उदयपुर। दुनिया आप द्वारा किये जाने वाले कार्य के लिये हां करती है या ना,यह आपके लिये मायनें नहीं रखता है,मायने रखता है आप द्वारा किये जाने वाले कार्य में आपका जूनून, जो आपको जीवन में सफलता दिलाता है।
यह कहना था कि तमिलनाडु से उदयपुर की पावन धरा पर पधारें कृष्णगिरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु आचार्य श्रीवसंत विजयानन्द गिरी जी महाराज, जो सृजन द स्पार्क की ओर से मींरा नगर स्थित 80 फीट रोड़़ पर आयोजित जीवन दर्शन एवं उत्कृष्ट जीवन जीने की पद्धति पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में हमारी होशियारी ही हमें दुखी करती है। हमारा विचार हमारी आभा बनता है। आपको अपने जीवन में परिपक्वता आनी बाकी है। अपने आपको अनलाॅक करने की बात सोचने पर हीं आपको असीमित वस्तुएं प्राप्त होगी। वे व्यक्ति पुण्यशाली होते है जिनके पास आगे बढ़ने के लक्ष्य निर्धारित होते है।
आचार्य ने कहा कि जीवन में लक्ष्य होना बहुत आवश्यक है और यदि वह पूरा हो जाता है तो उससे बड़ी खुशी कुछ नहीं हो सकती है। अगले छः माह तक विचार करें कि मैं क्यों जन्मा हूं। जब तक इसके महत्व को नहीं समझोंगे,तो बार-बार जन्म लेना पड़ेगा। अपनी पर्सनिलिटी पर विचार बनना होगा। इनफिनिटी ही ईश्वर की लौ है। जीवित-अजीवित वस्तु को भी विज्ञान ने क्वार्क मान लिया है।
आचार्य वसंत विजयाननद गिरी जी ने कहा कि विश्व में क्या हो रहा है वह इफेक्ट नहीं कर सकता है,आपका मन जो बोलेगा वह आपको इफेक्ट करता है। हम वातावरण को नहीं वरन् मन को इफेक्ट करता है। यदि अपने आपको आप युवा समझोगे तो आप कभी मन से वृद्ध नहीं हांेगे।
उन्होंने कहा कि बाह्य दुनिया आपके साथ क्या करती है वो मायनें नहीं रखती,आपके मन में आने वाले विचार आपको प्रताड़ित करते है, वह महत्वपूर्ण है।
संगीत मन को हलका करता है,संगीत हलका है तो मन भी हलका होता है। इस संसार में सबसे विलक्षण विचार होते है। मन को जिस दिन ओल दोगे कि मुझे कोई बीमारी नहीं हो कसती है तो वह मन का वह विश्वास ही आपको आजीवन निरोगी रखेगा। अपनी भावी बीमारी होने की चिंता महिलाओं में अधिक होती है और वह अविश्वास ही महिलाओं को रोगी बनाता है। महिलायें अपने आप मनगढ़ंत विचारों को आदेश दे कर अपना वर्तमान भी खराब करती है। आचार्य ने मनुष्य के जीवन को टाईटेनिक फिल्म से जोड़़ उसके गूढ़ रहस्य को बताया। हमारा जीवन बहुआयामी जीवन है। मनुष्य विभिन्न रचनाओं के साथ जीवन जीता है। टाईटेनिक जहाज चलानें वाला नाविक और कैप्टन दोनों एक-दूसरे को देख नहंी सकते और यहीं उस जहाज की दुर्घटना का करण बना। हमारी पूरी जिदंगी ही टाईटेनिक की तरह चल रही है। इस अवसर पर आचार्य ने शिवकवच का उच्चारण कर सभी को रक्षा का आशीर्वाद प्रदान किया।
प्रारम्भ में सृजन द स्पार्क के पूर्वाध्यक्ष सीए डाॅ. श्याम एस.सिंघवी ने गुरूदेव के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आध्यात्म के बिना संगीत और संगीत के बिना आध्यात्म अधूरा है। गुरूदेव का अस्तित्व देश-विदेश में स्थापित है। जहंा शंाति को हम हर जगह ढूंढ रहे है वहीं शाति हमारें भीतर है लेकिन हम उसे खोज नहीं पा रहे है।
इस अवसर पर अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा ने गुरूदेव का माल्यार्पण,संरक्षक प्रसन्न खमेसरा ने शाॅल ओढ़़ाकर,श्याम एस.सिंघवी ने फल भेंट कर, जयंत कोठारी ने उपरना पहनाकर,अब्बास अली बन्दुकवाला ने पगड़ी पहनाकर स्वगात किया। प्रकाश लोढ़़ा ने गुरूदेव के सेवक देवेन्द्र मेहता को भी सम्मानित किया। अंत में सचिव राजेन्द्र लोढ़ा ने आभार ज्ञापित किया।