पारस हेल्थ उदयपुर ने स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट विंडो बीतने के बाद भी जटिल ब्रेन स्ट्रोक सर्जरी करके कोमा से मरीज़ को होश में लाया

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Published on : 23 Dec, 25 05:12

पारस हेल्थ उदयपुर ने स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट विंडो बीतने के बाद भी जटिल ब्रेन स्ट्रोक सर्जरी करके कोमा से मरीज़ को होश में लाया

 

स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट विंडो गुजर जाने के बावजूद 65 साल के एक आदमी को एक जटिल मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी के बाद होश आया। इससे दक्षिणी राजस्थान में एडवांस्ड न्यूरो-इंटरवेंशनल इलाज की उपलब्धता की पुष्टि हुई है।

उदयपुरः एक दुर्लभ और हाई रिस्क न्यूरोलॉजिकल इलाज़ में पारस हेल्थ उदयपुर ने एक 65 साल के व्यक्ति का सफलतापूर्वक इलाज किया है। इस केस में मरीज़ गंभीर ब्रेन स्ट्रोक के बाद कोमा में चला गया था। हॉस्पिटल में देर से पहुंचने के बावजूद पारस हेल्थ के डॉक्टर उसे होश में ले आए। गौरतलब है कि स्ट्रोक में हॉस्पिटल पहुंचने में देरी होने से आमतौर पर इलाज के विकल्प सीमित हो जाते हैं। मरीज को सोते समय अचानक स्ट्रोक आने के बाद बहुत गंभीर हालत में हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जब वह हॉस्पिटल पहुंचा, तो लक्षणों की शुरुआत होने के कई घंटे बीत चुके थे। इस वजह से एक्यूट स्ट्रोक केयर में इस्तेमाल होने वाली सामान्य क्लॉट-डिजॉलविंग थेरेपी का असर काफी कम हो गया था। मेडिकल जांच में मस्तिष्क की एक मुख्य आर्टरी में पूरी तरह ब्लॉकेज का पता चला। इस ब्लॉकेज की वजह से मस्तिष्क के ज़रूरी हिस्सों में खून की सप्लाई बंद हो गई और मरीज कोमा में चला गया। इसीलिए उसमें वेंटिलेटर सपोर्ट की ज़रूरत भी पड़ी।

इलाज़ के लिए बहुत कम समय और केस की जटिलता को देखते हुए पारस हेल्थ उदयपुर की न्यूरोलॉजी टीम ने मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी करने का फैसला किया। यह एक एडवांस्ड प्रक्रिया होती है जिसमें ब्लॉक हुई आर्टरी से खून के थक्के को फिजिकली हटाया जाता है। यह फैसला स्टैंडर्ड इलाज का समय बीतने के बाद ब्रेन स्कैन और एडवांस्ड न्यूरोलॉजिकल जांच के बाद काफी सोच समझकर लिया गया।

इस केस पर टिप्पणी करते हुए पारस हेल्थ उदयपुर के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. तरुण माथुर ने कहा कि जटिल स्ट्रोक के केसों में सही समय पर क्लीनिकल फैसला लेना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा, "भले ही स्टैंडर्ड इलाज का समय निकल जाए, फिर भी कुछ खास मरीज़ एडवांस्ड इंटरवेंशन से फ़ायदा उठा सकते हैं। सटीक इमेजिंग, अनुभवी टीमों और सही इंफ्रास्ट्रक्चर से जानलेवा स्थितियों में भी सफ़ल परिणाम हासिल किया जा सकता है।"

इस सफ़ल परिणाम से एक बड़ा बदलाव आया। प्रक्रिया करने के 48 घंटे के अंदर मरीज़ को होश आ गया और उसने न्यूरोलॉजिकली रिस्पॉन्ड करना शुरू कर दिया। अगले कुछ दिनों में उसे सफलतापूर्वक वेंटिलेटर सपोर्ट से हटा दिया गया। फिलहाल मरीज़ ठीक हो रहा है, और उसके चारों अंगों में मूवमेंट और ताकत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।

पारस हेल्थ उदयपुर के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ. प्रसून कुमार ने इंटीग्रेटेड इमरजेंसी और न्यूरोलॉजिकल केयर के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा, "गंभीर स्ट्रोक के केसों में इमरजेंसी रिस्पॉन्स, एडवांस्ड न्यूरो-इमेजिंग और इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी के बीच तेज़ी से तालमेल की ज़रूरत होती है। यह केस दिखाता है कि हम मरीज़ों को मेट्रो शहरों में जाए बिना, स्थानीय स्तर पर सबूतों पर आधारित और समय पर इलाज देने में सक्षम हैं।" पारस हेल्थ उदयपुर में एडवांस्ड न्यूरो-इंटरवेंशनल सुविधाएं और 24 घंटे इमरजेंसी सेवाएं उपलब्ध हैं। हॉस्पिटल की बढ़ती न्यूरोलॉजिकल क्षमताएं दक्षिण राजस्थान के मरीजों को घर के पास ही जटिल ब्रेन और स्ट्रोक केयर पाने में मदद कर रही हैं। इससे क्षेत्रीय हेल्थकेयर में लंबे समय से व्याप्त कमियों को पूरा किया जा रहा है।


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