राजस्थान सरकार के दो वर्ष : सुशासन, विकास और विश्वास का बेमिसाल दौर

( 1440 बार पढ़ी गयी)
Published on : 24 Dec, 25 05:12

राजस्थान सरकार के दो वर्ष : सुशासन, विकास और विश्वास का बेमिसाल दौर

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

 

राजस्थान की भजन लाल शर्मा सरकार ने जब सत्ता संभाली थी, तब राज्य के सामने आर्थिक मजबूती, कानून-व्यवस्था, सुशासन और जनकल्याण से जुड़ी कई चुनौतियाँ थीं। बीते दो वर्षों में सरकार ने जिस तरह नीतिगत फैसले लिए, प्रशासनिक सुधार किए और जनहित को केंद्र में रखकर योजनाओं को जमीन पर उतारा, उसने इन दो वर्षों को वास्तव में “बेमिसाल” बना दिया है। यह अवधि केवल सरकार के कार्यकाल का आंकड़ा नहीं, बल्कि विश्वास, परिणाम और परिवर्तन की कहानी है।

सबसे पहले यदि सुशासन और प्रशासनिक सुधार की बात करें तो सरकार ने निर्णय लेने की प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाया। ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देते हुए सेवाओं का डिजिटलीकरण किया गया, जिससे आम नागरिक को सरकारी दफ्तरों के चक्कर कम लगाने पड़े। समयबद्ध फाइल निस्तारण, जवाबदेही तय करना और भ्रष्टाचार पर सख्ती—ये ऐसे कदम रहे जिन्होंने प्रशासन में नई कार्यसंस्कृति विकसित की।

कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर भी सरकार का रुख स्पष्ट और सख्त रहा। महिला सुरक्षा, साइबर अपराध और संगठित अपराध के खिलाफ विशेष अभियान चलाए गए। पुलिस बल के आधुनिकीकरण और संवेदनशील पुलिसिंग से आमजन में सुरक्षा का भरोसा बढ़ा। सरकार का संदेश साफ रहा—राज्य में अपराध और अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं।

आर्थिक विकास और निवेश के क्षेत्र में राजस्थान ने बीते दो वर्षों में नई पहचान बनाई। निवेशकों के अनुकूल नीतियाँ, सिंगल विंडो सिस्टम और औद्योगिक प्रोत्साहन योजनाओं के कारण राज्य में निवेश का माहौल बेहतर हुआ। ऊर्जा, खनन, पर्यटन और एमएसएमई सेक्टर में नई परियोजनाओं से रोजगार के अवसर बढ़े। सरकार ने यह स्पष्ट किया कि विकास केवल आंकड़ों में नहीं, बल्कि रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था की मजबूती में दिखना चाहिए।

किसानों और ग्रामीण विकास को लेकर सरकार की पहल विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। सिंचाई परियोजनाओं को गति दी गई, जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन पर जोर दिया गया। फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य और किसान कल्याण योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहारा मिला। जल संकट से जूझते राजस्थान के लिए जल प्रबंधन को प्राथमिकता देना सरकार की दूरदर्शिता को दर्शाता है।

स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी सरकार ने ठोस कदम उठाए। सरकारी अस्पतालों की सुविधाओं में सुधार, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सशक्त बनाना और चिकित्सा सेवाओं की पहुंच दूर-दराज के क्षेत्रों तक सुनिश्चित करना—ये सरकार की बड़ी उपलब्धियाँ रहीं। शिक्षा के क्षेत्र में स्कूलों के बुनियादी ढांचे, डिजिटल शिक्षा और शिक्षकों के प्रशिक्षण पर ध्यान दिया गया, ताकि भविष्य की पीढ़ी को बेहतर आधार मिल सके।

महिला, युवा और सामाजिक न्याय सरकार की नीतियों के केंद्र में रहे। महिला सशक्तिकरण योजनाओं, स्वरोजगार कार्यक्रमों और कौशल विकास से युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया गया। वंचित वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से सामाजिक संतुलन को मजबूती मिली।

इन दो वर्षों में सरकार की एक बड़ी खासियत रही—नीति और क्रियान्वयन के बीच की दूरी को कम करना। घोषणाओं को केवल मंच तक सीमित न रखकर उन्हें जमीन पर उतारने का प्रयास किया गया। यही कारण है कि कई योजनाओं का लाभ आम आदमी तक पहुंचता दिखाई दिया।

निष्कर्षतः, राजस्थान सरकार के ये दो वर्ष केवल सत्ता के नहीं, बल्कि परिवर्तन के दो वर्ष रहे हैं। सुशासन, विकास और जनविश्वास के समन्वय ने सरकार को मजबूती दी है। चुनौतियाँ आगे भी हैं, लेकिन बीते दो वर्षों का कार्यकाल यह संकेत देता है कि यदि यही गति, संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता बनी रही, तो राजस्थान विकास की नई ऊँचाइयों को छू सकता है। यही वजह है कि इन दो वर्षों को निस्संदेह “बेमिसाल” कहा जा सकता है।

 

राजस्थान सरकार के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर जिन प्रमुख परियोजनाओं ने विकास की दिशा और सरकार की प्राथमिकताओं को स्पष्ट किया, उनमें  ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (परिवर्तित नाम रामसेतु) राज्य की सबसे महत्वाकांक्षी जल परियोजना। इसके माध्यम से पूर्वी राजस्थान के सूखाग्रस्त जिलों को पेयजल और सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने की योजना है। इससे लाखों किसानों को राहत मिलने और भूजल स्तर सुधार की उम्मीद है। इसी प्रकार  यमुना जल समझौता एवं पेयजल परियोजना में हरियाणा के साथ हुए समझौते के तहत राजस्थान के सीमावर्ती जिलों विशेष कर शेखावाटी में यमुना जल पहुंचाने की पहल प्रमुख है। यह परियोजना भविष्य की जल जरूरतों को ध्यान में रखकर की गई रणनीतिक उपलब्धि मानी जा रही है।इसी कड़ी के जयपुर मेट्रो फेज-2 परियोजना के तहत जयपुर में सार्वजनिक परिवहन को सुदृढ़ करने के लिए मेट्रो के दूसरे चरण की आधारशिला। इससे ट्रैफिक दबाव कम होगा और शहरी प्रदूषण घटेगा। प्रदेश की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना रिफाइनरी परियोजना है जो पचपदरा (बालोतरा) में बन कर लगभग तैयार है। यह राज्य की सबसे बड़ी औद्योगिक परियोजनाओं में शामिलहै। फाइनल कमीशनिंग पूरी होने के बाद यह परियोजना रोजगार, निवेश और राजस्व के नए द्वार खोलेगी।प्रदेश ने राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट नई आशाएं और विश्वास ले कर आ रहा है।

राजस्थान को निवेश का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में बड़ा कदम। इसमें देश-विदेश के निवेशकों ने रुचि दिखाई और कई एमओयू हुए है।राजस्थान  सौर ऊर्जा एवं अक्षय ऊर्जा परियोजनाएँ  लागू करने में अग्रणी है।

बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर और जैसलमेर-बाड़मेर बेल्ट में बड़े सोलर पार्क। इससे राजस्थान हरित ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बन रहा है।

 

इसके अलावा मेडिकल कॉलेज एवं स्वास्थ्य अवसंरचना विस्तार हो रहा है नए मेडिकल कॉलेज, सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और पीएचसी-सीएचसी का सुदृढ़ीकरण। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ी है। प्रदेश में एक्सप्रेसवे और सड़क परियोजनाएँ

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से जुड़े पैकेज, स्टेट हाईवे चौड़ीकरण और ग्रामीण सड़कों का विकास—राज्य में कनेक्टिविटी में बड़ा सुधार हुआ है।।

राजस्थान में पर्यटन विकास परियोजनाएँ भी सिरे पर चढ़ी है जिसमें हेरिटेज सिटी डवलपमेंट, धार्मिक पर्यटन सर्किट, सीमा पर्यटन और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने की योजनाएँ शामिल है। स्मार्ट सिटी एवं शहरी विकास परियोजनाएँ के तहतजयपुर, उदयपुर, कोटा, अजमेर सहित शहरों में स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, जलापूर्ति और सीवरेज परियोजनाएँ हाथ में ली गई है।।

 

विकास की इन परियोजनाओं से स्पष्ट है कि राजस्थान सरकार का फोकस जल, ऊर्जा, परिवहन, उद्योग और मानव विकास पर रहा है। यही वजह है कि सरकार के दो वर्ष केवल घोषणाओं के नहीं, बल्कि परिणाम देने वाले वर्ष के रूप में देखे जा रहे हैं।


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.