि श्री महालक्ष्मी कोटि कुंकुमार्चन यज्ञ का मूल उद्देश्य धन के साथ-साथ धर्म, विवेक और सद्भाव को जीवन में स्थापित करना है, ताकि समृद्धि के साथ संतुलन बना रहे।
जगतगुरु श्री वसंत विजयानन्द गिरीजी महाराज ने कहा कि मेवाड़ की भूमि त्याग, तप और वीरता की प्रतीक रही है और ऐसे पावन स्थल पर महालक्ष्मी यज्ञ का आयोजन स्वयं सिद्धि को और अधिक प्रभावशाली बनाता है।
उन्होंने कहा कि उदयपुर की धरा पर यह आयोजन जनमानस के लिए एक आध्यात्मिक सौभाग्य है, जिसमें सभी वर्गों के लोग सहभागी बन सकते हैं।
जगतगुरु ने कहा कि नववर्ष का स्वागत भोग नहीं, बल्कि साधना, सेवा और संस्कार से होना चाहिए। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे इस नौ दिवसीय महोत्सव में सहभागी बनकर अपने जीवन के साथ-साथ समाज के लिए भी मंगल कामना करें।
शंकेश जैन ने बताया कि करीब 4.5 लाख वर्गफीट क्षेत्र में धर्म नगरी स्थापित की जाएगी, जिसमें विशाल कथा पांडाल, यज्ञशाला, भोजन पांडाल, चार प्रवेश द्वार और श्रद्धालुओं के लिए सुव्यवस्थित बैठने की व्यवस्था रहेगी।
उन्होंने बताया कि समस्त आयोजन निःशुल्क होंगे और देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।